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-[[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]] | -[[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]] | ||
− | -जामा मस्जिद | + | -[[जामा मस्जिद आगरा|जामा मस्जिद]] |
− | -लाल क़िला | + | -[[लाल क़िला]] |
+[[बुलन्द दरवाज़ा]] | +[[बुलन्द दरवाज़ा]] | ||
||[[File:Buland-Darwaja-Fatehpur-Sikri-Agra.jpg|right|120px|बुलन्द दरवाज़ा, फ़तेहपुर सीकरी]][[फ़तेहपुर सीकरी]] में [[अकबर]] के समय के अनेक भवनों, प्रासादों तथा राजसभा के भव्य अवशेष आज भी वर्तमान हैं। यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलन्द दरवाज़ा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है। 52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाज़े के अंदर पहुंचता है। दरवाज़े में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बुलन्द दरवाज़ा]] | ||[[File:Buland-Darwaja-Fatehpur-Sikri-Agra.jpg|right|120px|बुलन्द दरवाज़ा, फ़तेहपुर सीकरी]][[फ़तेहपुर सीकरी]] में [[अकबर]] के समय के अनेक भवनों, प्रासादों तथा राजसभा के भव्य अवशेष आज भी वर्तमान हैं। यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलन्द दरवाज़ा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है। 52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाज़े के अंदर पहुंचता है। दरवाज़े में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बुलन्द दरवाज़ा]] | ||
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-[[राजपूत]] और [[मुग़ल]] | -[[राजपूत]] और [[मुग़ल]] | ||
-[[बाबर]] और [[इब्राहीम लोदी]] | -[[बाबर]] और [[इब्राहीम लोदी]] | ||
− | -[[सिकन्दर और आदिलशाह]] | + | -[[सिकन्दर]] और [[आदिलशाही वंश|आदिलशाह]] |
||[[दिल्ली]] और [[आगरा]] के हाथ से चले जाने पर दरबारियों ने सलाह दी कि [[हेमू]] इधर भी बढ़ सकता है। इसीलिए बेहतर है कि, यहाँ से [[काबुल]] चला जाए। लेकिन [[बैरम ख़ाँ]] ने इसे पसन्द नहीं किया। बाद में बैरम ख़ाँ और अकबर अपनी सेना लेकर [[पानीपत]] पहुँचे और वहीं जुआ खेला, जिसे तीन साल पहले दादा ने खेला था। हेमू की सेना संख्या और शक्ति, दोनों में बढ़-चढ़कर थी। पोर्तुगीजों से मिली तोपों का उसे बड़ा अभिमान था। 1500 महागजों की काली घटा मैदान में छाई हुई थी। 5 नवम्बर को हेमू ने [[मुग़ल]] दल में भगदड़ मचा दी। युद्ध का प्रारम्भिक क्षण हेमू के पक्ष में जा रहा था, लेकिन इसी समय उसकी आँख में एक तीर लगा, जो भेजे के भीतर घुस गया, वह संज्ञा खो बैठा। नेता के बिना सेना में भगदड़ मच गई। हेमू को गिरफ्तार करके बैरम ख़ाँ ने मरवा दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]] | ||[[दिल्ली]] और [[आगरा]] के हाथ से चले जाने पर दरबारियों ने सलाह दी कि [[हेमू]] इधर भी बढ़ सकता है। इसीलिए बेहतर है कि, यहाँ से [[काबुल]] चला जाए। लेकिन [[बैरम ख़ाँ]] ने इसे पसन्द नहीं किया। बाद में बैरम ख़ाँ और अकबर अपनी सेना लेकर [[पानीपत]] पहुँचे और वहीं जुआ खेला, जिसे तीन साल पहले दादा ने खेला था। हेमू की सेना संख्या और शक्ति, दोनों में बढ़-चढ़कर थी। पोर्तुगीजों से मिली तोपों का उसे बड़ा अभिमान था। 1500 महागजों की काली घटा मैदान में छाई हुई थी। 5 नवम्बर को हेमू ने [[मुग़ल]] दल में भगदड़ मचा दी। युद्ध का प्रारम्भिक क्षण हेमू के पक्ष में जा रहा था, लेकिन इसी समय उसकी आँख में एक तीर लगा, जो भेजे के भीतर घुस गया, वह संज्ञा खो बैठा। नेता के बिना सेना में भगदड़ मच गई। हेमू को गिरफ्तार करके बैरम ख़ाँ ने मरवा दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]] | ||
