भजन बिन जीवन कैसा यार -शिवदीन राम जोशी

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==भजन बिन जीवन कैसा यार-शिवदीन राम जोशी==बोल्ड पाठ भजन बिन जीवन कैसा यार । धन-द्रव्य तेरे काम न आवे, राज पाट दरबार । काम न आवे झूंठी माया, झूंठो है संसार ।। ध्रुव भज पाई अचला पदवी,गज भज करी पुकार । भक्त अनेक ही तार दिये, वही निर्धारन आधार ।। उन बिन संगी को जीवन को,मन से नेक विचार । वही तरण तारण रघुराई, भ्रम उर के सब टार ।। शिवदीन भजो उन ही को निशदिन,जो हैं सर्वाधार । सकल पुराणन में यश गायो, वेद रटत हैं चार ।।

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