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− | '''पूर्णागिरि मंदिर''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[चम्पावत]] नगर में काली नदी के दांये किनारे पर स्थित है। (मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम [[शारदा नदी]] है) इस नदी के दूसरी ओर बांऐ किनारे पर [[नेपाल]] देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर [[ब्रह्मदेव मंदिर]] कंचनपुर में स्थित है। प्रतिदिन सांयःकालीन [[आरती]] का आयोजन होता है। | + | '''पूर्णागिरि मंदिर''' [[उत्तराखण्ड]] राज्य के [[चम्पावत]] नगर में [[काली नदी]] के दांये किनारे पर स्थित है। (मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम [[शारदा नदी]] है) इस नदी के दूसरी ओर बांऐ किनारे पर [[नेपाल]] देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर [[ब्रह्मदेव मंदिर]] कंचनपुर में स्थित है। प्रतिदिन सांयःकालीन [[आरती]] का आयोजन होता है। |
− | यह तीर्थ स्थान जनपद [[पीलीभीत]] से लगभग चालीस किलोमीटर दूर स्थित [[उत्तराखण्ड]] के कस्बे [[टनकपुर]] में [[समुद्र]] तल से लगभग 850 मीटर (लगभग तीन हजार | + | यह [[तीर्थ स्थान]] जनपद [[पीलीभीत]] से लगभग चालीस किलोमीटर दूर स्थित [[उत्तराखण्ड]] के कस्बे [[टनकपुर]] में [[समुद्र]] तल से लगभग 850 मीटर (लगभग तीन हजार फीट) की उँचाई पर स्थित है। पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद इस तीर्थ स्थान के नाम से एक पृथक प्रशासनिक इकाई तहसील का निर्माण किया गया है। उत्तराखण्ड जनपद [[चम्पावत]] के टनकपुर उप संभाग के पर्वतीय अंचल में स्थित अन्नपूर्णा चोटी के शिखर में लगभग 3000 फीट की उंचाई पर यह [[शक्तिपीठ]] स्थापित है। धार्मिक आस्था के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के लिये भी यह स्थल महत्वपूर्ण है इस स्थल पर जाने हेतु टनकपुर से लगगभग 20 कि.मी. के मोटर मार्ग से तथा 4 कि.मी. पैदल चलकर पहुँचा जा सकता है। |
==पूर्णागिरि मेला== | ==पूर्णागिरि मेला== | ||
− | यह सबसे बड़ा मेला है। यहां विश्वत संक्रांति को मेला आरंभ होकर | + | यह सबसे बड़ा मेला है। यहां विश्वत संक्रांति को मेला आरंभ होकर लगभग चालीस [[दिन]] तक चलता है [[मार्च]] [[अप्रैल]] के मध्य [[चैत्र]] [[मास]] की [[नवरात्रि]] में यहां अपार श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। नदी के दूसरी ओर [[नेपाल]] देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर में स्थित है। [[ब्रह्मदेव मंदिर]] कंचनपुर जाने के लिये नदी पर बने बैराज से होकर रास्ता जाता है जिस पर सीमा सुरक्षा बल के जवान तैनात रहते हैं। |
==चित्र वीथिका== | ==चित्र वीथिका== |
12:47, 25 सितम्बर 2012 का अवतरण
पूर्णागिरि मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत नगर में काली नदी के दांये किनारे पर स्थित है। (मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम शारदा नदी है) इस नदी के दूसरी ओर बांऐ किनारे पर नेपाल देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर में स्थित है। प्रतिदिन सांयःकालीन आरती का आयोजन होता है। यह तीर्थ स्थान जनपद पीलीभीत से लगभग चालीस किलोमीटर दूर स्थित उत्तराखण्ड के कस्बे टनकपुर में समुद्र तल से लगभग 850 मीटर (लगभग तीन हजार फीट) की उँचाई पर स्थित है। पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद इस तीर्थ स्थान के नाम से एक पृथक प्रशासनिक इकाई तहसील का निर्माण किया गया है। उत्तराखण्ड जनपद चम्पावत के टनकपुर उप संभाग के पर्वतीय अंचल में स्थित अन्नपूर्णा चोटी के शिखर में लगभग 3000 फीट की उंचाई पर यह शक्तिपीठ स्थापित है। धार्मिक आस्था के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के लिये भी यह स्थल महत्वपूर्ण है इस स्थल पर जाने हेतु टनकपुर से लगगभग 20 कि.मी. के मोटर मार्ग से तथा 4 कि.मी. पैदल चलकर पहुँचा जा सकता है।
पूर्णागिरि मेला
यह सबसे बड़ा मेला है। यहां विश्वत संक्रांति को मेला आरंभ होकर लगभग चालीस दिन तक चलता है मार्च अप्रैल के मध्य चैत्र मास की नवरात्रि में यहां अपार श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। नदी के दूसरी ओर नेपाल देश का प्रसिद्ध ब्रह्मा विष्णु का मंदिर ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर में स्थित है। ब्रह्मदेव मंदिर कंचनपुर जाने के लिये नदी पर बने बैराज से होकर रास्ता जाता है जिस पर सीमा सुरक्षा बल के जवान तैनात रहते हैं।
चित्र वीथिका
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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