कुलूत
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कुलूत वर्तमान कुल्लू का प्राचीन नाम है, जो कांगड़ा (पंजाब) घाटी का प्रसिद्ध पहाड़ी स्थान है।[1] इस स्थान का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में भी हुआ है-
‘तैरवै सहित: सर्वेरनुरज्य च तान् नृपान्, कुलूतवासिनं राजन् बृहन्तमुपजरिग्मवान्’; ‘कुलूतानुत्तरांश्चैव तांश्च राज्ञ: समानयत्’।[2]
- उपर्युक्त श्लोक में कुलूत को 'उत्तरकुलूत' के नाम से कहा गया है।
- महाभारत के समय यहाँ के राजा 'वृहन्त' था, जिसे पाण्डव अर्जुन ने अपनी दिग्विजय-यात्रा के प्रसंग में जीता था।
- प्रसिद्ध पहाड़ी स्थान 'कुल्लू' ही आज का कुलूत है, जो वर्तमान कांगड़ा (पंजाब) घाटी का प्रसिद्ध पहाड़ी स्थान है।[3]
- संस्कृत कवि राजशेखर ने कन्नौजाधिप महीपाल (6 वीं शती) के विजित प्रदेशों में कुलूत का भी उल्लेख किया है।
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