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[[चित्र:Meenakshi-Amman-Temple-2.jpg|thumb|150px|मीनाक्षी मंदिर, [[मदुरै]]]]
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{{सूचना बक्सा मन्दिर
'''मीनाक्षी मंदिर''' [[तमिलनाडु]] राज्य के [[मदुरै]] शहर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है और इस मंदिर को मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर या मीनाक्षी अम्मान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
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*मीनाक्षी मंदिर [[शिव|भगवान शिव]] और [[पार्वती|देवी पार्वती]] जो मीनाक्षी के नाम से जानी जाती थी, को समर्पित है।  
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*मीनाक्षी मंदिर का निर्माण 16वीं [[शताब्दी]] में द्रविड़ [[वास्तुकला]] में किया गया था।  
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*65 हज़ार वर्ग मीटर में फैले इस विशाल मंदिर को यहां शासन करने वाले विभिन्न वंशों ने विस्तार प्रदान किया। दक्षिण में स्थित यह इमारत सबसे ऊँची है जिसकी ऊँचाई 160 फीट है।  
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'''मीनाक्षी मंदिर''' [[तमिलनाडु]] राज्य के [[मदुरै]] शहर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है और इस मंदिर को मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर या मीनाक्षी अम्मान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मीनाक्षी मंदिर [[शिव|भगवान शिव]] और [[पार्वती|देवी पार्वती]] जो मीनाक्षी के नाम से जानी जाती थी, को समर्पित है।  
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मीनाक्षी मंदिर का निर्माण 16वीं [[शताब्दी]] में द्रविड़ [[वास्तुकला]] में किया गया था। 65 हज़ार वर्ग मीटर में फैले इस विशाल मंदिर को यहाँ शासन करने वाले विभिन्न वंशों ने विस्तार प्रदान किया। दक्षिण में स्थित यह इमारत सबसे ऊँची है जिसकी ऊँचाई 160 फीट है। मीनाक्षी मंदिर के विशाल अन्तर्गृह में अनेक देवी देवताओं की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। मीनाक्षी मंदिर के केन्द्र में मीनाक्षी की मूर्ति है और उससे थोड़ी ही दूर [[गणेश|भगवान गणेश]] जी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है जिसे एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया है।
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==पौराणिक मान्यता==
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[[हिन्दू]] पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव अत्यन्त सुन्दर रूप में देवी मीनाक्षी से विवाह की इच्छा से पृथ्वीलोक पर आए थे। देवी मीनाक्षी पहले ही मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्य की तपस्या से प्रसन्न हो मदुराई में अवतार ले चुकीं थीं। भगवान शिव वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने देवी मीनाक्षी से विवाह करने का प्रस्ताव रखा और उन्होने स्वीकार किया।
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==दर्शनीय स्थल==
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मीनाक्षी मंदिर में कई आकर्षण के केंद्र हैं जैसे हजार स्तम्भ मंडपम (वास्तविक नाम: स्तंभ मण्डप), प्रत्येक स्तंभ थाप देने पर भिन्न स्वर निकालता है। स्तंभ मण्डप के दक्षिण में कल्याण मण्डप स्थित है, जहां प्रतिवर्ष मध्य अप्रैल में चैत्र मास में चितिरइ उत्सव मनाया जाता है। इसमें शिव-पार्वती के विवाह का आयोजन किया जाता है। स्वर्णकमल पुष्कर (वास्तविक नाम: पोर्थमराईकुलम) एक पवित्र सरोवर है जो कि 165 फीट लम्बा एवं 120 फीट चौड़ा है। यहाँ प्रतिदिन हज़ारों की संख्‍या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।  
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==महत्वपूर्ण उत्सव==
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==दर्शन का समय==
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08:41, 1 फ़रवरी 2012 का अवतरण

प्रीति चौधरी/अभ्यास पन्ना4
मीनाक्षी मंदिर, मदुरै
वर्णन मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है
स्थान मदुरै
निर्माण काल 16वीं शताब्दी
देवी-देवता भगवान शिव और देवी पार्वती
वास्तुकला द्रविड़ वास्तुकला
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 9° 55' 10.00", पूर्व- 78° 7' 10.00"
संबंधित लेख अजगर कोइल, गांधी संग्रहालय मदुरै, तिरुमलई नायक महल, मरियम्मन तेप्पाकुलम, वैगई बाँध, रामेश्वर
मानचित्र लिंक गूगल मानचित्र
बाहरी कड़ियाँ मीनाक्षी मंदिर

मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है और इस मंदिर को मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर या मीनाक्षी अम्मान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मीनाक्षी मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती जो मीनाक्षी के नाम से जानी जाती थी, को समर्पित है।

वास्तु शिल्प

मीनाक्षी मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में द्रविड़ वास्तुकला में किया गया था। 65 हज़ार वर्ग मीटर में फैले इस विशाल मंदिर को यहाँ शासन करने वाले विभिन्न वंशों ने विस्तार प्रदान किया। दक्षिण में स्थित यह इमारत सबसे ऊँची है जिसकी ऊँचाई 160 फीट है। मीनाक्षी मंदिर के विशाल अन्तर्गृह में अनेक देवी देवताओं की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं। मीनाक्षी मंदिर के केन्द्र में मीनाक्षी की मूर्ति है और उससे थोड़ी ही दूर भगवान गणेश जी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है जिसे एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया है।

पौराणिक मान्यता

हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव अत्यन्त सुन्दर रूप में देवी मीनाक्षी से विवाह की इच्छा से पृथ्वीलोक पर आए थे। देवी मीनाक्षी पहले ही मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्य की तपस्या से प्रसन्न हो मदुराई में अवतार ले चुकीं थीं। भगवान शिव वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने देवी मीनाक्षी से विवाह करने का प्रस्ताव रखा और उन्होने स्वीकार किया।

दर्शनीय स्थल

मीनाक्षी मंदिर में कई आकर्षण के केंद्र हैं जैसे हजार स्तम्भ मंडपम (वास्तविक नाम: स्तंभ मण्डप), प्रत्येक स्तंभ थाप देने पर भिन्न स्वर निकालता है। स्तंभ मण्डप के दक्षिण में कल्याण मण्डप स्थित है, जहां प्रतिवर्ष मध्य अप्रैल में चैत्र मास में चितिरइ उत्सव मनाया जाता है। इसमें शिव-पार्वती के विवाह का आयोजन किया जाता है। स्वर्णकमल पुष्कर (वास्तविक नाम: पोर्थमराईकुलम) एक पवित्र सरोवर है जो कि 165 फीट लम्बा एवं 120 फीट चौड़ा है। यहाँ प्रतिदिन हज़ारों की संख्‍या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

महत्वपूर्ण उत्सव

मीनाक्षी मन्दिर से जुड़ा़ सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है मीनाक्षी तिरुकल्याणम, जिसका आयोजन चैत्र मास (अप्रैल के मध्य) में होता है। इसके अलावा अन्य हिन्दु उत्सव जैसे नवरात्रि एवं शिवरात्रि भी यहाँ धूम धाम से मनाये जाते हैं।

दर्शन का समय

मीनाक्षी मंदिर में सुबह 5 बजे से दोपहर 12.30 बजे, शाम 4 बजे से रात 9.30 बजे तक।


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संबंधित लेख