कालिदास अकादमी, उज्जैन

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कालिदास अकादमी उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है। इसकी स्थापना सन 1978 में की गई थी। इस संस्थान की गतिविधियों में मुख्यत: कला एवं लोकप्रिय व्याख्यान शोध संगोष्ठियों का आयोजन करना, नृत्य तथा संगीत प्रशिक्षण हेतु शास्त्र विचार परिषद एवं वेद विधि सम्मेलन आयोजित करना, कला प्रदर्शनी, पारंपरिक नाटक, प्रदर्शन मूलक लोक कलाएं, संगीत नृत्य शोध, अनुशीलन तथा प्रकाशन कार्य आदि है। मौखिक परंपरा संरक्षण एवं आचार्य कुल की स्थापना। कालिदास साहित्य में वर्णित पेड़-पौधों, फूलों और लताओ पर आधारित उद्यान का निर्माण आदि इस संस्था के कार्य के अंतर्गत आता है।

स्थापना तथा कार्य

मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग के सौजन्य से कालिदास अकादमी की स्थापना उज्जैन में सन् 1978 में हुई और वर्ष 1982 से अकादमी के अपने निजी भवन में कार्य संचालित होने लगा। महाकवि कालिदास समूची सांस्कृतिक परम्परा एवं भारतीय चेतना के प्रतीक हैं। कालिदास अकादमी की स्थापना का उद्देश्य केवल महाकवि की अक्षय कीर्ति को सांस्थानिक रूप देने तक सीमित नहीं था, वरन् एक ऐसी आन्तरानुशासनिक संस्था की स्थापना करना था, जो हमारी समूची संस्कृति तथा समस्त शास्त्रीय परम्पराओं को उसकी समग्रता एवं विविध-वर्णिता में अंकित कर सके। कालिदास अकादमी शास्त्रीय साहित्य, शास्त्रीय रंगमंच एवं विभिन्न कला-परम्पराओं के गहन अध्ययन, शोध, अनुशीलन, प्रकाशन एवं प्रयोग के सक्रिय केन्द्र के रूप में कार्यरत है। हमारी सांस्कृतिक पहचान के अन्वेषण तथा सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए जो सार्थक प्रयास देश में हो रहे हैं, उसे जीवन्त करने में अकादमी अग्रणी रही है। अकादमी एक स्वायत्त संस्था है, जिसका अपना विधान, कार्यकारिणी एवं सामान्य सभा है। संस्था रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के कार्यालय में पंजीकृत है।[1]

कालिदास संस्कृत अकादमी में संस्कृत अकादमी के विलय होने पर कार्यक्रमों में भारी वृद्धि हुई है, जिसमें वर्णागम शिविर के अलावा चित्रकला में वनजन, समरस के साथ ही अन्य कार्यक्रम जो कि वाल्मीकि समारोह के रूप में चित्रकूट में, राजशेखर समारोह जबलपुर में, भोज समारोह धार में, भवभूति समारोह ग्वालियर में, शंकर समारोह, ओंकारेश्वर में, बाणभट्ट समारोह रीवा में, कल्पवल्ली समारोह उज्जैन में तथा अलग-अलग शहरों में होने वाले कार्यक्रम जैसे शास्त्र व्याख्या पाठसत्र, भर्तृहरि प्रसंग, संस्कृत नाट्य प्रशिक्षण, संस्कृत नाट्य समारोह, बालनाट्यम्, संस्कृत गौरव दिवस, संस्कृत संभाषण शिविर, शास्त्रीय नृत्य प्रशिक्षण शिविर, सारस्वतम् आयोजित किये जाते हैं तथा मई माह में उज्जैन में वृहद स्तर पर ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाता है।

उद्देश्य

कालिदास अकादमी निम्नलिखित उद्देश्य की पूर्ति हेतु सक्रिय है-

  1. कालिदास-साहित्य का विश्लेषण एवं आन्तरानुशासनिक कोणों से शोध एवं अनुशीलन तथा विभिन्न कला-माध्यमों पर उसके समग्र प्रभाव का आकलन।
  2. कालिदास तथा संस्कृत की अन्य प्राचीन एवं महत्वपूर्ण कृतियों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद तथा प्रकाशन।
  3. देश-विदेश में कालिदास, नाट्यशास्त्र एवं प्राचीन पाण्डुलिपियों का संकलन, संरक्षण, सम्पादन एवं प्रकाशन।
  4. शोध-छात्रों के अनुरूप विशाल ग्रन्थालय का विकास।
  5. कालिदास-साहित्य, नाट्यशास्त्र एवं अन्य प्राचीन शास्त्रों के विश्व की अन्य भाषाओं में उपलब्ध अनुवादों का संकलन।
  6. शास्त्रीय रंगमंच के विकास एवं प्रयोग के साथ ही रंगकर्मियों के उपयोग के लिए नाट्यशास्त्र व अन्य संस्कृत नाटकों के सम्पादित संस्करणों का हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद व प्रकाशन।
  7. टेप, वीडियो सीडी/डीवीडी, फिल्म व छायाचित्र के द्वारा महत्वपूर्ण कलारूपों का डाक्यूमेंटेशन।
  8. शास्त्रीय कलागत पारम्परिक एवं वंशानुगत समग्र मौखिक परम्पराओं का संकलन, संवर्धन, सम्पोषण, प्रयोग-डाक्यूमेंटेशन एवं मोनोग्राफ का प्रकाशन।
  9. ललितकला, पारम्परिक रंगमंच, लोककला, संगीत, चित्र एवं मूर्तिकला-प्रदर्शनी आदि का आयोजन।
  10. प्राचीन शास्त्रों के गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार अध्ययन व मनन हेतु आचार्यकुल का विकास।
  11. भरतमुनि के नाट्यशास्त्र के अनुरूप प्रामाणिक संस्कृत-नाट्य-मण्डप का निर्माण प्रस्तावित, मुक्ताकाशी रंगमंच का विकास।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कालिदास अकादमी (हिंदी) simhasthujjain.in। अभिगमन तिथि: 12 जून, 2018।

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