प्रयोग:कविता1
जन्म: 19 नवंबर 1959
व्यवसाय/पद: अमलगमेशंस ग्रुप की सिरमौर कंपनी टैफे की चेयरपर्सन-सीईओ।
उपलब्धि: 2014 में पद्मश्री सम्मान, एशिया की 50 पावरफुल बिजनेस वुमन में शुमार, बीबीसी एवं इकोनामिक टाइम्स द्वारा बिजनेस वुमेन ऑफ द ईयर अवार्ड ।
मल्लिका श्रीनिवासन (अंग्रेजी: Mallika Srinivasan, जन्म: 19 नवंबर, 1959, चेन्नई) ट्रैक्टरएंड फॉर्म इक्यूपमेंट (टैफे) लिमिटेड की चेयरमैन तथा भारत की सबसे प्रभावी महिला बिजनेस लीडर्स में से एक हैं। मल्लिका ने वाजिब दाम में क्वालिटी ट्रैक्टर बनाकर दुनिया भर में प्रसिद्धि अर्जित की है। व्हॉर्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए, मल्लिका AGCO कारपोरेशन और टाटा स्टील के साथ-साथ टाटा ग्लोबल बेवरेजेज के बोर्ड की सदस्य भी हैं। लीडरशिप और उद्यमिता के लिए उन्हें बीबीसी ने ‘फर्स्ट बिजनेस वूमेन ऑफ ईयर अवॉर्ड फॉर इंडिया’ से सम्मानित किया है। मशहूर पत्रिका फ़ोर्ब्स इंडिया ने उनको एशिया के टॉप-50 बिजनेस वीमेन की सूची में और फॉरच्यून इंडिया ने भारत की दूसरी सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया है। इसके अलावा इकोनॉमिक्स टाइम्स (बिजनेस वीमेन ऑफ ईयर), बिजनेस टुडे (पावरफुल वीमेन ऑफ इंडिया), और एनडीटीवी (बिजनेस थॉट लीडर) ने भी सम्मानित किया है। ‘टी वी इस मोटर्स’ के सी एम डी वेणु श्रीनिवासन उनके पति हैं।
जीवन परिचय
19 नवंबर 1959 को जन्मी, मल्लिका दक्षिण भारतीय उद्योगपति शिवशैलम की सबसे बड़ी बेटी हैं। मद्रास विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए विदेश चली गयीं। उन्होंने अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। भारत वापस आने के बाद वह परिवार के व्यवसाय में शामिल हो गयीं।
कॅरियर
27 साल की उम्र में वर्ष 1986 में वह टैफे में शामिल हो गयीं। कंपनी में शामिल होने के बाद मल्लिका ने शुरू से ही सहज व सात्विक कारोबारी रणनीति अपनाई। जब उन्होंने ने टैफे ज्वाइन किया था उस समय कंपनी का टर्नओवर लगभग 85 करोड़ रूपए था और आज के समय में यह बढ़कर लगभग 160 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है। अपने पिता और टैफे टीम के समर्थन और मार्गदर्शन से मल्लिका एक के बाद एक सकारात्मक परिवर्तन लाती गयीं और धीरे-धीरे टैफे ने अपने कारोबार को बहुत क्षेत्रों में डाइवर्सिफाई कर लिया जिसमें प्रमुख हैं ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, डीजल इंजन, इंजीनियरिंग प्लास्टिक, हाइड्रोलिक पंपों और सिलेंडर, बैटरी, ऑटोमोबाइल फ्रेंचाइजी और वृक्षारोपण। अपनी कड़ी मेहनत, विश्वास और लगन से मल्लिका ने टैफे को एक ऐसी कंपनी बना दिया जो उच्च तकनीक पर आधारित थी। हालाँकि ये सब उतना आसान नहीं था, जितना आज दिखाई देता है। एक समय ऐसा भी आया जब उनको चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की पुरानी तकनीक को बदलना। मल्लिका कहती हैं, “भारतीय किसान डिमांडिंग हैं और अपना पैसा खर्च करने के मामले में अत्यंत चतुर। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी ट्रैक्टर की सालों पुरानी तकनीक, डिजाइन व मॉडल को बदलना। उनमें नए-नए फीचर्स जोड़ना, पर लागत व मूल्य न बढ़ने देना।’’ 90 के दशक में ट्रैक्टर मार्केट भी मंदी की गिरफ्त में आ गया। ऐसे कठिन समय में मल्लिका ने सूझ-बूझ का परिचय दिया और बिजनेस ग्रोथ, टर्न ओवर व मार्जिन को दांव पर लगाकर प्रोडक्शन घटा दिया। उन्होंने अपने डीलर्स को विश्वास दिलाया कि कंपनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उनके साथ है। इस सोच ने टैफे की मार्केट में साख बढ़ाई।
वर्ष 2005 में उन्होंने आयशर के ट्रैक्टर्स इंजन व गीयर्स कारोबार को खरीद लिया। इससे टैफे को दो फायदे हुए। एक, कम हॉर्स पावर के ट्रैक्टर मार्केट में एंट्री मिली और दूसरे, अमेरिकी बाजार में घुसपैठ हुई। इस अधिग्रहण के साथ कंपनी दक्षिण भारतीय न रहकर राष्ट्रीय बन गई और टैफे ट्रैक्टर मार्केट में दूसरे (प्रथम महिंद्रा एंड महिंद्रा) नंबर पर आ गया। कंपनी का कारोबार लगभग 67 देशों में पहुंचा। वन बिलियन डॉलर कंपनी बनने के साथ-साथ टैफे ट्रैक्टर व फार्म इक्विपमेंट उद्योग की ग्लोबल खिलाड़ी बन गई।
मल्लिका ने उद्योग भारतीय उद्योग जगत के कई संघों जैसे ‘ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया’ और ‘मद्रास चैंबर ऑफ़ कॉमर्स’ का नेतृत्व किया है और भारतीय उद्योग परिसंघ, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान जैसे संघों में विभिन्न पदों पर कार्य किया है
मल्लिका श्रीनिवासन के नेतृत्व में टैफे विश्व की शीर्ष तीन ट्रैक्टर विनिर्माता और भारत की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्यातक कंपनी के रूप में उभरकर सामने आई है। भारतीय उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र में अपने योगदान के कारण सुश्री मल्लिका एक प्रतिष्ठित नाम है। उन्हें आपरेशंस में सर्वोत्कृष्टता, कृषि मशीनरी बिजनेस पुनर्परिभाषित करने और उच्च गुणवत्तायुक्त व प्रासंगिक उत्पाद प्रदान करने की टीएएफई की क्षमताओं का लाभ उठाकर भारतीय कृषि के क्षेत्र में परिवर्तन लाने व ग्राहक फोकस के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।
समाज सेवा के कार्य
भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के विकास को सुनिश्चित करने में उनकी खास रुचि है और इसी दिशा में उन्होंने शंकर नेत्रालय, चेन्नई, में कैंसर अस्पताल और तिरुनेलवेली जिले में शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े हुए कई संगठनों की मदद की है।
पुरस्कार और सम्मान
भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए उनको ढेर सारे पुरस्कार और सम्मान दिए गए हैं। वे इस प्रकार हैं:
- 1999 में बी बी सी द्वारा ‘फर्स्ट बिज़नेस वीमेन ऑफ़ द ईयर अवार्ड फॉर इंडिया’
- 2005 मे ज़ी अस्तित्व पुरस्कार
- 2005 में आईआईएम लखनऊ (विजयपत सिंघानिया पुरस्कार) द्वारा ‘नेशनल लीडरशिप पुरस्कार’
- 2005-2006 में इकनोमिक टाइम्स द्वारा ‘बिज़नेस वुमन ऑफ़ थे ईयर’
- 2007 में पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस ने उन्हें 125 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूचि में शामिल किया
- 2004-2010: बिज़नेस टुडे द्वारा ’25 मोस्ट पावरफुल वीमेन इन इंडियन बिज़नेस’ के सूचि में लगातार 7 साल तक रहीं
- 2010 में मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा ‘वीमेन’स डे अवार्ड’ दिया गया
- 2010 में इंडिया टुडे द्वारा ’25 पावर वीमेन’ के सूचि में शामिल
- 2010 में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें ‘इंडिया इंक मोस्ट पावरफुल वीमेन लीडर्स’ चुना
- 2011 में अर्न्स्ट एंड यंग ने ‘एंट्रेप्रेनुएर ऑफ़ द ईयर’ चुना
- 2012 में फ़ोर्ब्स एशिया पत्रिका ने उन्हें एशिया के ’50 पावर वीमेन’ के सूचि में रखा
- 2012 में द इकनोमिक टाइम्स ने उन्हें ‘इंडिया इंक्स मोस्ट पावरफुल CEOs 2012′ और ‘टॉप वीमेन CEOs’ चुना
- 2012 में फ़ोर्ब्स इंडिया ने उन्हें ‘फ़ोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड्स 2012′ में ‘वीमेन लीडर ऑफ़ द ईयर’ चुना
- 2012 में फार्च्यून इंडिया ने उन्हें ‘इंडिया’ज़ मोस्ट पावरफुल वीमेन इन बिज़नेस’ की सूचि में दूसरे स्थान पर रखा
- 2013 में ‘एनडीटीवी प्रॉफिट बिज़नेस लीडरशिप अवार्ड्स’ में उन्हें ‘बिज़नेस थॉट लीडर ऑफ़ द ईयर 2012′ चुना गया
- 2014 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया