संकल्प शक्ति -विनोबा भावे

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:10, 1 अगस्त 2017 का अवतरण (Text replacement - " महान " to " महान् ")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
संकल्प शक्ति -विनोबा भावे
विनोबा भावे
विनोबा भावे
विवरण विनोबा भावे
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक विनोबा भावे के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

बात विनोबा भावे के बचपन की है। गली में खेलते बच्चों में बात चली कि उन के पूर्वजों में कौन-कौन विशिष्ट व महान् व्यक्ति हुए हैं।
प्रत्येक बालक अपने किसी न किसी पूर्वज का नाम बताता और उन की महानता की शेखी बघारता।

बालक विनोबा चुपचाप उन की बातें सुनता रहा। जब उस का नंबर आया तो वह कुछ न बोला, लेकिन मन ही मन उस ने दृढ संकल्प कर लिया, "अगर मेरे पूर्वजों में से कोई महान् संत नहीं बना तो क्या हुआ, मैं स्वयं ऐसा बन कर दिखाऊंगा"।

अपने इस संकल्प की सिद्धि के लिए उस ने प्रखर पुरुषार्थ शुरू कर दिया और लग गया इस की सिद्धि में। यही बालक आगे चल कर महान् संत विनोबा भावे के नाम से प्रसिद्ध हुआ।



विनोबा भावे से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए विनोबा भावे के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख