रानी की वाव
रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण ज़िले में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) है। 22 जून, 2014 को इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया।[1]
इतिहास
रानी की वाव को रानी उदयामती ने अपने पति राजा भीमदेव की याद में वर्ष 1063 में बनवाया था। राजा भीमदेव गुजरात के सोलंकी राजवंश के संस्थापक थे। भूगर्भीय बदलावों के कारण आने वाली बाढ़ और लुप्त हुई सरस्वती नदी के कारण यह बहुमूल्य धरोहर तकरीबन 700 सालों तक गाद की परतों तले दबी रही। बाद में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे खोजा। वाव के खंभे सोलंकी वंश और उसके आर्किटेक्चर के नायाब नमूने हैं। वाव की दीवारों और खंभों पर ज्यादातर नक्काशियां राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि जैसे अवतारों के कई रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इस वाव में एक छोटा द्वार भी है, जहां से 30 किलोमीटर लम्बी सुरंग निकलती है। रानी की वाव ऐसी इकलौती बावड़ी है, जो विश्व धरोहर सूची में शामिल हुई है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रानी की वाव विश्व विरासत घोषित (हिंदी) लाइव हिंदुस्तान। अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2014।
- ↑ वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में भारत की दो साइट्स शामिल (हिंदी) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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