अनुशीलन समिति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:02, 18 अप्रैल 2017 का अवतरण (''''अनुशीलन समिति''' (अंग्रेज़ी: ''Anushilan Samiti'') औपनिवेशिक क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

अनुशीलन समिति (अंग्रेज़ी: Anushilan Samiti) औपनिवेशिक काल में भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बंगाल में बनाई गई अंग्रेज़ विरोधी क्रांतिकारी गुप्त संस्था थी। इस समिति का उद्देश्य 'वन्दे मातरम्' के प्रणेता और प्रख्यात बांग्ला उपन्यासकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के बताये गये मार्ग का 'अनुशीलन' करना था।

अनुशीलन का अर्थ

अनुशीलन का अर्थ है-

  1. चिंतन, मनन
  2. बार-बार किया जाने वाला अध्ययन या अभ्यास
  3. किसी ग्रन्थ तथ्य विषय के सब अंगों तथा उपांगों पर बहुत ही सूक्ष्म दृष्टि से विचार करना और उनसे परिचित होना।

स्थापना

सतीश चन्द्र बसु ने 24 मार्च, 1902 को अनुशीलन समिति की संस्थापना की थी। बंगाल में 20वीं शताब्दी के आरम्भ में ही क्रांतिकारियों ने संगठित होकर कार्य करना आरम्भ कर दिया था। सन 1902 में कोलकाता में अनुशीलन समिति के अन्तर्गत तीन समितियाँ कार्य कर रहीं थीं। इस अनुशीलन समिति की स्थापना कोलकाता के बैरिस्टर प्रमथ मित्र ने की थी। इन तीन समितियों में से पहली समिति प्रमथ मित्र की थी, दूसरी समिति का नेतृत्व सरला देवी नामक एक बंगाली महिला के हाथों में था तथा तीसरी के नेता अरविन्द घोष थे, जो उस समय उग्र राष्ट्रवाद के सबसे बड़े समर्थक थे।

अनुशीलन समिति का आरम्भ सन 1902 में अखाड़ों से हुआ। इसके दो प्रमुख रूप थे- 'ढाका अनुशीलन समिति' तथा 'युगान्तर'। यह बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में समूचे बंगाल में कार्य कर रही थी। पहले कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) और उसके कुछ बाद में ढाका इसके दो ही प्रमुख गढ़ थे। इसका आरम्भ अखाड़ों से हुआ। बाद में इसकी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे बंगाल में हो गया। इसके प्रभाव के कारण ही ब्रिटिश भारत की सरकार को बंग भंग का निर्णय वापस लेना पड़ा था।

युगान्तर के प्रमुख सदस्य

  1. भूपति मजुमदार (1890–1970)
  2. शिवदास घोष (1923–1976)
  3. अतुलकृष्ण घोष
  4. अमरेन्द्र नाथ चटर्जी (1880–1957)
  5. यदुगोपाल मुखर्जी (1886–1976)
  6. भवभूषण मित्र (1888–1965)
  7. बिपिन बिहारी गांगुली (1887–1954)
  8. पूर्णचन्द्र दास
  9. नरेन्द्र घोष चौधुरी (1894–1956)
  10. किरण चन्द्र मुखर्जी (1883–1954)
  11. हरिकुमार चक्रवर्ती (1882–1963)
  12. गोपेन राय
  13. जीवनलाल चटर्जी
  14. देवव्रत बोस (स्वामी प्रज्ञानन्द)
  15. उल्लासकर दत्त
  16. यतीन्द्रनाथ मुखर्जी (बाघा जतिन) (1879–1915)
  17. रास बिहारी बोस (1885–1945)
  18. नलिनीकान्त कर
  19. भूपेन्द्र कुमार दत्त (1894–1979)
  20. निखिल मुखर्जी (1919–2010)
  21. निहार मुखर्जी
  22. सुरेन्द्र मोहन घोष (मधु घोष) (1893–1976)
  23. सतीश चन्द्र मुखर्जी (स्वामी प्रज्ञानानन्द) (1884–1921)
  24. मनोरंजन गुप्त (1890–1976)
  25. अरुण चन्द्र गुहा (जन्म 1892)
  26. तारकनाथ दास
  27. नानीगोपाल सेनगुप्त
  28. हेमेन्द्रकिशोर आचार्य चौधुरी (1881–1938)
  29. नरेन्द्र भट्टाचार्य उपाख्य एम एन राय (1887–1954)

गतिविधियाँ

इस समिति की प्रमुख गतिविधियों में स्थान-स्थान पर शाखाओं के माध्यम से नवयुवकों को एकत्र करना, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि वे अंग्रेज़ों का डटकर मुकाबला कर सकें। उनकी गुप्त योजनाओं में बम बनाना, शस्त्र-प्रशिक्षण देना व दुष्ट अंग्रेज़ अधिकारियों वध करना आदि सम्मिलित थे। अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य उन भारतीय अधिकारियों का वध करने में भी नहीं चूकते थे, जिन्हें वे 'अंग्रेज़ों का पिट्ठू' व 'हिन्दुस्तान का गद्दार' समझते थे। इसके प्रतीक-चिन्ह की भाषा से ही स्पष्ठ होता है कि वे इस देश को एक (अविभाजित) रखना चाहते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख