रहिमन तीन प्रकार ते -रहीम
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‘रहिमन’ तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि ।
पर-बस परे, परोस-बस, परे मामिला जानि ॥
- अर्थ
क्या तो हित है और क्या अनहित, इसकी पहचान तीन प्रकार से होती है : दूसरे के बस में होने से, पड़ोस में रहने से और मामला मुकदमा पड़ने पर।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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