सौंह कियें ढरकौहे से नैन -बिहारी लाल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:21, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Bihari-Lal.jpg |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
सौंह कियें ढरकौहे से नैन -बिहारी लाल
बिहारी लाल
बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

सौंह कियें ढरकौहे से नैन, टकी न टटै हिलकी हलियै।

मुँह आगै हू आये न सूझयौ कछू ,सु कहयौ कछु ये सुति साँभल ए।

भौर ते साँझि भई न अजौं, घरि भतिर बाहर कौ ढलिए।

रहे गेह की देहरी ठाढ़े दोऊ, उर लागी दुहून चलौ चलिए।।















संबंधित लेख