राखीगढ़ी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
राखीगढ़ी और उसके अवशेष

राखीगढ़ी (अंग्रेज़ी:Rakhigarhi) हरियाणा के हिसार ज़िले में सरस्वती तथा दृषद्वती नदियों के शुष्क क्षेत्र में स्थित एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है। राखीगढ़ी सिन्धु सभ्यता का भारतीय क्षेत्रों में धोलावीरा के बाद दूसरा विशालतम ऐतिहासिक नगर है। राखीगढ़ी का उत्खनन व्यापक पैमाने पर 1997-1999 ई. के दौरान अमरेन्द्र नाथ द्वारा किया गया। राखीगढ़ी से प्राक्-हड़प्पा एवं परिपक्व हड़प्पा युग इन दोनों कालों के प्रमाण मिले हैं। राखीगढ़ी से महत्त्वपूर्ण स्मारक एवं पुरावशेष प्राप्त हुए हैं, जिनमें दुर्ग-प्राचीर, अन्नागार, स्तम्भयुक्त वीथिका या मण्डप, जिसके पार्श्व में कोठरियाँ भी बनी हुई हैं, ऊँचे चबूतरे पर बनाई गई अग्नि वेदिकाएँ आदि मुख्य हैं।

राखी शाहपुर

राखीगढ़ी को राखी शाहपुर के नाम से जाना जाता है और राखी खास, हिसार जिले का एक गांव है। इसका ऐतिहासिक महत्व, 1963 में पलही खुदाई और 1997 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के माध्यम से की खुदाई के दौरान खोज की गयी थी। माना जाता है कि वर्तमान में गांव उस जगह पर है जहाँ 2,000 ईसा पूर्व के आसपास सरस्वती नदी सूख गयी थी। यह गाँव 2.2 किमी वर्ग में फैला हुआ है और हड़प्पा और सिंधु घाटी सभ्यता का एक हिस्सा भी है। ऐतिहासिक राखीगढ़ी 224 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और देश में सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है और सबसे बड़ी साइट मोहनजोदड़ो से भी बड़ा है। खुदाई में सिंधु घाटी सभ्यता की उन दिनों में उन्नति का खुलासा हुआ। उत्खनन में ईंट से बनी सीवेज लाइन, मिट्टी की मूर्तियां, पीतल की कलाकृतियां, वजन, पीतल और सुइयों से बने मछली हुक और नालियों पाया गया। अन्य महत्वपूर्ण खोज थीं- पीतल के बर्तन पर सोने और चांदी का काम, लगभग 3,000 अर्द्ध कीमती पत्थरों से युक्त एक सोने की ढलाई, कब्रिस्तान में 11 कंकाल, टेराकोटा चूड़ियाँ, शंख, सोने के आभूषण और कई और अधिक चीज़ें, उनमें से कुछ 5000 साल से अधिक पुराने थे।[1]

हड़प्पा सभ्यता का मेगा सिटी

हड़प्पा संस्कृति को लेकर राखीगढ़ी दुनिया का सबसे बड़ा स्थल है। अब तक हड़प्पा संस्कृति की ये साइट 5 हजार वर्ष पुरानी मानी जाती थी लेकिन अब इतिहास बदलने वाला है। इस साइट की खुदाई व यहाँ मिले नरकंकालों के डीएनए से वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ये साइट 7 हजार वर्ष पुरानी है। खुदाई के दौरान निकले घरों व नालियों से ये साबित होता है कि राखीगढ़ी उस समय का मेगा सिटी शहर था और इस शहर को काफी आधुनिक तरीके से बसाया गया था। इस सभ्यता से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं क्योंकि उस समय के लोग हर कार्य में काफी विकसित थे। अध्ययन में यह भी पता चला कि आज के समय जो मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं वो उसी सभ्यता जैसे हैं। उस समय बर्तनों पर की गई चित्रकारी आज भी वैसी ही है।

14 पीढ़ियों के होने के सबूत मिले

ये साइट 550 हेक्टेयर में फैली हुई है और सबसे पहली खुदाई 1997 में यहां की गई थी। खुदाई के बाद पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना था कि ये साइट 5 हजार वर्ष पुरानी है लेकिन पिछले साल हुई खुदाई के दौरान कुछ अहम तथ्य सामने आए थे। खुदाई के दौरान ऊपर से नीचे तल तक की मिट्टी के सैम्पल लिए गए थे। उससे साबित हुआ था कि इस संस्कृति के यहां पर 14 पीढ़ियों के होने के सबूत मिले हैं। मिट्टी के नमूनों की जांच के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि ये साइट पूरी दुनिया की सबसे बड़ी और अहम साइट है और यह 5 हजार साल पुरानी नहीं बल्कि 7 हजार साल पुरानी है।[2]

प्राचीन सभ्यता का विकसित नगर

हरियाणा के हिसार से करीब 42 किलोमीटर हांसीजींद रोड पर राखीगढ़ी गांव में मिले हजारों साल पुरानी सभ्यता के अवशेष उत्सुकता जगाने वाले हैं। पुरातत्त्व में रुचि रखने वाले कुछ लोग दूरदूर से यहां आ रहे हैं। आबादी से सटे हुए एक टीले पर उत्खनन का काम चल रहा है। पुरातत्त्ववेत्ता टीले के नीचे 3-3 सभ्यताओं का दावा कर रहे हैं। इस उत्खनन से पुरातत्त्ववेत्ताओं को 2,500 से 5 हजार साल पुरानी सभ्यताओं के प्रमाण मिल रहे हैं। पुरातत्त्ववेत्ता भारतीय उपमहाद्वीप में हड़प्पा सभ्यता की 5 बड़ी आबादी में से एक राखीगढ़ी के होने का दावा कर रहे हैं। सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन नदीघाटी सभ्यताओं में से एक है। इस का विकास सिंधु और घग्घर के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इस के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं। ब्रिटिशकाल में हुई खुदाई के आधार पर इतिहासकारों और पुरातत्त्ववेत्ताओं का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे व उजड़े थे। इस सभ्यता के खोजे गए केंद्रों में से ज्यादातर स्थल सरस्वती नदी और उस की सहायक नदियों के आसपास हैं। अभी तक कुल खोजों में से 3 फीसदी का भी उत्खनन नहीं हो पाया है।

राखी शाहपुर और राखीखास

पुरातत्त्ववेत्ताओं का मानना है कि इस सभ्यता का क्षेत्र विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं के क्षेत्र से कई गुना विशाल था। दरअसल, राखी-गढ़ी 2 जुड़वां गांव हैं। राज्य सरकार के राजस्व रिकार्ड में राखी शाहपुर और राखीखास 2 अलग-अलग गांव हैं, लेकिन दोनों गांवों के क्षेत्र में पुरानी विरासत मिलने के कारण पुरातत्त्व विभाग ने इन गांवों को अंतर्राष्ट्रीय विरासत के लिए एक ही नाम राखीगढ़ी दे दिया है। गांव के करीब 350 एकड़ में 9 टीले मिले हैं जो विशाल क्षेत्र में फैले हुए हैं। पुरातत्त्व विभाग ने इन टीलों को 1 से 9 नंबर तक नाम दे रखे हैं। हरेक टीले की अपनी अलग विशेषता है। इन में से 5 टीले एकदूसरे से जुड़े हुए हैं। इन में 2 टीले कम घनत्व आबादी क्षेत्र के हैं।

हर टीले की अपनी विशेषता

टीला नंबर 6 हड़प्पनों का आवासीय क्षेत्र था। इससे पता चलता है कि वे लोग कैसे रहते थे। टीला नंबर 4 से अनुमान है कि वे यहाँ कब, कैसे स्थापित हुए। पुरातत्त्ववेत्ताओं का अनुमान है कि जब ये बाशिंदे यहां आए थे तो टीला नंबर 6 पर बसे थे। यहाँ हड़प्पाकाल से पूर्व के तथ्य भी मिले हैं। टीला नंबर 7 में हाल ही में 4 नर कंकाल मिले हैं। इन में से 2 पुरुषों के 1 स्त्री का और 1 बच्चे का है। कंकाल के पास मिट्टी के बरतन और अनाज मिले हैं। चूडि़यां भी मिली हैं। कहा जा रहा है कि उस समय के लोग पुनर्जन्म में यकीन रखते थे। मृत आदमी की लंबाई 5 फुट 7 इंच, उम्र करीब 50 साल, औरत की लंबाई 5 फुट 4 इंच, उम्र करीब 30 साल और बच्चे की उम्र लगभग 10 साल होने का अनुमान है। यहाँ और भी कंकाल हैं। यह जगह शहर के बाहरी हिस्से में कब्रगाह थी। करीब 50 एकड़ क्षेत्र में फैले इस टीले में स्मारक भी मिले हैं। टाइगर की आकृति वाली मुहर भी मिली है जो व्यापार के लिए इस्तेमाल की जाती थी। विभिन्न प्रकार के औजार मिले हैं जो शिकार और मछली पकड़ने के काम आते थे। मछली पकड़ने के लिए तांबे के बने हुक मिले हैं। पौराणिक चरित्र वाले खिलौने प्राप्त हुए हैं। दरअसल, 1993 में पुरातत्त्व विभाग ने राखीगढ़ी की यह जमीन ले ली थी। इस से कुछ वर्ष पहले पता चला था कि राखीगढ़ी प्राचीन हड़प्पा, मोहनजोदड़ो सभ्यता का विशाल हिस्सा है। 2012 से पुरातत्त्व विभाग के साथ डेक्कन कालेज एवं रिसर्च इंस्टिट्यूट, पुणे मिल कर खनन करवा रहा है। बीच बीच में विदेशी विश्वविद्यालयों के शोधार्थी भी आते जाते हैं। इन में दक्षिण कोरिया की सिओल यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कौलर भी उत्खनन के लिए आ चुके हैं। खुदाई से जाहिर हुआ है कि यहां सुव्यवस्थित नगरीय व्यवस्था थी। हड़प्पा काल के अन्य शहरों की भी बसावट नियोजित तरीके से थी। यहाँ बनाई गई पक्की ईंटों के मकान मिल रहे हैं और समुचित ड्रेनेज व्यवस्था थी। घरों में बड़े कमरे, अनाज भंडारण, स्नानागार बने हैं। मिट्टी के फर्श पर जानवरों की बलि के गड्ढे, तिकोने और गोल हवनकुंड आदि उस काल के रीति-रिवाजों के प्रमाण खुदाई में मिले हैं। उस काल में सिरेमिक उद्योग पनप चुका था। प्रमाण के तौर पर भांड, तश्तरी, गुलदान, पानदान, जाम, जार, प्लेटें, कप, प्याले, हांडी आदि चीजें मिल रही हैं। इस सभ्यता के विनाश के कारणों पर पुरातत्त्ववेत्ता एकमत नहीं हैं। बर्बर आक्रमण, बाढ़, भूकंप, महामारी जैसे अलग-अलग तर्क हैं।[3]

