नीलगिरि ताहर
नीलगिरि ताहर भारत में पाये जाने वाले हिमालयी ताहर का दक्षिण भारतीय प्रतिरूप कहा जा सकता है। यह दक्षिण भारत में पाया जाने वाला एकमात्र पहाड़ी बकरा है। नीलगिरि ताहर का वैज्ञानिक नाम 'हिमीट्रेगस हाइलोक्रियस' है। स्थानीय लोग इसे 'वरैआहु' के नाम से पुकारते हैं। नीलगिरि ताहर तमिलनाडु का राज्य पशु है।
निवास स्थान
नीलगिरि ताहर घने जंगलों, पहाड़ी ढलानों और ऊँची-नीची चट्टानों के मध्य हिमालयी ताहर के समान अत्यन्त दुर्गम स्थानों पर रहता है। किन्तु यह हिमालयी ताहर से कम ऊँचे पर्वतीय भागों में अपना आवास बनाता है। यह 1200 मीटर से लेकर 1800 मीटर तक की ऊँचाई वाले पर्वतीय जंगलों में रहना पसन्द करता है। किसी समय नीलगिरि की पहाड़ियाँ, अन्नामलाई पहाड़ियों और पश्चिमी घाट के जंगलों में इसकी संख्या लाखों में थी, किन्तु नीलगिरि ताहर का इतना अधिक शिकार किया गया कि अब इसकी संख्या 400 से भी कम रह गई है।
वन्य जीवन
झुंड में रहने वाला नीलगिरि ताहर पहाड़ी जीवन जीने वाला वन्य जीव है। इसके समूह में सदस्यों की संख्या पांच से लेकर पचास तक हो सकती है। कभी-कभी इसके झुंड में सदस्यों की संख्या साठ अथवा इससे भी अधिक हो जाती है, किन्तु इतने बड़े झुंड अब देखने को नहीं मिलते। नीलगिरि ताहर के झुंड में अर्धवयस्क नर, मादाएं और उनके बच्चे साथ-साथ रहते हैं। हिमालयी ताहर के समान इनमें भी बड़े नर प्राय: घने जंगलों में अधिक गर्म स्थानों पर रहते हैं और अकेले ही विचरण करते हैं। ये कभी-कभी झुंड भी बना लेते हैं अथवा किसी झुंड में सम्मिलित हो जाते हैं। किन्तु गर्मियों के मौसम में इन्हें अकेले विचरण करते हुए भी देखा जा सकता है।
शारीरिक संरचना
नीलगिरि ताहर की शारीरिक संरचना हिमालयी ताहर के समान ही होती है तथा दोनों का स्वरूप भी लगभग एक ही होता है। हिमालय में पाये जाने वाले हिमालयी ताहर की गर्दन और कंधों पर काफ़ी घने और लम्बे बाल होते हैं। इस प्रकार के बाल नीलगिरि ताहर पर नहीं पाये जाते।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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