गयउ सभा दरबार तब
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गयउ सभा दरबार तब
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| कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
| मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
| मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
| प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
| शैली | दोहा, चौपाई और सोरठा |
| संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
| काण्ड | लंकाकाण्ड |
गयउ सभा दरबार तब सुमिरि राम पद कंज। |
- भावार्थ
राम के चरण कमलों का स्मरण करके अंगद रावण की सभा के द्वार पर गए और वे धीर, वीर और बल की राशि अंगद सिंह की-सी एड़ (शान) से इधर-उधर देखने लगे॥ 18॥
| गयउ सभा दरबार तब |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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