श्रीनग

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:16, 29 अगस्त 2014 का अवतरण (''''श्रीनग''' अथवा 'श्रीशैल' (श्रीपर्वत)। जैन त...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

श्रीनग अथवा 'श्रीशैल' (श्रीपर्वत)। जैन तीर्थ के रूप में इसका उल्लेख 'तीर्थमालाचैत्यवंदन' में है-

'विंध्यस्थंभन शीट्ठमीट्ठ नगरे राजद्रहे श्रीनगे।'[1]


इन्हें भी देखें: जैन धर्म, तीर्थंकर एवं जैन दर्शन का उद्भव और विकास


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 919 |

संबंधित लेख