गहंबर
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गहंबर पारसी धर्म के छ: त्योहार, जो वर्ष भर में अनियत अंतराल पर मनाए जाते हैं, जिनमें ऋतुओं तथा संभवत: संसार की सृष्टि के छ: चरणों- 'स्वर्ग', 'जल', 'पृथ्वी', 'वानस्पतिक विश्व', 'जंतु विश्व' और 'मनुष्य' का समारोह होता है।[1]
- प्रत्येक गहंबर पांच दिनों दिनों तक चलता है। ये त्योहार निम्नलिखित हैं-
'मैध्याऔईजारेमाया'[2], जो नववर्ष के 41 दिनों के बाद अर्तवशिष्ठ के महीने में होता है। इसके 60 दिनों के बाद तीर के महीने में 'मैध्योइशेमा'[3]; इसके 75 दिनों के बाद 'शतवैरो' के महीने में 'फैतिसहाय्या'[4]; इसके 30 दिनों के बाद 'मित्रा' के महीने में 'अयाथ्रिमा'[5]; इसके 80 दिनों के बाद 'दीन' के महीने में 'मैध्यायिराया'[6]; और इसके 75 दिनों के बाद वर्ष के अंतिम पांच अंतर्विष्ट या गाथा दिनों में 'हमासपाथमेदाया'[7]।
- पारसी लोग गहंबर त्योहारों को दो चरणों में मनाते हैं। पहले चार पर्व-चर्क अनुष्ठानों के होते हैं- अफ़्रिंजान, जो प्रेम या प्रशंसा की प्रार्थना है; यजताओं या फ़्रावाशियों के सम्मान में की गई प्रार्थना बाज; प्रमुख पारसी अनुष्ठान यस्ना, जिसमें पवित्र मदिरा 'हाओमा' अर्पित की जाती है और पावी, जिसमें पुरोहित तथा आस्थावान लोग संयुक्त रूप से देवताओं और आत्माओं के सम्मान में प्रार्थना करते हैं। इसके बाद विधिवत भोज होता है, जिसमें पहले के पर्व-चक्रों में अर्पित वस्तुओं को आनुष्ठानिक पवित्रता के साथ खाया जाता है।
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