केते झाड़ फूंक भुतवा -शिवदीन राम जोशी

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केते झाड़ फूंक भुतवा पुजयाबे को / शिवदीन राम जोशी

शीर्षक उदाहरण 3

शीर्षक उदाहरण 4

केते झाड़ फूंक भुतवा पुजयाबे को,

                इधर उधर ताक- ताक बात बहु  बनाते हैं |

जटा लटा धारी केते ताक़ते पराई नारी,

                जुवारी  बेकार  लोग  उनके पास जाते हैं |

सत संगत से दूर असंगत में चूर-चूर,

                 लगे माल हाथ कहीं यें ही वह चाहते हैं | 

कहता शिवदीन मुख कारो घर गोपाल हूँ के,

                 कपटी  असंत  दुष्ट  मोजां  उड़ाते  हैं |     




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