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भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
घूँघट से मरघट तक

छोटे पहलवान: "फिर क्या !.... सब्ज़ी होगी मटर की, और उस पर आलू के छींटे... !" ये कहकर पहलवान ने एक आँख दबाई और फिर प्रश्नवाचक मुद्रा बना ली और बोला " कुछ समझे...?"
मामा: "नहीं समझे...?"
छोटे पहलवान: "मतलब ये है मामा ! कि मटर की सब्ज़ी पर आलू के पतले-पतले टुकड़े डले होंगे जिससे कि हमारी रईसी का पता बारातियों को चले... अरे मामा ! आलू हैं दस रुपये किलो और मटर इस समय मंहगी है, पूरे पचास रुपये किलो। तो फिर बाराती कहीं ये न समझें कि सस्ते आलू से टरका दिए... इसलिए सब्ज़ी मटर की होगी और आलू के तो बस छींटे...!" ...पूरा पढ़ें

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