पंच परमेष्ठिन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:42, 21 मार्च 2014 का अवतरण (Text replace - "Category:जैन धर्म कोश" to "Category:जैन धर्म कोशCategory:धर्म कोश")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

पंच परमेष्ठिन जैन धर्म द्वारा पूजनीय हैं। जैन धर्म ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करता। वह मनुष्य में देवत्व और ईश्वरत्व को देखता है। अर्हत्, तीर्थकर मानव शरीर में ईश्वर कहे गए हैं।

  • पंच परमेष्ठिन के अंतर्गत 'अर्हत्' (तीर्थकर), 'सिद्ध', 'आचार्य', 'उपाध्याय' एवं साधु (श्रमण) आते हैं।
  • पंच नमोकार मंत्र में इन्हीं पंच परमेष्ठियों का अभिवादन, वंदन और स्मरण किया जाता है।
  • उच्च साधना, तपश्चर्य, त्याग से कोई भी व्यक्ति कैवल्य प्राप्त कर अर्हत् बन सकता है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 460 |

  1. चंचरीक एवं जैन : जैन वर्शिप एंड रिचुअल्स।

संबंधित लेख