जालंधर शक्तिपीठ

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जालंधर शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

यस्माच्चण्डं च मुण्डं च गृहीत्वा त्व मुपागता:।
चण्डमुण्डेति ततो लोके ख्याता देवि भविष्यसि।।

  शक्तिपीठों के वर्णन में जालंधर पीठ का नाम आता है, किन्तु वर्तमान में जालंधर नगर में कोई देवीपीठ नहीं मिलता। अनुमानत: प्राचीन जालंधर से त्रिगर्त प्रदेश (वर्तमान कांगड़ा घाटी) मानना उचित होगा, जिसमें कांगड़ा शक्ति त्रिकोणपीठ की तीन जाग्रत देवियाँ[1] विराजती हैं।[2] वैसे यहाँ विश्वमुखी देवी का मंदिर है, जहाँ पीठ स्थान पर स्तनमूर्ति कपड़े से ढंकी रहती है और धातु निर्मित मुखमण्डल बाहर दिखता है। इसे स्तनपीठ एवं त्रिगर्त तीर्थ भी कहते हैं और यही जालंधर पीठ नामक शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ सती के वामस्तन का निपात हुआ था। यहाँ की शक्ति 'त्रिपुरमालिनी' तथा भैरव 'भीषण' हैं।

लोगों का विश्वास है कि इस पीठ में सम्पूर्ण देवी-देवता अंश रूप में निवास करते हैं, अत: यहाँ पशु-पक्षी तक की सद्गति हो जाती है। इसी से यहाँ वसिष्ठ, व्यास, मनु, जमदग्नि, परशुराम आदि महर्षियों ने शक्ति की उपासना की। कहते हैं कि जालंधर दैत्य की राजधानी थी, जिसका वध शिव ने किया तथा वध से लगे पाप की मुक्ति हेतु इसी पावन पीठ में शरण ली एवं श्री तारा की उपासना से पापमुक्त हुए। इसी पीठ का विस्तार 12 योजना माना जाता है और यहाँ की अधिष्ठात्री देवी त्रिशक्ति काली, तारा व त्रिपुरा हैं। फिर भी स्तनपीठाधीश्वरी श्री व्रजेश्वरी ही मुख्य मानी जाती हैं एवं इन्हें 'विद्याराजी' भी कहते हैं।[3] स्तनपीठ में विद्याराजी के चक्र, आद्याशक्ति त्रिपुरा की पिण्डी भी स्थापित है एवं अनेक ऋषियों के आश्रम, देवियों के विग्रह भी मौजूद हैं।

उत्तर रेलवे के मुख्य लाइन मुग़लसराय-अमृतसर मार्ग पर जालंधर स्थित है।

प्रसंगपश जालंधर पीठान्तर्गत 108 शक्तिपीठों में काँगड़ा ज़िले के बानगंगा नदी तट पर स्थित चामुण्डा सिद्धपीठ है। इसका पुनर्निर्माण 700 वर्ष पूर्व हुआ। यहाँ पहुँचने हेतु पठानकोट-बैजनाथ-पपरीला तक के रेल मार्ग से जगरोटो-बगवाँ स्टेशन पर उतर कर मला आकर 5 किमी बस सेवा है और काँगड़ा से पालमपुर व बैजनाथ पथरीला तक सीधी बस सेवा है। इस बसे से मला उतर कर धर्मशाला मार्ग पर 5 कि.मी. दूर चामुण्डा मंदिर है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चिन्तापूर्णी, ज्वालामुखी तथा सिद्धमाता विद्येश्वरी
  2. कल्याण। (शक्ति अंक) पृष्ठ 640, कल्याण: शक्ति उपासना अंक, पृष्ठ 414
  3. कल्याण: शक्तिअंक पृष्ठ 675

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