राष्ट्रीय धरोहर

पुरातत्त्व विभाग ने राखीगढ़ी को राष्ट्रीय धरोहर के तौर पर संरक्षित किया है। संरक्षण के लिए इन टीलों को लोहे की रेलिंग से घेरा गया है पर कुछ टीलों के 2 या 3 तरफ से ही रेलिंग लगी हुई है। टीलों की कुछ जमीन गांव वालों के कब्जे में है। कहीं मकान बने हुए हैं तो कहीं उपलों के ढेर लगे हैं। पुरातत्त्व विभाग के अधिकारी कहते हैं कि हम ने किसानों को प्राचीन सभ्यता के महत्त्व के बारे में समझाया तो वे इस बात पर सहमत हुए कि समुचित मुआवजा मिलने पर वे जमीन छोड़ देंगे। राखीगढ़ी गांव के शिक्षित लोगों को यहां दबी प्राचीन सभ्यता मिलने पर गर्व है। वे खुश हैं और खुदाई स्थलों को दिखाने के लिए खुशी से साथ चल पड़ते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि कुछ समय पूर्व इन साइटों की खुदाई में भ्रष्टाचार की शिकायतों के चलते मामला सीबीआई के पास गया था। मजदूरी में बड़े पैमाने पर घपला हुआ था। राखीगढ़ी में निकले सामान को डेक्कन यूनिवर्सिटी में भेज दिया जाता है जबकि मकान, सड़क, श्मशान आदि को फिर से प्लास्टिक शीट से ढक कर ऊपर मिट्टी से भर दिया जाता है। दूसरे कुछ स्थलों की तरह ऊपर शैड बना कर संरक्षित नहीं किया गया है। अगर लोग खुदाई में निकले स्थल को देखना चाहें तो वे नहीं देख पाते। 1997 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने करीब 3 किलोमीटर क्षेत्र में खुदाई की रूपरेखा तैयार की और 5 हजार साल पुराने ऐतिहासिक तथ्य इकट्ठे किए। धीरे-धीरे पता चला कि यहाँ सड़कें, ड्रेनेज सिस्टम, बारिश के पानी का संग्रहण, अन्न भंडारण, पक्की ईंटों, मूर्ति निर्माण और तांबे व कीमती धातुओं पर कारीगरी के अवशेष प्राप्त होने शुरू हुए। 1997 से 2000 के बीच हुई खुदाई की रेडियो कार्बन डेटिंग के अनुसार क्षेत्र में 3 काल की सभ्यताएं दबी हुई हैं। पहला, हड़प्पा काल से पूर्व, दूसरा, परिपक्व हड़प्पा काल और तीसरा सिंधु घाटी सभ्यता का अंतिम काल। राखीगढ़ी एक नियोजित शहर था. चौड़ी सड़कें, घर से बाहर पानी निकासी के लिए ईंटों की नालियां बनी हुई थीं। अभी क्षेत्र के बड़े हिस्से का उत्खनन नहीं हुआ है। राखीगढ़ी में मिली सभ्यताओं से जाहिर है कि यहां के लोग बुद्धिमान थे। उन लोगों ने बुनियादी विज्ञान और तकनीक विकसित कर ली थी और वह लगातार जारी थी। 5 हजार साल पुरानी सभ्यता एवं संस्कृति को अपने भीतर दफन किए यह स्थल यहां आने वाले शख्स के अंदर एक उत्सुकता, उत्कंठा व रोमांच जगाता है कि उस काल के लोग कैसे थे, क्या करते थे, कैसा जीवन था। शहर, गांव किस तरह से विकसित थे। ज्ञानविज्ञान की समझ कैसी थी? लोगों की कदकाठी, रंगरूप कैसा था?[3]

खोज एवं वर्तमान स्थिति

दुनिया के सबसे बड़े एवं पुराने सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों में एक राखीगढ़ी तेज आर्थिक विकास के उफान के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुँच गया है। पुरातत्ववेत्ताओं ने हरियाणा स्थित राखीगढ़ी की खोज 1963 ई. में की थी। विश्व विरासत कोष की मई 2012 रिपोर्ट में 'ख़तरे में एशिया के विरासत स्थल' में 10 स्थानों को चिह्नित किया है। रिपोर्ट में इन 10 स्थानों को 'अपूरणीय क्षति एवं विनाश' के केन्द्र करार दिया गया है। इनमें हरियाणा में स्थित राखीगढ़ी भी है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने राखीगढ़ी में खुदाई कर एक पुराने शहर का पता लगाया था और तकरीबन 5000 साल पुरानी कई वस्तुएँ बरामद की थीं। राखीगढ़ी में लोगों के आने जाने के लिए बने हुए मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्र करने का विशाल स्थान, कांसा सहित कई धातुओं की वस्तुएँ मिली थीं।

ख़तरे में एशिया के विरासत स्थल

विश्व विरासत कोष ने इस सूची में ख़तरे में जिन स्थलों को रखा है, उनमें काशगर भी शामिल है, जो चीन के अंतिम रेशम मार्ग स्थलों में है। इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान स्थित मेस आयनाक भी है, जो प्राचीन बौद्ध मठ है। इसमें थाइलैंड में स्थित अयुथ्या, फ़िलीपींस का क़िला सेंटियागो, बांग्लादेश स्थित महाष्टंगण, म्यांमार स्थित म्यूक-यू, कंबोडिया स्थित प्रीह विहियर आदि हैं। विश्व विरासत कोष के कार्यकारी निदेशक जेफ़ मोरगन ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि ख़तरे में विरासत के 10 स्थल एशिया में अलग-अलग स्थानों पर हैं। इन स्थानों पर पुरातन विरासत है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राखीगाढ़ी, हिसार (हिंदी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 17 जनवरी, 2018।
  2. हड़प्पा सभ्यता का मेगा सिटी था राखीगढ़ी (हिंदी) eenaduindia। अभिगमन तिथि: 17 जनवरी, 2018।
  3. 3.0 3.1 प्राचीन सभ्यता का विकसित नगर : राखीगढ़ी (हिंदी) सरिता। अभिगमन तिथि: 17 जनवरी, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख