जहाँगीर महल, ओरछा
जहाँगीर महल मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान ओरछा में स्थित है।
इतिहास
ओरछा के राजा वीर सिंह जू देव के शासनकाल में एक बार दुर्भिक्ष पड़ गया, तभी धर्म भीरुओं की सलाह पर महाराज ने सन् 1518 ई. में ईष्टपूर्ति यज्ञ करके 52 इमारतों का शिलान्यास किया था। ओरछा स्टेट गजेटियर के पृष्ठï 23 पर इस बात का स्पष्ट उल्लेख है। 33 लाख की लागत से निर्मित मथुरा में केशव देव का मंदिर जिसकी विशालता और भव्यता को सहन न कर सकने के कारण धर्मांध औरंगजेब ने सन् 1669 में उसे तुड़वा दिया था। झांसी का दृढ़तम किला जहां से सन् 1857 के गदर में महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों पर गोले बरसाये थे। दतिया का वीरसिंह देव महल जो नौ खंडों का विशालकाय भवन है एवं ओरछा का जहांगीर महल इन 52 इमारतों में विशेष रूप से उल्लेखनीय है।[1]
स्थापना
सन् 1518 में निर्मित जहाँगीर महल वीरसिंह देव ने अपने परम मित्र बादशाह जहांगीर, जिनका एक नाम सलीम भी था, के लिए बनवाया था। जहांगीर तथा वीरसिंह देव की प्रगाढ़ मैत्री इतिहास प्रसिद्ध है। महल का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर था किन्तु बाद में पश्चिम की ओर से एक प्रवेश द्वार बनवाया गया है। आजकल पूर्व वाला प्रवेश द्वार बंद रहता है तथा पश्चिम वाला प्रवेश द्वार पर्यटकों के आवागमन के लिए खोल दिया गया है।[1]
पर्यटन स्थल
पर्यटकों के विशेष आग्रह पर पुरातत्व विभाग के कर्मचारीगण पूर्व वाला प्रवेश द्वार भी कभी खोल देते हैं जहां से मनोहारी दृश्यों का अवलोकन कर मन प्रकृति में डूब सा जाता है। यहां से नदी, पहाड़ एवं ओरछा के सघन वनों के ऐसे रम्य दृश्य दिखाई देते हैं कि पर्यटकों की सारी थकान स्वत: ही दूर हो जाती है। महल के मुख्य द्वार पर पत्थर के विशाल हाथी खड़े हुए हैं। वहीं चारों ओर से खुला हुआ विशाल तोपखाना है। यह तोपखाना सुरक्षा तथा सामरिक दृष्टि से बड़े महत्व का है। अत्यन्त शक्तिशाली दुश्मन भी इस तोपखाने की अवस्थित देखकर आक्रमण करने का दुस्साहस नहीं कर सके। महल की भव्यता देखते ही बनती है। महल के अंदर एक सी कतारों में सैकड़ों कमरे बने हुए हैं। इन संगमरमर के कमरों को देखकर आंखें चौंधियां जाती हैं। चारों ओर के कमरों से घिरा हुआ विशाल प्रांगण है। महल के ऊपरी भागों में भी अनेक कमरे हैं तथा महल के पश्चिमी भाग में भूलभुलैया बनी हुई है। महल के अन्तर्गत में तलघर है जहां से रास्ते जमीन के अंदर से होकर अन्य महलों के लिए जाते हैं। यह महल भारत की स्थापत्य कला का एक श्रेष्ठ नमूना है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 सिंह, डॉ. विभा। ओरछा : स्थापत्य कला का अजब नमूना (हिन्दी) दैनिक ट्रिब्यून। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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