डॉ. सालिम अली राष्ट्रीय वन्यजीव फ़ेलोशिप पुरस्कार
डॉ. सालिम अली राष्ट्रीय वन्यजीव फ़ेलोशिप पुरस्कार (अंग्रेज़ी: Dr. Salim Ali National Wildlife Fellowship Award) भारत के पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार प्रत्येक दूसरे वर्ष दिया जाता है। इस पुरस्कार के लिए केवल भारतीय नागरिक ही पात्र है। राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित वन्य जीव विभागों के अधिकारियों को इस पुरस्कार के लिए वरीयता दी जाती है। पुरस्कार देने के लिए मंत्रालय द्वारा नामांकन आमंत्रित किये जाते हैं।
स्थापना
मंत्रालय द्वारा पक्षियों और स्तनधारी वन्यजीव पर अनुसंधान/प्रयोगात्मक परियोजनाओं के लिए 'डॉ. सालिम अली राष्ट्रीय वन्यजीव फ़ेलोशिप पुरस्कार' और 'श्री कैलाश सांखला राष्ट्रीय वन्यजीव फ़ेलोशिप पुरस्कार' की स्थापना क्रमश: 1995 और 1996 में की गई थी। ये पुरस्कार इन वन्यजीव संरक्षणवादियों की स्मृति में स्थापित किए गए हैं, ताकि देश की समृद्ध वन्यजीव विरासत के संरक्षण और विकास के लिए अनुसंधान/प्रयोगात्मक परियोजनाएं अपनाने में युवा पीढ़ी के वन्यजीव प्रबंधकों और वैज्ञानिकों को प्रेरणा मिले।[1]
समय
ये पुरस्कार हर दूसरे वर्ष दिए जाते हैं। डॉ. सालिम अली राष्ट्रीय वन्यजीव फ़ेलोशिप विषम अंक वाले वर्ष में और श्री कैलाश सांखला राष्ट्रीय वन्यजीव फ़ेलोशिप सम अंक वाले वर्ष में दिए जाते हैं।
पुरस्कार राशि
मंत्रालय ने फ़ेलोशिप राशि 4000 रुपया प्रतिमाह से बढ़ाकर 20,000 रुपया प्रतिमाह और फुटकर खर्च की राशि 18,000 प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 1,00,000 रुपया कर दी है। फ़ेलोशिप सामान्य तौर पर दो वर्ष के लिए होती है, लेकिन असाधारण स्थिति में इसे एक वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है। फ़ेलोशिप और फुटकर खर्च की राशि में बढ़ोतरी वन्यजीव प्रबंधन में युवा अनुसंधानकर्ताओं में रूचि पैदा करने के लिए की गई है।
प्राथमिकता
यदि पुरस्कार पाने वाला व्यक्ति नौकरी करता है तो वह वेतन के लाभ और अन्य भत्तों सहित इसे ले सकता है। पुरस्कार के लिए केवल भारतीय नागरिक ही पात्र हैं और राज्य सरकारों, केंद्र शासित क्षेत्रों के वन और वन्यजीव विभागों के अधिकारियों को इसमें वरीयता दी जाती है, ताकि उनमें वैज्ञानिक रूझान बना रहे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ डॉ. सालिम अली राष्ट्रीय वन्यजीव फ़ेलोशिप पुरस्कार (हिंदी) pib.nic.in। अभिगमन तिथि: 01 जनवरी, 2017।