श्रेणी:भक्ति साहित्य
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- एहि बिधि कहि कहि बचन
- एहि बिधि गयउ कालु बहु बीती
- एहि बिधि गर्भसहित सब नारी
- एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई
- एहि बिधि जनम करम हरि केरे
- एहि बिधि जल्पत भयउ बिहाना
- एहि बिधि जाइ कृपानिधि
- एहि बिधि दाह क्रिया सब कीन्ही
- एहि बिधि दुखित प्रजेसकुमारी
- एहि बिधि नगर नारि नर
- एहि बिधि निज गुन
- एहि बिधि पूँछहिं प्रेम
- एहि बिधि प्रभु बन बसहिं सुखारी
- एहि बिधि बासर बीते चारी
- एहि बिधि बीते बरष
- एहि बिधि भरत चले मग जाहीं
- एहि बिधि भरत सेनु सबु संगा
- एहि बिधि भरतु फिरत बन माहीं
- एहि बिधि भलेहिं देवहित होई
- एहि बिधि भूप कष्ट अति थोरें
- एहि बिधि मज्जनु भरतु
- एहि बिधि मुनिबर भवन देखाए
- एहि बिधि रघुकुल कमल
- एहि बिधि राउ मनहिं मन झाँखा
- एहि बिधि राम जगत पितु माता
- एहि बिधि राम सबहि समुझावा
- एहि बिधि लेसै दीप तेज
- एहि बिधि संभु सुरन्ह समुझावा
- एहि बिधि सकल कथा समुझाई
- एहि बिधि सकल जीव जग रोगी
- एहि बिधि सकल मनोरथ करहीं
- एहि बिधि सब संसय करि दूरी
- एहि बिधि सबही देत
- एहि बिधि सिसुबिनोद प्रभु कीन्हा
- एहि बिधि सीय मंडपहिं आई
- एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई
- एहि बिधि सोचत भरत
- एहि बिधि होत बतकही
- एहि महँ रघुपति नाम उदारा
- एहि महँ रुचिर सप्त सोपाना
- एहि संदेस सरिस जग माहीं
- एहि सर मम उत्तर तट बासी
- एहि सुख जोग न लोग
- एहि सुख ते सत कोटि
- एहिं कलिकाल न साधन दूजा
- एहिं जग जामिनि जागहिं जोगी
- एहिं तन राम भगति मैं पाई
- एहिं प्रतिपालउँ सबु परिवारू
- एहिं समाज थल बूझब राउर
- एहीं बीच निसाचर अनी
- एहूँ मिस देखौं पद जाई
ऐ
- ऐसिअ प्रस्न बिहंगपति
- ऐसिउ पीर बिहसि तेहिं गोई
- ऐसी मूढता या मन की -तुलसीदास
- ऐसे अधम मनुज खल
- ऐसे प्रभुहि बिलोकउँ जाई
- ऐसेउ प्रभु सेवक बस अहई
- ऐसेउ बचन कठोर सुनि
- ऐसेहिं प्रभु सब भगत तुम्हारे
- ऐसेहिं हरि बिनु भजन खगेसा
- ऐसेहु पति कर किएँ अपमाना
- ऐहि बिधि करत बिनोद बहु
- ऐहि बिधि करत सप्रेम बिचारा
- ऐहि बिधि कृपा रूप गुन
- ऐहि बिधि भए सोचबस ईसा
- ऐहि बिधि राति लोगु सबु जागा
औ
क
- कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि
- कंचन कलस बिचित्र सँवारे
- कंचन थार सोह बर पानी
- कंत समुझि मन तजहु कुमतिही
- कंद मूल फल अमिअ अहारू
- कंद मूल फल सुरस अति
- कंदर खोह नदीं नद नारे
- कंप न भूमि न मरुत बिसेषा
- कंबल बसन बिचित्र पटोरे
- कंबु कंठ अति चिबुक सुहाई
- कछु तेहि ते पुनि मैं नहिं राखा
- कछु दिन भोजनु बारि बतासा
- कछु मारे कछु घायल
- कछु मारेसि कछु मर्देसि
- कछुक ऊँचि सब भाँति सुहाई
- कछुक दिवस बीते एहि भाँती
- कछुक राम गुन कहेउँ बखानी
- कटकटहिं जंबुक भूत प्रेत
- कटकटान कपिकुंजर भारी
- कटहिं चरन उर सिर भुजदंडा
- कटि तूनीर पीत पट बाँधें
- कठिन काल मल कोस
- कठिन कुसंग कुपंथ कराला
- कत बिधि सृजीं नारि जग माहीं
- कत सिख देइ हमहि कोउ माई
- कतहुँ निमज्जन कतहुँ प्रनामा
- कतहुँ मुनिन्ह उपदेसहिं ग्याना
- कतहुँ रहउ जौं जीवति होई
- कतहुँ होइ निसिचर सैं भेटा
- कथा अरंभ करै सोइ चाहा
- कथा कही सब तेहिं अभिमानी
- कथा सकल मैं तुम्हहि सुनाई
- कथा समस्त भुसुंड बखानी
- कद्रूँ बिनतहि दीन्ह दुखु
- कनक कलस भरि कोपर थारा
- कनक कलस मनि कोपर रूरे
- कनक कोटि बिचित्र मनि
- कनक थार भरि मंगलन्हि
- कनक बरन तन तेज बिराजा
- कनक बिंदु दुइ चारिक देखे
- कनक सिंघासन सीय समेता
- कनकहिं बान चढ़इ जिमि दाहें
- कपट कुचालि सीवँ सुरराजू
- कपट नारि बर बेष बनाई
- कपट बिप्र बर बेष बनाएँ
- कपट बोरि बानी मृदल
- कपटी कायर कुमति कुजाती
- कपि अकुलाने माया देखें
- कपि आकृति तुम्ह कीन्हि हमारी
- कपि करि हृदयँ बिचार
- कपि के बचन सप्रेम
- कपि कें ममता पूँछ
- कपि तव दरस भइउँ निष्पापा
- कपि तव दरस सकल दुख बीते
- कपि बंधन सुनि निसिचर धाए
- कपि बल देखि सकल हियँ
- कपि लंगूर बिपुल नभ छाए
- कपि सेन संग सँघारि निसिचर
- कपिपति नील रीछपति
- कपिपति बेगि बोलाए
- कपिपति रीछ निसाचर राजा
- कपिलीला करि तिन्हहि डेरावहिं
- कपिहि तिलक करि प्रभु
- कपिहि बिलोकि दसानन
- कब देखौंगी नयन वह मधुर मूरति -तुलसीदास
- कबहु दिवस महँ निबिड़
- कबहुँ कि दुःख सब कर हित ताकें
- कबहुँ न कियहु सवति आरेसू
- कबहुँ प्रबल बह मारुत
- कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास
- कबहूँ काल न ब्यापिहि तोही
- कबि कोबिद रघुबर
- कबि न होउँ नहिं चतुर कहावउँ
- कबि बृंद उदार दुनी न सुनी
- कबिकुल वनु पावन जानी
- कबित बिबेक एक नहिं मोरें
- कबित रसिक न राम पद नेहू
- कमठ पीठ जामहिं बरु बारा
- कमल-दल नैननि की उनमानि -रहीम
- कर गहि पतिहि भवन निज आनी
- कर जोरि जनकु बहोरि
- कर जोरें सुर दिसिप बिनीता
- कर त्रिसूल अरु डमरु बिराजा
- कर मीजहिं सिरु धुनि पछिताहीं
- कर सरोज सिर परसेउ
- कर सारंग साजि कटि भाथा
- करइ बिचारु कुबुद्धि कुजाती
- करइ स्वामि हित सेवकु सोई
- करउँ कृपानिधि एक ढिठाई
- करउँ बिचार बहोरि बहोरी
- करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी
- करउँ सदा रघुपति गुन गाना
- करत दंडवत देखि तेहि
- करत प्रबेस मिटे दुख दावा
- करत बतकही अनुज सन
- करत मनोरथ जस जियँ जाके
- करत राज लंका सठ त्यागी
- करतल बान धनुष अति सोहा
- करन चहउँ रघुपति गुन गाहा
- करब सदा लरिकन्ह पर छोहू
- करबि पायँ परि बिनय बहोरी
- करम धरम इतिहास अनेका
- करम बचन मन छाड़ि
- करम बचन मानस बिमल
- करम लिखा जौं बाउर नाहू
- करमनास जलु सुरसरि परई
- करसि पान सोवसि दिनु राती
- करहि जाइ तपु सैलकुमारी
- करहिं अनीति जाइ नहिं बरनी
- करहिं अहार साक फल कंदा
- करहिं आरती आरतिहर कें
- करहिं आरती बारहिं बारा
- करहिं कूटि नारदहि सुनाई
- करहिं गान बहु तान तरंगा
- करहिं जोग जोगी जेहि लागी
- करहिं जोहारु भेंट धरि आगे
- करहिं प्रनाम नगर नर नारी
- करहिं बिबिध बिधि भोग बिलासा
- करि आरति नेवछावरि करहीं
- करि कुचालि सोचत सुरराजू
- करि कुमंत्रु मन साजि समाजू
- करि कुरूप बिधि परबस कीन्हा
- करि केहरि कपि कोल कुरंगा
- करि केहरि निसिचर
- करि केहरि बन जाइ न जोई