कुछ दोहे नीरज के -गोपालदास नीरज
कुछ दोहे नीरज के -गोपालदास नीरज
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कवि | गोपालदास नीरज |
मूल शीर्षक | 'कुछ दोहे नीरज के' |
प्रकाशक | 'डायमंड पॉकेट बुक्स' |
प्रकाशन तिथि | 03 अप्रॅल, 2004 |
ISBN | 81-288-09002-4 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
प्रकार | कविता संग्रह |
विशेष | पुस्तक क्रम: 3567 |
- हिन्दी गीति-काव्य का पर्याय बन चुके कवि नीरज बीसवीं शताब्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय और सम्मानित काव्य व्यक्तित्व हैं। अनेक प्रतिष्ठित प्रकाशन समूहों द्वारा कराये गये सर्वेक्षणों के तथ्य इस बात को प्रमाणित करते हैं।
- भक्तिकालीन कवियों के बाद जनभाषा में मानवीय संवेदनाओं को ऐसी अभिव्यक्ति देनेवाला और जनसाधारण में इतना समादूत और स्वीकृत कोई अन्य कवि दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता। निश्चित रूप से वे हिंदी जगत में एक जीवित किंवदन्ती या कहें कि ‘लिविंग लीजेण्ड’ बन चुके हैं।
- ‘कुछ दोहे नीरज के' उनकी अप्रतिम लेखनी से निसृत प्रेम, सौन्दर्य, सामाजिक व्यवहार, नैतिकता, राजनीति, अध्यात्म, ज्योतिष आदि विविध विषयों से सम्बन्धित उत्कृष्ट दोहों का महत्वपूर्ण संग्रह है।
- साथ ही उनकी कुछ पातियाँ भी इस संग्रह की शोभा हैं।
आधुनिक काल में ये विधा विरल हो गई थी और कुछ समय के लिए समाप्तप्राय, लेकिन अब फिर जैसे हिन्दी में ग़ज़ल लेखन की बाढ़ आयी है उसी प्रकार अब दोहा हिन्दुस्तान में ही नहीं पाकिस्तान में भी खूब लिखा जा रहा है और लोकप्रिय हो रहा है। मैंने भी इस विधा में कुछ मौलिक कहने की कोशिश की है और साथ ही प्राचीन महापुरुषों और संतों की सूक्तियों का भावानुवाद भी किया है। साथ ही ज्योतिष सम्बन्धी कुछ सरल दोहे भी इस संकलन में इस आशय के साथ जोड़े है कि ज्योतिष ज्ञान प्राप्त कराने में सहायक सिद्ध हों। मैं अपने प्रयास में कहाँ तक सफल या असफल हुआ हूँ ये तो आप पाठकगण ही तय करेंगे। जो महापुरुषों और संतों की सूक्तियों का भावानुवाद मैंने किया है यदि उसमें से एक भी दोहा किसी पाठक का रूपान्तरण करने या उनके जीवन की कठिन परिस्थितियों में सहायक होता है तो मैं अपने प्रयास को सफल समझूँगा लेकिन इसके श्रेय के अधिकारी वे महापुरुष ही होंगे। -गोपालदास नीरज
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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