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*[[लाल रंग|लाल]], [[लाल रंग|हरी]] और अन्य गहरे [[रंग|रंगों]] की ये साड़ियां [[हिंदू]] परिवारों में किसी भी शुभ अवसर के लिए आवश्यक मानी जाती हैं।  
 
*उत्तर [[भारत]] में अधिकांश बेटियाँ बनारसी साड़ी में ही विदा की जाती हैं।  
 
*उत्तर [[भारत]] में अधिकांश बेटियाँ बनारसी साड़ी में ही विदा की जाती हैं।  

06:41, 8 जून 2011 का अवतरण

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बनारसी साड़ी में विदेशी महिला, वाराणसी
  • बनारसी सड़ियाँ दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं।
  • लाल, हरी और अन्य गहरे रंगों की ये साड़ियां हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ अवसर के लिए आवश्यक मानी जाती हैं।
  • उत्तर भारत में अधिकांश बेटियाँ बनारसी साड़ी में ही विदा की जाती हैं।
  • बनारसी साड़ियों की कारीगरी सदियों पुरानी है।
  • जरी, बेलबूटे और शुभ डिजाइनों से सजी ये साड़ियां हर आयवर्ग के परिवारों को संतुष्ट करती हैं, उनकी ज़रूरतें पूरी करती हैं।
  • बनारसी साड़ियां सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। पारंपरिक हिंदू समाज में बनारसी साड़ी का महत्व चूड़ी और सिंदूर के समान है।
  • उत्तर भारत की विवाहित और सधवा स्त्रियाँ विवाह के अवसर पर मिली इन साड़ियों को बड़े यत्न से संभालकर रखती हैं।
  • केवल खास-शुभ अवसरों पर ही स्त्रियां बनारसी साड़ियों को पहनती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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