शिवानंद बाबा

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शिवानंद बाबा, (अंग्रेज़ी: Shivanand Baba, जन्म- 18 अगस्त, 1896) भारत के ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी उम्र 126 साल है। गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2022) की पूर्व संध्या पर घोषित 'पद्म श्री' प्राप्त करने वालों की सूची में एक नाम वाराणसी के शिवानंद बाबा का भी था। बाबा शिवानंद के बारे मेंं कहा जाता है कि वह चमक-दमक की दुनिया से दूर रहना चाहते हैं। सन 1925 में अपने गुरु के आदेश पर 29 साल की उम्र में वह दुनिया के भ्रमण पर चले गए थे। 34 साल तक देश-विदेश को उन्होंने नाप डाला और जिंदगी के गूढ़ रहस्य जुटाए। इसके बाद योग और स्वस्थ दिनचर्या के लिए लोगो को प्रेरित करने लगे।

परिचय

योग साधक बाबा शिवानंद, वैसे तो अपने जीवन के बारे में कोई चर्चा नहीं करते हैं लेकिन उनके पुराने साक्षात्कारों से कुछ जानकारी निकलकर जरूर सामने आई। 8 अगस्त, 1896 को जन्मे बाबा शिवानंद को योग और धर्म में काफी जानकारी प्राप्त है। उनकी दिनचर्चा के बारे में कहा जाता है कि बाबा शिवानंद रोज सुबह 3 बजे उठ जाते हैं। इसके बाद एक घंटा योग करते हैं। भगवद् गीता और मां चंडी के श्लोकों का पाठ करते हैं। बाबा शिवानंद केवल उबला हुआ भोजन करते हैं। वह कम नमक वाला खाना खाते हैं। इस उम्र में भी बाबा शिवानंद काफी स्वस्थ हैं।

अपनी उम्र की पुष्टि करते हुए एक इंटरव्यू में बाबा शिवानंद ने बताया था कि उनका जन्म बंगाल के श्रीहट्टी जिले में 8 अगस्त, 1896 में हुआ था। भूख के कारण उनके माता-पिता चल बसे थे। तब से लेकर बाबा ने केवल आधा पेट भोजन करने का संकल्प लिया, जिसे वे अब तक निभा रहे हैं। गरीबों के प्रति उनकी आत्मीय भावना है, चूंकि गरीब लोगों को फल और दूध नसीब नहीं होते तो बाबा भी इन्हें ग्रहण नहीं करते। साल 1979 से वह शिव की नगरी काशी में ही रह रहे हैं। काशी के बारे में उनका कहना है कि यह पवित्र भूमि के साथ-साथ तपोभूमि भी है। यहां पर स्वयं भगवान शंकर विराजते हैंं, इसलिए उन्हें यहीं अच्छा लगता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