लालदुहोमा

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लालदुहोमा (अंग्रेज़ी: Lalduhoma, जन्म- 22 फ़रवरी, 1949) भारतीय राज्य मिज़ोरम के मुख्यमंत्री हैं। कभी इंदिरा गांधी की सुरक्षा के प्रमुख रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा ने जब राजनीति में कदम रखा तो उन्हें भी इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि उनका नाम इतिहास में ऐसे याद रखा जाएगा। जब वह तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की सुरक्षा के चीफ थे। उसी दौरान उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस जॉइन कर ली थी। उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा, जीता और कुछ समय बाद कांग्रेस छोड़ने का फैसला ले लिया। बस तभी उन पर एक्शन हो गया और वे दल-बदल कानून के तहत लोकसभा से सदस्यता गंवाने वाले पहले शख्स बन गए।

परिचय

22 फरवरी, 1949 को जन्मे भूतपूर्व आईपीएस लालदुहोमा का बचपन संघर्षों से भरा था। इनके पिता का नाम वैसंगा और माता का नाम काइचिंगी था। इनके चार भाई बहनों में ये सबसे छोटे थे। लालदुहोमा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ख्वाज़ॉल प्राथमिक और मध्य विद्यालयों से की और चम्फाई में जीएम हाईस्कूल से मैट्रिकुलेशन पूरा किया। इन्होंने अपनी स्नातक गौहाटी विश्वविद्यालय से की है। लालदुहोमा का विवाह लियानसाइलोवी से हुआ, जिनसे उनको 2 बच्चे हैं जो राजधानी आइजोल के चौल्हमुन में रहते हैं।

उन्होंने मैट्रीकुलेशन के बाद गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा के लिए पढ़ाई की। इसी बीच पूर्व सीएम सी चुंगा के शासन में साल 1972 में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रधान सहायक के रूप में नौकरी पर रखा गया। इसके बाद 1977 में उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा दी। परीक्षा में वह शानदार परफॉर्म करते हुए आईपीएस बन गए। आईपीएस के तौर पर उन्होंने गोवा में तस्कर और ड्रग माफिया के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की।[1]

इंदिरा गाँधी के करीबी

लालदुहोमा के कामकाज ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को काफी प्रभावित किया। साल 1982 में लालदुहोमा इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज बन गए। उन्हें डीसीपी की जिम्मेदारी भी दी गई। यहां से उनके राजनीति सफर की शुरुआत भी होती है। साल 1982 के एशियन गेम्स के आयोजन के समिति के सचिव भी बने। इंदिरा गांधी की राजनीति ने उन्हें काफी प्रभावित किया। लालदुहोमा ने नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखने का फैसला किया। वह बतौर कांग्रेस राजनीति में दाखिल हुए। उन्हें मिजोरम कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया था।

विवादों से नाता

लालदुहोमा साल 1984 में लोकसभा सांसद बने। राजनीति में उनका विवादों से भी नाता रहा। दरअसल, वह दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य होने वाले पहले सांसद रहे। बतौर राजनेता उन्हें मिजोरम की जनता से काफी प्यार मिला। हालांकि, साल 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री लल थनहवला और कुछ कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगने के बाद जेडपीएम नेता ने 1986 में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, लालदुहोमा ने यह भी कहा था कि मिजोरम की शांति के लिए कांग्रेस द्वारा सही कदम न उठाए जाने से निराश होकर उन्होंने इस्तीफा दिया है।[1]

जोरम पीपल्स मूवमेंट की स्थापना

साल 1986 में लालदुहोमा ने 'मिजो नेशनल यूनियन' का गठन किया। साल 2018 विधानसभा चुनाव में वो जोरम पीपुल्स मूवमेंट में शामिल हुए। छह दलों के गठबंधन के साथ इस जोरम पीपुल्स मूवमेंट को आकार दिया गया था। सेक्युलर विचारधारा को आगे बढ़ाने और अल्पसंख्यकों के हितों के लिए जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) की स्थापना हुई। हालांकि, 2019 में 3 संगठनों ने इस दल से नाता तोड़ लिया।

जब हुए अयोग्य

साल 2020 में मिजोरम विधानसभा अध्यक्ष लालरिनलियाना सेलो ने लालदुहोमा को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था। ऐसी सजा पाने वाले वह पहले विधायक थे, लेकिन 2021 में उपचुनाव जीत गए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 एक सख्त IPS जिनके काम से इंदिरा गांधी हुईं थीं इंप्रेस (हिंदी) (jagran.com)। । अभिगमन तिथि: 30 जनवरी, 2024।

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