रहिमन रिस को छाँड़ि के -रहीम

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‘रहिमन’ रिस को छाँड़ि के, करौ गरीबी भेस ।
मीठो बोलो, नै चलो, सबै तुम्हारी देस ॥

अर्थ

क्रोध को छोड़ दो और गरीबों की रहनी रहो। मीठे वचन बोलो और नम्रता से चलो, अकड़कर नहीं। फिर तो सारा ही देश तुम्हारा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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