मार दी तुझे पिचकारी, कौन री, रँगी छबि यारी ? फूल -सी देह,-द्युति सारी, हल्की तूल-सी सँवारी, रेणुओं-मली सुकुमारी, कौन री, रँगी छबि वारी ? मुसका दी, आभा ला दी, उर-उर में गूँज उठा दी, फिर रही लाज की मारी, मौन री रँगी छबि प्यारी।