उषवदात

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उषवदात ऋषवदत्त, शक क्षहरात राजवंश के द्वितीय नरेश नहपान का जामाता और सामंत। नहपान की पुत्री और उसके जामाता--दोनों के नाम हिंदू थे, क्रमश: दक्षमित्रा और उषवदात (ऋषभदत्त)। शकों ने इस प्रकार भारत में बसकर हिंदू धर्म को अंगीकार कर लिया था, ये नाम इसके उदाहरण हैं। उषवदात का राज्यकाल तो स्पष्ट विदित नहीं है क्योंकि उसके स्वामी और संबंधी स्वयं नहपान की शासनतिथियों के संबंध में विद्वानों के अनेक मत हैं। साधारणत: नहपान का राज्यकाल पहली और दूसरी सदी ईसवी में रखा जाता है। इससे प्राय: इसी काल उषवदात का भी समय होना चाहिए। उषवदात के अनेक लेख मिले हैं। जिनमें से एक में उसे स्पष्टत: शक कहा गया है। उसके अभिलेख नासिक के पांडुलेण, पूना जिले के जुन्नार तथा कार्ले में मिले हैं। उसके समय में मालवों के आक्रमण महाराष्ट्र पर हो रहे थे जिन्हें रोकने का प्रयत्न उत्तमभद्र कर रहे थे। उत्तमभद्रों की सहायता के लिए स्वामी नहपान ने उषवदात को भेजा था। जिसमें उषवदात ने विजय प्राप्त कर सम्राट् नहपान का आधिपत्य आधुनिक अजमेर के निकट तक फैला दिया था। अजमेर के पास पुष्कर क्षेत्र में उषवदात ने अनेक दान किए थे। इससे अधिक उस हिंदूधर्मा शक के विषय में इतिहास को कुछ ज्ञात नहीं।[1]


इन्हें भी देखें: नहपान



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 148 |

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