बेट द्वारका
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बेट द्वारका गुजरात के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। 'कच्छ की खाड़ी' में एक छोटे-से टापू पर बेट द्वारका बसी है। द्वारका का तीर्थ करने के बाद यात्री बेट द्वारका जाते हैं। इसके दर्शन के बिना द्वारका का तीर्थ पूरा नही होता। इस जगह पर पानी के रास्ते भी जा सकते हैं और जमीन के रास्ते भी।
- माना जाता है कि श्रीकृष्ण इस बेट द्वारका नाम के टापू पर अपने घरवालों के साथ सैर करने आया करते थे।
- यह टापू कुल सात मील लम्बा है और साथ ही पथरीला है।
- बेट द्वारका में कई तालाब हैं, जैसे- 'रणछोड़ तालाब', 'रत्न तालाब', 'कचौरी तालाब' और 'शंख तालाब'। इनमें रणछोड तालाब सबसे बड़ा है। इसकी सीढ़ियाँ पत्थर की हैं। जगह-जगह नहाने के लिए घाट बने हैं।
- इन तालाबों के आस-पास बहुत-से मन्दिर हैं। इनमें 'मुरली मनोहर', 'नीलकण्ठ महादेव', 'रामचन्द्रजी' और 'शंख-नारायण' के मन्दिर प्रमुख हैं।
- लोग इन तालाबों में स्नान करते हैं और मन्दिर में फूल आदि चढ़ाते हैं।
- मान्यता है कि बेट द्वारका ही वह जगह है, जहां भगवान कृष्ण ने अपने प्यारे भगत 'नरसी' की हुण्डी भरी थी।
- बेट द्वारका के टापू का पूरब की तरफ़ का जो कोना है, उस पर राम के भक्त हनुमान का बहुत बड़ा मन्दिर है। इसीलिए इस ऊंचे टीले को "हनुमानजी का टीला" कहा जाता है।
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