||हेमचंद्र ([[हेमू]]) [[शेरशाह]] का योग्य [[दीवान]], कोषाध्यक्ष और सेनानायक था। शेरशाह की सफलता में उसकी प्रबंध कुशलता और वीरता का हाथ रहा था। आर्थिक सूझ−बूझ में उसके समान कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था। शेरशाह के बाद उसका पुत्र इस्लामशाह अपने शासन का भार हेमचंद्र पर डाल निश्चिंत हो गया था। इस्लामशाह के बाद आदिलशाह बादशाह हुआ तब राज्य के [[पठान]] सरदारों में आपसी संघर्ष होने लगा था। हेमचंद्र आदिलशाह का वज़ीर और प्रधान सेनापति था। वह [[बिहार]] में अव्यवस्था दूर करने में लगा हुआ था, तभी [[हुमायूँ]] ने [[दिल्ली]] पर अधिकार कर लिया; किंतु 7 महीने बाद ही हुमायूँ मृत्यु हो गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हेमू]] | ||हेमचंद्र ([[हेमू]]) [[शेरशाह]] का योग्य [[दीवान]], कोषाध्यक्ष और सेनानायक था। शेरशाह की सफलता में उसकी प्रबंध कुशलता और वीरता का हाथ रहा था। आर्थिक सूझ−बूझ में उसके समान कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था। शेरशाह के बाद उसका पुत्र इस्लामशाह अपने शासन का भार हेमचंद्र पर डाल निश्चिंत हो गया था। इस्लामशाह के बाद आदिलशाह बादशाह हुआ तब राज्य के [[पठान]] सरदारों में आपसी संघर्ष होने लगा था। हेमचंद्र आदिलशाह का वज़ीर और प्रधान सेनापति था। वह [[बिहार]] में अव्यवस्था दूर करने में लगा हुआ था, तभी [[हुमायूँ]] ने [[दिल्ली]] पर अधिकार कर लिया; किंतु 7 महीने बाद ही हुमायूँ मृत्यु हो गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हेमू]] | ||
− | {[[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था]] में [[मनसबदारी]] प्रणाली को किसने प्रारम्भ किया था? | + | {[[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था]] में [[मनसबदार|मनसबदारी]] प्रणाली को किसने प्रारम्भ किया था? |
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-[[शाहजहाँ]] ने | -[[शाहजहाँ]] ने | ||
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{‘हुमायूँनामा’ की रचना किसने की थी? | {‘हुमायूँनामा’ की रचना किसने की थी? | ||
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− | - | + | -मुमताज महल |
-जहाँआरा बेगम | -जहाँआरा बेगम | ||
-रोशनआरा बेगम | -रोशनआरा बेगम | ||
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+[[शाहजहाँ]] | +[[शाहजहाँ]] | ||
-[[जहाँगीर]] | -[[जहाँगीर]] | ||
− | ||[[चित्र:Tajmahal-03.jpg|ताजमहल| | + | ||[[चित्र:Tajmahal-03.jpg|ताजमहल|150px|right]]शाहजहाँ ने सन 1648 में आगरा की बजाय [[दिल्ली]] को राजधानी बनाया; किंतु उसने आगरा की कभी उपेक्षा नहीं की। उसके प्रसिद्ध निर्माण कार्य [[आगरा]] में भी थे। शाहजहाँ का दरबार सरदार सामंतों, प्रतिष्ठित व्यक्तियों तथा देश−विदेश के राजदूतों से भरा रहता था। उसमें सबके बैठने के स्थान निश्चित थे। जिन व्यक्तियों को दरबार में बैठने का सौभाग्य प्राप्त था, वे अपने को धन्य मानते थे और लोगों की दृष्टि में उन्हें गौरवान्वित समझा जाता था। जिन विदेशी सज्ज्नों को दरबार में जाने का सुयोग प्राप्त हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]] |
{निम्न में से किसे ‘राजा बीरबल’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था? | {निम्न में से किसे ‘राजा बीरबल’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था? | ||
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+[[सासाराम]] | +[[सासाराम]] | ||
-[[लाहौर]] | -[[लाहौर]] | ||
− | ||[[चित्र:Shershah Tomb2.jpg|right| | + | ||[[चित्र:Shershah Tomb2.jpg|right|150px|शेरशाह सूरी का मक़बरा, सासाराम, बिहार]]शेरशाह का मक़बरा [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक़]] बादशाहों की इमारतों की सादगी और [[शाहजहाँ]] की इमारतों की स्त्रियोचित सुन्दरता के बीच की कड़ी है। यह भवन अपनी परिकल्पना में [[इस्लाम धर्म|इस्लामी]] पर इसका भीतरी भाग [[हिन्दू]] वास्तुकला से सजाया-सँवारा गया है। इसे उत्तर [[भारत]] की श्रेष्ठ इमारतों में से एक कहा गया है। इस पर हिन्दू और इस्लामी कला का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। वस्तुतः [[अकबर]] के राज्यकाल के पूर्व हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य के समंवय का सबसे सुन्दर नमूना शेरशाह का मक़बरा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सासाराम]] |
{[[अकबर]] का राज्याभिषेक कहाँ हुआ था? | {[[अकबर]] का राज्याभिषेक कहाँ हुआ था? |
09:56, 17 मई 2011 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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