सुधर्मन
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सुधर्मन जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी के बाद जैन संघ के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। जैन संघ के अध्यक्ष के रूप में सुधर्मन ने लगातार 22 वर्षों तक जैन धर्म की सेवा की थी।
- जैन संघ की स्थापना स्वयं महावीर ने की थी। उनके ग्यारह निकटतम शिष्यों को गणधर अर्थात "समूह का प्रधान" कहा जाता था।
- महावीर की मृत्यु के पश्चात उनके एकमात्र गणधर सुधर्मन को जैन संघ का थेर बनाया गया था।
- सुधर्मन की महावीर स्वामी की मृत्यु के बीस वर्ष बाद मृत्यु हुई।
- सुधर्मन की मृत्यु के बाद जम्बु संघ के प्रधान रहे, जो 44 वर्षों तक जैन धर्म की सेवा करते रहे।
|
|
|
|
|