सीतामढ़ी
सीतामढ़ी (अंग्रेज़ी: Sitamarhi) भारत के मिथिला का प्रमुख शहर है, जो पौराणिक आख्यानों में सीता की जन्मस्थली के रूप में उल्लिखित है। त्रेतायुगीन आख्यानों में दर्ज यह हिंदू तीर्थ-स्थल बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
इतिहास
सीता के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और बाद में सीतामढ़ी पड़ा। यह शहर लक्षमना (वर्तमान में लखनदेई) नदी के तट पर अवस्थित है। रामायण काल में यह मिथिला राज्य का एक महत्वपूर्ण अंग था। 1908 ईस्वी में यह मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला का हिस्सा बना। स्वतंत्रता के पश्चात 11 दिसम्बर 1972 को इसे स्वतंत्र ज़िला का दर्जा प्राप्त हुआ। वर्तमान समय में यह तिरहुत कमिश्नरी के अंतर्गत बिहार राज्य का एक ज़िला मुख्यालय और प्रमुख पर्यटन स्थल है।
मुख्य मंदिर
नेपाल की पशुपतिनाथ की यात्रा करके लौटते समय सीतामढ़ी जनकपुर की यात्रा सुगम रहती है। यहाँ मुख्य मंदिर श्रीसीता जी का है। उसी घेरे में श्रीराम, लक्ष्मण, शिव तथा हनुमान जी के भी मंदिर हैं। श्रीसीता जी का आविर्भाव स्थल उर्विजा कुंड मंदिर के दक्षिण में है।
अन्य दर्शनीय स्थल
- जानकी मंदिर— सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से डेढ़ कि.मी. की दूरी पर बने जानकी मंदिर में स्थापित भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ है। यह सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर स्थित है।
- जनकपुर— सीतामढ़ी से लगभग 35 कि.मी. पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग 104 से भारत-नेपाल की सीमा पर भिट्ठामोड़ से जनकपुर जाया जा सकता है। यह सीमा खुली है तथा यातायात की अच्छी सुविधा है इसलिए राजा जनक की नगरी तक यात्रा करना आसान है। यह वही स्थान है जहां राजा जनक के द्वारा आयोजित स्वयंवर में शिव के धनुष को तोड़कर भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था।
- पुनौरा— यह स्थान पौराणिक काल में पुंडरिक ऋषि के आश्रम के रूप में विख्यात था। कुछ लोगों का मानमा है कि सीतामढ़ी से 5 कि.मी. पश्चिम स्थित पुनौरा में ही देवी सीता का जन्म हुआ था।
- हलेश्वर स्थान— सीतामढ़ी से 3 कि.मी. उत्तर पश्चिम में इस स्थान पर राजा जनक ने पुत्रेष्टि यज्ञ के पश्चात भगवान शिव का मंदिर बनवाया था जो हलेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध है।
- उर्बीजा कुंड— सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर उर्बीजा कुंड है। सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से डेढ़ कि.मी. की दूरी पर स्थित यह स्थल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए अति पवित्र है।
- पंथ पाकड़— सीतामढ़ी से 8 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में बहुत पुराना पाकड़ का एक पेड़ है जिसे रामायण काल का माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी सीता को जनकपुर से अयोध्या ले जाने के समय उन्हें पालकी से उतार कर इस वृक्ष के नीचे विश्राम कराया गया था।
पौराणिक कथा
महाराज निमि के वंश में उत्पन्न हृस्वरोमा के पुत्र राजा सीरध्वज जनक के समय में राज्य में अकाल पड़ा। वर्षा के निमित्त यज्ञ का निश्चय करके राजा स्वर्ण के हल से यज्ञभूमि जोत रहे थे। भूमि में हलाग्र लगने पर वहाँ से एक ज्योतिर्मयी कन्या प्रगट हुई। हलाग्र सीर लगने से उत्पन्न होने के कारण उनका नाम सीता पड़ा और उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम सीतामढ़ी पड़ा।
कैसे पहुँचे
रक्सौल-दरभंगा रेलवे लाइन पर सीतामढ़ी स्टेशन है। स्टेशन से यह मंदिर एक मील दूर है। यह स्थान बिहार राज्य के लगभग सभी स्थानों से रेल व बस मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
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