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{हीनयान तथा महायान किस धर्म के दो भाग हैं? | {हीनयान तथा महायान किस धर्म के दो भाग हैं? | ||
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− | -सिक्ख | + | -[[सिक्ख धर्म]] |
− | -हिन्दू | + | -[[हिन्दू धर्म]] |
− | +बौद्ध | + | +[[बौद्ध धर्म]] |
− | -जैन | + | -[[जैन धर्म]] |
+ | ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|बौद्ध धर्म का प्रतीक|100px|right]]महायान बुद्ध की पूजा करता है। ये थेरावादियों को "हीनयान" (छोटी गाड़ी) कहते हैं। बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा है जिसका आरंभ पहली शताब्दी के आस-पास माना जाता है। ईसा पूर्व पहली शताब्दी में वैशाली में बौद्ध-संगीति हुई जिसमें पश्चिमी और पूर्वी बौद्ध पृथक् हो गए। पूर्वी शाखा का ही आगे चलकर महायान नाम पड़ा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध धर्म]] | ||
{चोल राजाओं ने किस धर्म को संरक्षण दिया? | {चोल राजाओं ने किस धर्म को संरक्षण दिया? | ||
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− | -जैन धर्म | + | -[[जैन धर्म]] |
− | -बौद्ध धर्म | + | -[[बौद्ध धर्म]] |
− | +शैव धर्म | + | +[[शैव धर्म]] |
− | -वैष्णव धर्म | + | -[[वैष्णव धर्म]] |
− | {किस वैदिक ग्रंथ में मंत्रों और देवताओं की प्रार्थना का संग्रह है? | + | {किस वैदिक ग्रंथ में मंत्रों और [[देवता|देवताओं]] की प्रार्थना का संग्रह है? |
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− | + | + | +ॠग्वेद |
-यजुर्वेद | -यजुर्वेद | ||
-सामवेद | -सामवेद | ||
-अथर्वेद | -अथर्वेद | ||
+ | ||[[चित्र:Rigveda.jpg|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ॠग्वेद]] | ||
{वेदांत किसे कहा गया है? | {वेदांत किसे कहा गया है? | ||
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{[[भारत]] का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहाँ से उद्धत है? | {[[भारत]] का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहाँ से उद्धत है? | ||
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− | + | + | +[[मुण्डकोपनिषद]] से |
− | - | + | -कठोरपनिषद से |
− | - | + | -छान्दोग्योपनिषद से |
− | - | + | -जाबलोपनिषद से |
+ | ||यह उपनिषद अथर्ववेदीय शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म 'ॐ: का विशद विवेचन किया गया है। इसे मन्त्रोपनिषद नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ मन्त्र हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला। इस उपनिषद में महर्षि [[अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-अपरा' विद्या का ज्ञान कराया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुण्डकोपनिषद]] | ||
− | {किस सिक्ख गुरू ने हरमन्दिर साहिब (स्वर्ण मन्दिर) की स्थापना की? | + | {किस सिक्ख गुरू ने हरमन्दिर साहिब ([[स्वर्ण मन्दिर]]) की स्थापना की? |
|type="()"} | |type="()"} | ||
-गुरु रामदास | -गुरु रामदास | ||
-गुरु अमरदास | -गुरु अमरदास | ||
− | -गुरु गोविन्द सिंह | + | -[[गुरु गोविन्द सिंह]] |
+गुरु अर्जुन देव | +गुरु अर्जुन देव | ||
{कत्थक कहाँ की नृत्य शैली है? | {कत्थक कहाँ की नृत्य शैली है? | ||
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− | -मणिपुर | + | -[[मणिपुर]] |
− | -केरल | + | -[[केरल]] |
− | -उड़ीसा | + | -[[उड़ीसा]] |
+उत्तरी भारत | +उत्तरी भारत | ||
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{मृदंगम होता है? | {मृदंगम होता है? | ||
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− | -एक प्रकार की बाँसुरी | + | -एक प्रकार की [[बाँसुरी]] |
-एक तार वाद्य | -एक तार वाद्य | ||
-एक मृग | -एक मृग | ||
− | +दो मुहँ वाला ढोल | + | +दो मुहँ वाला [[ढोल]] |
{किस वेद का कुछ अंश गद्य में लिखा गया है? | {किस वेद का कुछ अंश गद्य में लिखा गया है? | ||
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− | -[[ | + | -[[ॠग्वेद]] |
+[[यजुर्वेद]] | +[[यजुर्वेद]] | ||
-[[सामवेद]] | -[[सामवेद]] | ||
− | -[[ | + | -अथर्वेद |
+ | ||[[चित्र:Yajurveda.jpg|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]यजुष' शब्द का अर्थ है- 'यज्ञ'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना कुरुक्षेत्र में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि आर्य 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]] | ||
{[[विष्णु]] के दस अवतारों की जानकारी का स्त्रोत है? | {[[विष्णु]] के दस अवतारों की जानकारी का स्त्रोत है? | ||
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-भागवत पुराण | -भागवत पुराण | ||
-विष्णु पुराण | -विष्णु पुराण | ||
− | +मत्स्य पुराण | + | +[[मत्स्य पुराण]] |
-मार्केण्डय पुराण | -मार्केण्डय पुराण | ||
+ | ||[[चित्र:Matsya-Avatar.jpg|मत्स्य अवतार|100px|right]]वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित 'मत्स्य पुराण' व्रत, पर्व, तीर्थ, दान, राजधर्म और वास्तु कला की दृष्टि से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुराण है। इस पुराण की श्लोक संख्या चौदह हज़ार है। इसे दो सौ इक्यानवे अध्यायों में विभाजित किया गया है। इस पुराण के प्रथम अध्याय में 'मत्स्यावतार' के कथा है। उसी कथा के आधार पर इसका यह नाम पड़ा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मत्स्य पुराण]] | ||
{[[महाभारत]] का फारसी अनुवाद है? | {[[महाभारत]] का फारसी अनुवाद है? | ||
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-16 अध्याय व 650 संस्कृत श्लोक | -16 अध्याय व 650 संस्कृत श्लोक | ||
-20 अध्याय व 800 संस्कृत श्लोक | -20 अध्याय व 800 संस्कृत श्लोक | ||
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11:13, 25 मई 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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