कोउ रहीम जहिं काहुके -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:05, 13 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> कोउ ‘रहीम’ जहिं काहुके, द्वार गए पछीताय ।<br...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

कोउ ‘रहीम’ जहिं काहुके, द्वार गए पछीताय ।
संपति के सब जात हैं, बिपति सबै ले जाय ॥

अर्थ

किसी के दरवाजे पर जाकर पधताना नहीं चाहिए। धनी के द्वार तो सभी जाते हैं। यह विपत्ति कहाँ-कहाँ नहीं ले जाती है।


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख