धन थोरो, इज्जत बड़ी -रहीम

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धन थोरो, इज्जत बड़ी, कहि ‘रहीम’ का बात।
जैसे कुल की कुलबधू, चिथड़न माहिं समात ॥

अर्थ

पैसा अगर थोड़ा है, पर इज्जत बड़ी है, तो यह कोइ निन्दनीय बात नहीं । खानदानी घर की स्त्री चिथड़े पहनकर भी अपने मान की रक्षा कर लेती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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