ओछे को सतसंग -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:00, 28 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> ओछे को सतसंग, ‘रहिमन’ तजहु अंगार ज्यों ।<br />...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

ओछे को सतसंग, ‘रहिमन’ तजहु अंगार ज्यों ।
तातो जारै अंग , सीरे पै कारो लगे ॥

अर्थ

नीच का साथ छोड़ दो, जो अंगार के समान है। जलता हुआ अंगार अंग को जला देता है, और ठंडा हो जाने पर कालिख लगा देता है।


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख