राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ -रैदास

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राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ -रैदास
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
कवि रसखान
जन्म सन् 1533 से 1558 बीच (लगभग)
जन्म स्थान पिहानी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रसखान की रचनाएँ

राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ, सेवा करौं न दासा।

गुनी जोग जग्य कछू न जांनूं, ताथैं रहूँ उदासा।। टेक।।

भगत हूँ वाँ तौ चढ़ै बड़ाई। जोग करौं जग मांनैं।

गुणी हूँ वांथैं गुणीं जन कहैं, गुणी आप कूँ जांनैं।।१।।

ना मैं ममिता मोह न महियाँ, ए सब जांहि बिलाई।

दोजग भिस्त दोऊ समि करि जांनूँ, दहु वां थैं तरक है भाई।।२।।

मै तैं ममिता देखि सकल जग, मैं तैं मूल गँवाई।

जब मन ममिता एक एक मन, तब हीं एक है भाई।।३।।

कृश्न करीम रांम हरि राधौ, जब लग एक एक नहीं पेख्या।

बेद कतेब कुरांन पुरांननि, सहजि एक नहीं देख्या।।४।।

जोई जोई करि पूजिये, सोई सोई काची, सहजि भाव सति होई।

कहै रैदास मैं ताही कूँ पूजौं, जाकै गाँव न ठाँव न नांम नहीं कोई।।५।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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