तव रिपु नारि रुदन जल धारा
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तव रिपु नारि रुदन जल धारा
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | दोहा, चौपाई और सोरठा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | लंकाकाण्ड |
तव रिपु नारि रुदन जल धारा। भरेउ बहोरि भयउ तेहिं खारा॥ |
- भावार्थ
"परंतु आपके शत्रुओं की स्त्रियों के आँसुओं की धारा से यह फिर भर गया और उसी से खारा भी हो गया।" हनुमान की यह अत्युक्ति (अलंकारपूर्ण युक्ति) सुनकर वानर रघुनाथ की ओर देखकर हर्षित हो गए।
तव रिपु नारि रुदन जल धारा |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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