देवदास (1955 फ़िल्म)

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देवदास (1955 फ़िल्म)
देवदास का पोस्टर
देवदास का पोस्टर
निर्देशक बिमल रॉय
निर्माता बिमल रॉय
कहानी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास 'देवदास' पर आधारित
पटकथा नबेंदु घोष
संवाद राजिंदर सिंह बेदी
कलाकार दिलीप कुमार, वैजयंती माला, सुचित्रा सेन, मोतीलाल, मुराद
प्रसिद्ध चरित्र देवदास
संगीत सचिन देव बर्मन
गीतकार साहिर लुधियानवी
गायक तलत महमूद, लता मंगेशकर, मन्ना डे, गीता दत्त, मोहम्मद रफ़ी
प्रदर्शन तिथि 1 जनवरी, 1955
अवधि 159 मिनट
भाषा हिंदी
पुरस्कार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार- तीसरी सर्वश्रेष्ठ हिंदी फ़िल्म

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, अभिनेता, सहायक अभिनेता, सहायक अभिनेत्री

संबंधित लेख देवदास (1936)
सिनेमैटोग्राफ़र कमल बोस
स्टूडियो महबूब स्टूडियो, फ़िल्मीस्तान

देवदास (अंग्रेज़ी: Devdas) वर्ष 1955 में प्रदर्शित हिंदी सिनेमा इतिहास की यादगार फ़िल्म है। यह फ़िल्म दिलीप कुमार के करियर में मील का पत्थर साबित हुई। इस फ़िल्म में दो नायिकायें सुचित्रा सेन और वैजयंती माला थीं। इसमें चंद्रमुखी बनी थीं वैजयंती माला और सुचित्रा सेन ने पारो का रोल निभाया था। चुन्नी बाबू की भूमिका में मोतीलाल थे। देवदास फ़िल्म की गिनती निर्देशक बिमल रॉय की बेहतरीन फ़िल्मों में होती है। यह फ़िल्म शरतचंद्र के उपन्यास पर आधारित थी।

निर्देशक बिमल रॉय की बेटी व उनके कामों को समर्पित प्रतिष्ठान की संस्थापक 'रिंकी रॉय भट्टाचार्य' के अनुसार ' बिमल रॉय प्रमथेश बरुआ वाली 'देवदास' के असिस्टेंट कैमरामैन व सहगल वाली 'देवदास' के कैमरामैन थे, और तभी से इसकी कहानी उनके मन में समाई हुई थी, दरअसल वे शरतचंद्र की कहानियों को बेहद पसंद करते थे। शरतचंद्र की तीन कहानियों, परिणीता, देवदास और बिराज बहू पर उन्होंने फ़िल्में बनाई। देवदास का चरित्र किसी भी निर्देशक के लिए एक चुनौती है। इस एक कहानी पर अलग-अलग भाषाओं, मसलन बांगला, हिंदी, तमिल या तेलेगू में कितनी फ़िल्में बन चुकी हैं[1]

कथानक

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की पुस्तक देवदास[2] 1917 में प्रकाशित हुई थी। उनकी यह रचना भले ही बंगला और विश्व साहित्य की सौ महान् कृतियों में स्थान नहीं रखती हो, लेकिन फ़िल्मों में उसके बार-बार के रूपांतर से ऐसा लगता है कि मूल उपन्यास और उसके किरदारों में ऐसे कुछ लोकप्रिय तत्व हैं, जो आम दर्शकों को रोचक लगते हैं।[3]

संवाद

निर्देशक बिमल राय का दिलीप कुमार वाला रीमेक अपने संवादोँ के कारण बहुत लोकप्रिय हुआ।[4]

मुख्य कलाकार

फ़िल्म 'देवदास' में दिलीप कुमार और सुचित्रा सेन

गीत-संगीत

फ़िल्म का संगीत सचिन देव बर्मन ने दिया और साहिर लुधियानवी ने फ़िल्म के गीत लिखे। बिमल राय ने फ़िल्म 'देवदास' के लिए सलिल चौधरी की जगह सचिन देब बर्मन को बतौर संगीतकार चुना। इस फ़िल्म में दो गीत ऐसे थे जो बाउल संगीत शैली के थे। दोनों ही गीत मन्ना डे और गीता दत्त की आवाज़ों में था, इनमें से एक गीत "आन मिलो आन मिलो श्याम सांवरे" हैं, दूसरा गीत है "साजन की हो गई गोरी"। इस गीत का फ़िल्मांकन कुछ इस तरह से किया गया है कि पारो (सुचित्रा सेन) आंगन में गुमसुम बैठी है, और एक बाउल जोड़ी उसकी तरफ़ इशारा करते हुए गाते हैं "साजन की हो गई गोरी, अब घर का आंगन बिदेस लागे रे"। साहिर लुधियानवी नें कितने सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है इस गीत में और बंगाल का वह बाउल परिवेश को कितनी सुन्दरता से उभारा गया है इस गीत में।[5]

क्रमांक गीत गायक / गायिका
1. मितवा लगी ये कैसी तलत महमूद
2. किसको खबर थी तलत महमूद
3. जिसे तू कबूल कर ले लता मंगेशकर
4. अब आगे तेरी मर्ज़ी लता मंगेशकर
5. ओ जाने वाले रुक जा लता मंगेशकर
6. वो ना आयेंगे पलटकर मुबारक बेगम
7. आन मिलो आन मिलो श्याम सांवरे मन्ना डे और गीता दत्त
8. साजन की हो गयी गोरी मन्ना डे और गीता दत्त
9. मंज़िल की चाह में मोहम्मद रफ़ी और कोरस

सम्मान और पुरस्कार


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हैमलेट सरीखा चरित्र है देवदास (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21दिसम्बर, 2012।
  2. देवदास (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21दिसम्बर, 2012।
  3. ...और कितने देवदास (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21दिसम्बर, 2012।
  4. रीमेक, सीक्वैल, प्रीक्वेल, इंटरक्वैल, मिडक्वैल… (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21दिसम्बर, 2012।
  5. साजन की हो गयी गोरी...सुन्दर बाउल संगीत पर आधारित देवदास की अमर गाथा से ये गीत (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 21दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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