"प्रयोग:कविता बघेल 2" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
|
 
|
 
<quiz display=simple>
 
<quiz display=simple>
{डेविड की पेंटिंग 'सुकरात की मृत्यु' किस कलावाद के अंतर्गत आती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-2
+
{जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग '[[सुकरात]] की [[मृत्यु]]' किस कलावाद के अंतर्गत आती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-2
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-शास्त्रीयवाद
 
-शास्त्रीयवाद
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
-यथार्थवाद
 
-यथार्थवाद
 
-उत्तर यथार्थवाद
 
-उत्तर यथार्थवाद
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सिकरात की मृत्यु' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है।
+
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग '[[सुकरात]] की [[मृत्यु]]' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] में अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (Oath of the Horatti, 1787) तथा सुकरात की मृत्यु (Death of Socrates, 1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
 
.इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं।
 
.1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे रोम अध्ययन के लिए चले गए।
 
.उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स, के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (Oath of the Horatti, 1787) तथा सुकरात की मृत्यु (Death of Socrates, 1787) आदि।
 
.'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है।
 
  
 
{घनवादी कला आकृतियों को किस रूप में देखते थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-1
 
{घनवादी कला आकृतियों को किस रूप में देखते थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-1
पंक्ति 23: पंक्ति 18:
 
-त्रिकोणात्मक और वर्ग के रूप में
 
-त्रिकोणात्मक और वर्ग के रूप में
 
-गोले और त्रिभुज के रूप में
 
-गोले और त्रिभुज के रूप में
+घन और शंकु के रूप में
+
+घन और [[शंकु]] के रूप में
||क्यूबिस्ट (घनवादी) चित्रकला में वस्तुओं को तोड़ा जाता है। उनका विश्लेषण किया जाता है और एक नजरिये के बजाए उन्हें फिर से पृथक रूप से बनाया जाता है। घनवादी कला आकृतियों को घन शंकु के रूप में देखते थे।
+
||क्यूबिस्ट (घनवादी) चित्रकला में वस्तुओं को तोड़ा जाता है। उनका विश्लेषण किया जाता है और एक नज़रिये के बजाए उन्हें फिर से पृथक रूप से बनाया जाता है। घनवादी कला आकृतियों को घन और [[शंकु]] के रूप में देखते थे।
  
{इटली में बरोक कला पनपी- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-1
+
{[[इटली]] में बरोक कला का किस शती में विकसित हुई?  (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-1
 
|type="()
 
|type="()
+16वीं शती में
+
+16वीं  
-19वीं शती में
+
-19वीं  
-20वीं शती में
+
-20वीं
-18वीं शती में
+
-18वीं
||इटली में बरोक कला 16 वीं शताब्दी (1550-1750) में पनपी। यूरोपीय कला का यह काल स्वर्ण युग (Grand  Siecle) माना गया है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से इटालियन कलाकार कारावाद्ज्यो, फ्रेंच कलाकार क्लोद  लोरे, डच कलाकार रेम्ब्रां, वर्मेर, फ्रांस हाल्स, फ्लेमिश कलाकार रूबेन्स, वान डाइक एवं स्पेनिश कलाकार रिबेश, वेलास्केस इसी काल की देन हैं।
+
||[[इटली]] में बरोक कला का 16 वीं शती (1550-1750) में विकसित हुई। यूरोपीय कला का यह काल स्वर्ण युग (Grand  Siecle) माना गया है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में से इटालियन कलाकार कारावाद्ज्यो, फ़्रेंच कलाकार क्लोद  लोरे, डच कलाकार रेम्ब्रां, वर्मेर, फ़्राँस हाल्स, फ्लेमिश कलाकार रूबेन्स, वान डाइक एवं स्पेनिश कलाकार रिबेश, वेलास्केस इसी काल की देन हैं।
  
 
{'एस्थेटिक' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-1
 
{'एस्थेटिक' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-1
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-प्लेटो
+
-[[प्लेटो]]
 
+बामगार्टन
 
+बामगार्टन
 
-हीगेल
 
-हीगेल
 
-टॉलस्टाय
 
-टॉलस्टाय
||18वीं शती में बामगार्टन (1714-62 ई.) ने 'फिलॉसफी' को 'लॉजिक' (तर्कशास्त्र) 'एथिक्स' (नीतिशास्त्र) और 'एस्थेटिक्स' (सौन्दर्यशास्त्र) तीन अलग-अलग भागों में विभक्त कर दिया। 'नीतिशास्त्र' (एथिक्स) मानव को बुराइयों से हटाकर अच्छाइयों की ओर ले जाते है, सौंदर्यशास्त्र (एस्थेटिक्स) आनन्द की ओर, लॉजिक (तर्कशास्त्र) तर्क की ओर। एस्थेटिक्स तभी से अन्य विषयों की भांति अध्ययन का एक स्वतंत्र विषय बन गया।
+
||18वीं शती में बामगार्टन (1714-62 ई.) ने 'फिलॉसफी' को 'लॉजिक' (तर्कशास्त्र) 'एथिक्स' (नीतिशास्त्र) और 'एस्थेटिक्स' (सौन्दर्यशास्त्र) तीन अलग-अलग भागों में विभक्त कर दिया। 'नीतिशास्त्र' (एथिक्स) मानव को बुराइयों से हटाकर अच्छाइयों की ओर ले जाते है, सौंदर्यशास्त्र (एस्थेटिक्स) आनन्द की ओर, लॉजिक (तर्कशास्त्र) तर्क की ओर। एस्थेटिक्स तभी से अन्य विषयों की भांति अध्ययन का एक स्वतंत्र विषय बन गया। इससे सम्बाधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) बामगार्टन को 'फ़ादर ऑफ एस्थेटिक्स' (सौन्दर्य शास्त्र का जनक) कहा जाता है। (2) एस्थेटिक्स, दर्शनशास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
 
.बामगार्टन को 'फादर ऑफ एस्थेटिक्स' (सौन्दर्यशास्त्र का जनक) कहा जाता है।
 
.एस्थेटिक्स, दर्शनशास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है।
 
  
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विघ्न की बात कही है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-1
+
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विघ्न की बात निम्न में से किसने कही है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-1
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-भट्टलोल्लट ने
+
-भट्टलोल्लट
-श्रीशंकुक ने
+
-[[शंकुक|श्रीशंकुक]] ने
+अभिनवगुप्त ने
+
+[[अभिनवगुप्त]]
-भट्टनायक ने
+
-भट्टनायक
 
||भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विध्न की बात अभिनवगुप्त ने कही है। अभिनवगुप्त भारतीय सौन्दर्य-दर्शन के विशिष्टतम प्रवर्तक माने जाते हैं। इन्होंने प्रेक्षक को ध्यान उत्पन्न करने वाले सभी प्रकार की विध्न बाधाओं से सर्वप्रथम मुक्त करने की बात कही।
 
||भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विध्न की बात अभिनवगुप्त ने कही है। अभिनवगुप्त भारतीय सौन्दर्य-दर्शन के विशिष्टतम प्रवर्तक माने जाते हैं। इन्होंने प्रेक्षक को ध्यान उत्पन्न करने वाले सभी प्रकार की विध्न बाधाओं से सर्वप्रथम मुक्त करने की बात कही।
  
पंक्ति 61: पंक्ति 53:
 
||ग्वाश रंगों की प्रकृति अपारदर्शी होती है। ग्वाश का अर्थ गाढ़ा लेप होता है। चित्रों में प्राय:पोस्टर, तैल, पोस्टर तथा टेम्परा चित्रण में अधिकतर अपारदर्शी रंगांकन होता है।
 
||ग्वाश रंगों की प्रकृति अपारदर्शी होती है। ग्वाश का अर्थ गाढ़ा लेप होता है। चित्रों में प्राय:पोस्टर, तैल, पोस्टर तथा टेम्परा चित्रण में अधिकतर अपारदर्शी रंगांकन होता है।
  
{टेलीविजन मीडिया पर प्रचार की कीमत का आधार है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-1
+
{टेलीविजन मीडिया पर प्रचार की क़ीमत का क्या आधार है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-1
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
+समय
 
+समय
 
-जगह
 
-जगह
 
-प्रोडक्शन
 
-प्रोडक्शन
-रंग
+
-[[रंग]]
||टेलीविजन मीडिया पर प्रचार की कीमत का आधार प्रसारण का समय होता है। साथ ही कीमत का आधार प्रचार का आकार, गुणवत्ता, प्रिंट शैली, प्रसारण का स्थान आदि भी होता है।
+
||टेलीविजन मीडिया पर प्रचार की कीमत का आधार प्रसारण का समय होता है। साथ ही क़ीमत का आधार प्रचार का आकार, गुणवत्ता, प्रिंट शैली, प्रसारण का स्थान आदि भी होता है।
  
{कामसूत्र की उस टीका के, जिसमें 'षडंग' का वर्णन है, टीकाकार थे- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-1
+
{कामसूत्र की उस टीका के टीकाकार कौन थे, जिसमें 'षडंग' का वर्णन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-1
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
+यशोधर पंडित
 
+यशोधर पंडित
पंक्ति 75: पंक्ति 67:
 
-पंडित दीनानाथ
 
-पंडित दीनानाथ
 
-पंडित जयराज
 
-पंडित जयराज
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं-
+
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।
 
यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥
 
अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
 
  
{'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' कहां पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-1
+
{'[[भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र]]' कहां पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-1
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-पुणे
+
-[[पुणे]]
-मुंबई
+
-[[मुंबई]]
-हैदराबाद
+
-[[हैदराबाद]]
 
+ट्राम्बे
 
+ट्राम्बे
||'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' ट्राम्बे (मुंबई) में स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत  आता है। डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने मार्च, 1944 में भारत में नाभिकीय विज्ञान में अनुसंधान का कार्यक्रम प्रारंभ किया। डॉ. भाभा के शब्दों में "कुछ ही दशकों में जब परमाणु ऊर्जा का विद्युत उत्पादन के लिए सफलतापूर्वक अनुप्रयोग किया जाएगा तब भारत को विशेषज्ञों के लिए विदेशों की ओर नहीं देखना पड़ेगा बल्कि वे यहीं मिलेंगे।" उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने इस प्रश्न का उत्तर अपने प्रारंभिक उत्तर-कुंजी में (d) दिया था किंतु परिवर्तिक उत्तर-कुंजी में इसका उत्तर गलत माना है। ट्राम्बे मुंबई का एक उपनगर हैं। चूंकि विकल्प में दोनों उत्तर मौजूद है। अत: दोनों उत्तर सही हो सकते हैं किन्तु केवल विशेष स्थान कि बात की जाए, तो विकल्प (d) सही उत्तर हो सकता है।
+
||'[[भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र]]' ट्राम्बे ([[मुंबई]]) में स्थित है। यह [[भारत सरकार]] के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत  आता है। [[होमी जहांगीर भाभा|डॉ. होमी जहांगीर भाभा]] ने [[मार्च]], [[1944]] में [[भारत]] में नाभिकीय विज्ञान में अनुसंधान का कार्यक्रम प्रारंभ किया। डॉ. भाभा के शब्दों में "कुछ ही दशकों में जब परमाणु ऊर्जा का विद्युत उत्पादन के लिए सफलतापूर्वक अनुप्रयोग किया जाएगा तब भारत को विशेषज्ञों के लिए विदेशों की ओर नहीं देखना पड़ेगा बल्कि वे यहीं मिलेंगे।" उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने इस प्रश्न का उत्तर अपने प्रारंभिक उत्तर-कुंजी में (d) दिया था किंतु परिवर्तिक उत्तर-कुंजी में इसका उत्तर गलत माना है। ट्राम्बे, मुंबई का एक उपनगर हैं। चूंकि विकल्प में दोनों उत्तर मौजूद है। अत: दोनों उत्तर सही हो सकते हैं किन्तु केवल विशेष स्थान कि बात की जाए, तो विकल्प (d) सही उत्तर हो सकता है।
  
{'मृहनयनी का महत्त्व' कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-32
+
{'मृगनयनी का महल' कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-32
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-धार
 
-धार
-हैदराबाद
+
-[[हैदराबाद]]
-कोटा
+
-[[कोटा]]
+ग्वालियर
+
+[[ग्वालियर]]
||ग्वालियर के किले में 'मृगनयनी का महल' स्थित है। ग्वालियर के किले के अंदर छ: महल हैं। इनमें से एक महल राजा मानसिंह की रानी 'मृगनयनी का महल' भी है इसे 'गूजरी महल' भी कहा जाता है।
+
||[[ग्वालियर]] के क़िले में 'मृगनयनी का महल' स्थित है। ग्वालियर के क़िले के अंदर छ: महल हैं। इनमें से एक महल [[राजा मानसिंह]] की रानी 'मृगनयनी का महल' भी है इसे 'गूजरी महल' भी कहा जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) ऐसी किंवदंती है कि कच्छवाहा [[सूर्यसेन|राजा सूर्यसेन]], गालव ऋषि के कृपादृष्टि से रोगमुक्त हो गए जिससे उनके नाम पर ग्वालियर के क़िले का निर्माण कराया गया जो बस्ती आबाद की उसका नामकरण किया ग्वालिआवर। यही बाद में ग्वालियर नाम से मशहूर हुआ। (2) मुग़ल बादशाह [[बाबर]] ने इसे [[भारत|हिंदुस्तान]] के अन्य क़िलों में मोती बताया है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
 
.ऐसी किंवदंती है कि कच्छवाहा राजा सूर्यसेन, गालव ऋषि के कृपा- दृष्टि से रोगमुक्त हो गए जिससे उनके नाम पर ग्वालियर के किले का निर्माण कराया गया जो बस्ती आबाद की उसका नामकरण किया ग्वालिआवर। यही बाद में ग्वालियर नाम से मशहूर हुआ।
 
.मुगल बादशाह बाबर ने इसे हिंदुस्तान के अन्य किलों में मोती बताया है।
 
  
  
पंक्ति 106: पंक्ति 92:
  
  
{नवशास्त्रयतावादी चित्रकार का नाम बताइये- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-3
+
{नवशास्त्रयतावादी के चित्रकार कौन है?  (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-3
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-जेरिका
 
-जेरिका
पंक्ति 112: पंक्ति 98:
 
+डेविड
 
+डेविड
 
-ब्रूगेल
 
-ब्रूगेल
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सिकरात की मृत्यु' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है।
+
||जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग '[[सुकरात]] की [[मृत्यु]]' नवशास्त्रीयवाद के अंतर्गत आती है। 1785 ई. में डेविड ने अपना चित्र 'होरेशिया का प्रण' बनाया जो नवशास्त्रीयवाद का सर्वप्रथम चित्र माना जा सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। (2) 1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे [[रोम]] में अध्ययन के लिए चले गए। (3) उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (Oath of the Horatti, 1787) तथा सुकरात की मृत्यु (Death of Socrates, 1787) आदि। (4) 'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
+
 
.इनके चित्र 'मिनर्वा की विजय' में रोकॉको शैली की कुछ विशेषताएं स्पष्ट दिखाई देती हैं।
 
.1775 ई. में 'प्री द रोम' छात्रवृत्ति प्राप्त करके वे रोम अध्ययन के लिए चले गए।
 
.उनके प्रसिद्ध चित्र हैं- सेबाइंस पर बलात्कार, बुट्स, के पुत्रों के शवों के दहन, होराती का शपथ (Oath of the Horatti, 1787) तथा सुकरात की मृत्यु (Death of Socrates, 1787) आदि।
 
.'पागल हत्यारा' जेरिको का बहुत प्रभावपूर्ण व प्रसिद्ध चित्र है।
 
  
 
{'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2
 
{'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2
पंक्ति 127: पंक्ति 109:
 
||'घनवाद' (Cubism) में अनेक आयाम होते हैं क्योंकि कलाकृतियों में बहु-आयामी आकृतियों को ही 'घनवाद' कहते हैं।
 
||'घनवाद' (Cubism) में अनेक आयाम होते हैं क्योंकि कलाकृतियों में बहु-आयामी आकृतियों को ही 'घनवाद' कहते हैं।
  
{कोलकाता में विक्टोरिया स्मारक पर 1998 का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' किसने बनाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-2
+
{[[कोलकाता]] में विक्टोरिया स्मारक पर [[1998]] का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' किसने बनाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-2
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-नलिनी मालानी
 
-नलिनी मालानी
पंक्ति 133: पंक्ति 115:
 
+विवान सुंदरम
 
+विवान सुंदरम
 
-शीला गाउड़ा
 
-शीला गाउड़ा
||कोलकाता में विक्टोरिया स्मारक पर वर्ष 1998 का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' विवान सुंदरम ने बनाया था जो एक समकालीन कलकार हैं।
+
||[[कोलकाता]] में विक्टोरिया स्मारक पर वर्ष [[1998]] का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' विवान सुंदरम ने बनाया था जो एक समकालीन कलकार हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) विवान सुंदरम एक चित्रकार, मूर्तिकार तथा इंस्टालेटर भी है। ?(2) इनके पिता कल्याण सुंदरम वर्ष [[1968]]-[[1971]] में विधि आयोग के अध्यक्ष रहे थे। (3) [[लंदन]] में ब्रिटिश-अमेरिकन पेंटर आर.बी. किट्ज से मिले तथा कुछ समय तक प्रशिक्षण लिया।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
 
.विवान सुंदरम एक चित्रकार, मूर्तिकार तथा इंस्टालेटर भी है।
 
.इनके पिता कल्याण सुंदरम वर्ष 1968-71 में विधि आयोग के अध्यक्ष रहे थे।
 
.लंदन में ब्रिटिश-अमेरिकन पेंटर आर.बी. किट्ज से मिले तथा कुछ समय तक प्रशिक्षण लिया।
 
  
{इनमें से जर्मन दार्शनिक कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-2
+
{निम्न में से जर्मन दार्शनिक कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-2
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-अल्बर्ट ड्यूरर
 
-अल्बर्ट ड्यूरर
पंक्ति 145: पंक्ति 123:
 
+बामगार्टन
 
+बामगार्टन
 
-क्रोचे
 
-क्रोचे
||अलेक्जेंडर गोट्‌टिलिब बामगार्टन जर्मन दार्शनिक थे, वे दार्शनिक के साथ ही एक शिक्षक भी थे। इनका जन्म 17 जुलाई, 1714 ई. में हुई। अल्बर्ट ड्यूरर जर्मन के चित्रकार और विचारक थे। दांते इटली के दार्शनिक एवं कवि थे जबकि  क्रोचे पेंनसिल्वानिया, संयुक्त राष्ट्र संघ के गायक थे। बामगार्टन की प्रमुख पुस्तकें हैं-Ethica philosphica (1740; philosphica Ethic), Acroasis Logica (1761; Discourse on Logic), Jus Naturae (1763; Natural Law), Philosphica Generalis (1770; General Philosphica) and Praelectional Thaological (1773; Lectures on Thology).
+
||अलेक्जेंडर गोट्‌टिलिब बामगार्टन जर्मन दार्शनिक थे, वे दार्शनिक के साथ ही एक शिक्षक भी थे। इनका जन्म [[17 जुलाई]], 1714 ई. में हुई। अल्बर्ट ड्यूरर जर्मन के चित्रकार और विचारक थे। दांते [[इटली]] के दार्शनिक एवं कवि थे जबकि  क्रोचे पेंनसिल्वानिया, [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के गायक थे। बामगार्टन की प्रमुख पुस्तकें हैं-Ethica philosphica (1740; philosphica Ethic), Acroasis Logica (1761; Discourse on Logic), Jus Naturae (1763; Natural Law), Philosphica Generalis (1770; General Philosphica) and Praelectional Thaological (1773; Lectures on Thology).
  
 
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार 'रस कला की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2
 
{भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार 'रस कला की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-श्रीशंकुक का
+
-[[शंकुक|श्रीशंकुक]]
-भरत का
+
-[[भरत मुनि|भरत]]
+अभिनवगुप्त का
+
+[[अभिनवगुप्त]]
-पंडितराज जगन्नाथ का
+
-पंडितराज जगन्नाथ  
||अभिनवगुप्त ने 'रस' के 9 स्थायी भाव माने हैं। उनके अनुसार "रस का आस्वाद भावों के माध्यम से प्रेक्षक के हृदय में होता है। इसलिए भाव और रस में परस्पर शरीर और आत्मा का संबंध है।"
+
||[[अभिनवगुप्त]] ने 'रस' के 9 स्थायी भाव माने हैं। उनके अनुसार "रस का आस्वाद भावों के माध्यम से प्रेक्षक के हृदय में होता है। इसलिए भाव और रस में परस्पर शरीर और [[आत्मा]] का संबंध है।"
  
 
{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-3
 
{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-3
पंक्ति 163: पंक्ति 141:
 
||रूप, भाव तथा वर्ण, चित्र रचना के मूल तत्त्व हैं जबकि चित्रकार इन तत्त्वों का प्रयोग करके एक चित्र की रचना करता है।
 
||रूप, भाव तथा वर्ण, चित्र रचना के मूल तत्त्व हैं जबकि चित्रकार इन तत्त्वों का प्रयोग करके एक चित्र की रचना करता है।
  
{फ्राफिक विधि किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-2
+
{ग्राफिक विधि किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-2
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-मोजैक से
+
-मोजैक
-फ्रेस्को से
+
-फ्रेस्को
-टेम्परा से
+
-टेम्परा
+ईचिंग से
+
+ईचिंग  
||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह धातु (जस्ते की चादर) पर एसिड के साथ उत्कीर्ण की जाती है।
+
||ग्राफिक विधि ईचिंग से संबंधित है। ईचिंग (नक्काशी) उत्कीर्णन की इच्छा है। यह धातु ([[जस्ता|जस्ते]] की चादर) पर [[अम्ल|एसिड]] के साथ उत्कीर्ण की जाती है।
  
 
{भारतीय चित्रकला के षडंगों का सही क्रम पहचानिए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-2
 
{भारतीय चित्रकला के षडंगों का सही क्रम पहचानिए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-2
पंक्ति 177: पंक्ति 155:
 
-भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद
 
-भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद
 
-लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद
 
-लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं-
+
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। यशोधर पंडित ने 'जयमंगला' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥ अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्।
 
यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥
 
अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
 
  
{'भारत रत्न' प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-2
+
{'[[भारत रत्न]]' प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-2
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-डॉ. भगवान दास
+
-[[डॉ. भगवान दास]]
-डॉ. मोक्षगुडम विश्वेस्वरैया
+
-[[विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुडम विश्वेश्वरैया]]
-पं. जवाहरलाल
+
-[[जवाहर लाल नेहरू|पं. जवाहरलाल नेहरू]]
+डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
+
+[[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]]
||भारत सरकार के गृह मंत्रालय के वेबसाइट के अनुसार भारत रत्न सर्वप्रथम वर्ष 1954 में प्रदान किया गया। इनमें तीन व्यक्तियों का चयन किया गया जिनका क्रम इस प्रकार है- श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन तथा डॉ. चंद्रशेखर वेंकटमन। चूंकि क्रम में दूसरे स्थान पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं और यह विकल्प में दिया है जिससे विकल्प (d) सही उत्तर माना जा सकता है। वर्ष 1955 में भी तीन व्यक्तियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया। उनका क्रम इस प्रकार है- डॉ. भगवान दास, डॉ. मोक्षगुडम विश्वेस्वरैया तथा पं. जवाहरलाल नेहरू। वर्ष 2014 का भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय तथा भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी को प्रदान किया गया।
+
||[[भारत सरकार]] के गृह मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार [[भारत रत्न]] सर्वप्रथम वर्ष [[1954]] में प्रदान किया गया। इनमें तीन व्यक्तियों का चयन किया गया जिनका क्रम इस प्रकार है- [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी|श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] तथा [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन]]। चूंकि क्रम में दूसरे स्थान पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं और यह विकल्प में दिया है जिससे विकल्प (d) सही उत्तर माना जा सकता है। वर्ष [[1955]] में भी तीन व्यक्तियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया। उनका क्रम इस प्रकार है- [[डॉ. भगवान दास]], [[विश्वेश्वरैया|डॉ. मोक्षगुडम विश्वेस्वरैया]] तथा [[पं. जवाहरलाल नेहरू]]। वर्ष [[2014]] का भारत रत्न [[मदन मोहन मालवीय|पं. मदन मोहन मालवीय]] तथा भूतपूर्व प्रधानमंत्री [[अटल बिहारी वाजपेयी|अटल बिहारी वायपेयी]] को प्रदान किया गया।
  
 
{मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहां की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33
 
{मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहां की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
+ग्रीस
 
+ग्रीस
-रोम
+
-[[रोम]]
 
-इजिप्ट
 
-इजिप्ट
-मेसोपोटामिया
+
-[[मेसोपोटामिया]]
||मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' ग्रीस, यूनान की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व इस तरह की मूर्तियों का निर्माण प्रारंभ हुआ। यूनानियों के लिए इस तरह की मुस्कान आदर्श स्वास्थ्य और भलाई का लक्षण माना जाता है।
+
||मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' ग्रीस, [[यूनान]] की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व इस तरह की मूर्तियों का निर्माण प्रारंभ हुआ। यूनानियों के लिए इस तरह की मुस्कान आदर्श स्वास्थ्य और भलाई का लक्षण माना जाता है।
  
  
पंक्ति 210: पंक्ति 185:
 
-हानर डाउमियर
 
-हानर डाउमियर
 
-कैमिल कोरो
 
-कैमिल कोरो
||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो  कि एक फ्रांसीसी चित्रकार था, को स्वच्छंदतावादी आंदोलन (Romonticism Movement) का अग्रदूत माना जाता है। स्वच्छंदतावाद को 'रोमांसवाद' भी कहते है।
+
||जीन लुईस आंद्रे थियोडोर जेरिकॉल्ट (Jean Louis Andre Theodore Gericault, 1791-1824) जो  कि एक फ़्राँसीसी चित्रकार था, को स्वच्छंदतावादी आंदोलन (Romonticism Movement) का अग्रदूत माना जाता है। स्वच्छंदतावाद को 'रोमांसवाद' भी कहते हैं।
  
{घन में एक दर्शन कितने तल देख पाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-3
+
{घन में एक दर्शक कितने तल देख पाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-3
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-8
 
-8
पंक्ति 218: पंक्ति 193:
 
-6
 
-6
 
-2
 
-2
||घन (Cube) में एक दर्शन तीन तल देख पाता है क्योंकि यह एक त्रिविमीय (Three Dimensional) आकृति है।
+
||घन (Cube) में एक दर्शक तीन तल देख पाता है क्योंकि यह एक त्रिविमीय (Three Dimensional) आकृति है।
  
 
{गीता कपूर कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-3
 
{गीता कपूर कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-3
पंक्ति 226: पंक्ति 201:
 
-प्रिंटमेकर
 
-प्रिंटमेकर
 
+इतिहासकार तथा कला समीक्षक
 
+इतिहासकार तथा कला समीक्षक
||गीता कपूर भारत की अग्रणी कला समीक्षक, इतिहासकार और क्यूरेटर हैं। 20वीं सदी के दौरान उन्होंने इस उपमहाद्वीप में समकालीन कला के उद्भव के दस्तावेज तैयार किए हैं। कला, फिल्म, सांस्कृतिक सिद्धांत पर उनका निबंध व्यापक रूप से पसंद किया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी लगाई हैं। इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं- (1)Contemporary Indian artists, (2) Wten was Modernism: Essays on Contemporary Culturalce Practice in India, (3) Ends and Means: Critical inscription in contamporary art. इनके पति विवान सुंदरम भी एक कलाकार हैं।
+
||गीता कपूर [[भारत]] की अग्रणी कला समीक्षक, इतिहासकार और क्यूरेटर हैं। 20वीं सदी के दौरान उन्होंने इस उपमहाद्वीप में समकालीन कला के उद्भव के दस्तावेज तैयार किए हैं। [[कला]], फिल्म, सांस्कृतिक सिद्धांत पर उनका निबंध व्यापक रूप से पसंद किया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी लगाई हैं। इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं- (1)Contemporary Indian artists, (2) When was Modernism: Essays on Contemporary Culturalce Practice in India, (3) Ends and Means: Critical inscription in contemporary art. इनके पति विवान सुंदरम भी एक कलाकार हैं।
  
 
{एशियाई कला की अवधारणा की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-3
 
{एशियाई कला की अवधारणा की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-3
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-ई.बी. हैवेल
 
-ई.बी. हैवेल
-भगिनी निवेदिता
+
-[[भगिनी निवेदिता]]
-ए.के. कुमारस्वामी
+
-[[आनन्द कुमारस्वामी|ए.के. कुमारस्वामी]]
 
+कुकुजो ओकाकुरा
 
+कुकुजो ओकाकुरा
 
||एथियाई कला की अवधारणा की शुरुआत जापानी कलाकार कुकुजो ओकाकुरा ने की थी। ये 'जापान आर्ट इंस्टीट्यूट' के संस्थापक हैं।
 
||एथियाई कला की अवधारणा की शुरुआत जापानी कलाकार कुकुजो ओकाकुरा ने की थी। ये 'जापान आर्ट इंस्टीट्यूट' के संस्थापक हैं।
  
{रस भाव को शास्त्र का रूस दिया था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-3
+
{रस भाव को शास्त्र का रूप किसने दिया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-3
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-पं. यशोधर ने
+
-पं. यशोधर
+भरत ने
+
+[[भरत मुनि|भरत]]
-बाणभट्ट ने
+
-[[बाणभट्ट]]
-केशव दास ने
+
-[[केशव|केशव दास]]
||भरतमुनि (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्त्व के रूप में रस की प्रतिष्ठा करते हुए शृंगार, हास्य, रौद्र, करुण, वीर, अद्‌भुत, वीभत्स तथा भयानक नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति नाट्यशास्त्र में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने शांत नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
+
||[[भरत मुनि]] (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्त्व के रूप में [[रस]] की प्रतिष्ठा करते हुए [[श्रृंगार रस|श्रृंगार]], [[हास्य रस|हास्य]], [[रौद्र रस|रौद्र]], [[करुण रस|करुण]], [[वीर रस |वीर]], [[अद्भुत रस|अद्‌भुत]], [[वीभत्स रस|वीभत्स]] तथा [[भयानक रस|भयानक]] नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है। उन्होंने अपनी कृति नाट्यशास्त्र में इसका विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। कतिपय विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने [[शांत रस |शांत]] नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
  
 
{प्रकाश में उपस्थित रंगों को हम किसके द्वारा देख सकते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-4
 
{प्रकाश में उपस्थित रंगों को हम किसके द्वारा देख सकते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-4

12:20, 14 अप्रैल 2017 का अवतरण

1 जैक्स लुईस डेविड की पेंटिंग 'सुकरात की मृत्यु' किस कलावाद के अंतर्गत आती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-2

शास्त्रीयवाद
नवशास्त्रीयवाद
यथार्थवाद
उत्तर यथार्थवाद

2 घनवादी कला आकृतियों को किस रूप में देखते थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-1

वर्ग के रूप में
त्रिकोणात्मक और वर्ग के रूप में
गोले और त्रिभुज के रूप में
घन और शंकु के रूप में

3 इटली में बरोक कला का किस शती में विकसित हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-1 |type="() +16वीं -19वीं -20वीं -18वीं

प्लेटो
बामगार्टन
हीगेल
टॉलस्टाय

4 भारतीय सौन्दर्यशास्त्र में रस प्रतीति में विघ्न की बात निम्न में से किसने कही है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-1

भट्टलोल्लट
श्रीशंकुक ने
अभिनवगुप्त
भट्टनायक

5 ग्वाश रंगों की प्रकृति कैसी होती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-2

पारदर्शी
अल्प-पारदर्शी
परावर्ती
अपारदर्शी

6 टेलीविजन मीडिया पर प्रचार की क़ीमत का क्या आधार है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-1

समय
जगह
प्रोडक्शन
रंग

7 कामसूत्र की उस टीका के टीकाकार कौन थे, जिसमें 'षडंग' का वर्णन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-1

यशोधर पंडित
यशराज पंडित
पंडित दीनानाथ
पंडित जयराज

8 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' कहां पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-1

पुणे
मुंबई
हैदराबाद
ट्राम्बे

9 'मृगनयनी का महल' कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-32

धार
हैदराबाद
कोटा
ग्वालियर

10 नवशास्त्रयतावादी के चित्रकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-3

जेरिका
डोमीडर
डेविड
ब्रूगेल

11 'घनवाद' में कितने आयाम होते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-2

एक
दो
तीन
अनेक

12 कोलकाता में विक्टोरिया स्मारक पर 1998 का प्रस्थापन 'स्ट्रक्चर्स ऑफ़ मीनिंग' किसने बनाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-2

नलिनी मालानी
शिबु नटेशन
विवान सुंदरम
शीला गाउड़ा

13 निम्न में से जर्मन दार्शनिक कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-2

अल्बर्ट ड्यूरर
दांते
बामगार्टन
क्रोचे

14 भारतीय सौन्दर्यशास्त्र के अनुसार 'रस कला की आत्मा है', यह कथन सर्वप्रथम किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-2

श्रीशंकुक
भरत
अभिनवगुप्त
पंडितराज जगन्नाथ

15 इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-3

रूप
भाव
वर्ण
चित्रकार

16 ग्राफिक विधि किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-2

मोजैक
फ्रेस्को
टेम्परा
ईचिंग

17 भारतीय चित्रकला के षडंगों का सही क्रम पहचानिए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-2

रूपभेद, प्रमाण, भाव, लावण्ययोजना
प्रमाण, भाव, लावण्ययोजना, रूपभेद
भाव, लावण्ययोजना, प्रमाण, रूपभेद
लावण्ययोजना, प्रमाण, भाव, रूपभेद

18 'भारत रत्न' प्राप्त करने वाले प्रथम व्यक्ति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-2

डॉ. भगवान दास
डॉ. मोक्षगुडम विश्वेश्वरैया
पं. जवाहरलाल नेहरू
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

19 मूर्तियों पर 'आर्काइक मुस्कान' कहां की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-33

ग्रीस
रोम
इजिप्ट
मेसोपोटामिया

20 निम्नलिखित में से किस प्रमुख चित्रकार ने स्वच्छंदतावादी आंदोलन प्रारंभ किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-4

इउजीन देलाक्रो
थियोडोर जेरिकॉल्ट
हानर डाउमियर
कैमिल कोरो

21 घन में एक दर्शक कितने तल देख पाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-3

8
3
6
2

22 गीता कपूर कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-3

चित्रकार
मूर्तिकार
प्रिंटमेकर
इतिहासकार तथा कला समीक्षक

23 एशियाई कला की अवधारणा की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-3

ई.बी. हैवेल
भगिनी निवेदिता
ए.के. कुमारस्वामी
कुकुजो ओकाकुरा

24 रस भाव को शास्त्र का रूप किसने दिया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-3

पं. यशोधर
भरत
बाणभट्ट
केशव दास

25 प्रकाश में उपस्थित रंगों को हम किसके द्वारा देख सकते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-4

दर्पण
प्रिज्म
दूरबीन
एक्स-रे

26 जस्ते की चादर का प्रयोग किस तकनीक में होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-3

लीनोकट
लीथोप्रिंट
ईचिंग
इनग्रेविंग

27 पडंग' का पहला अंग है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-3

प्रमाण
सादृश्य
रूपभेद
भाव

28 महात्मा गांधीजी की मां का क्या नाम था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181प्रश्न-3

जोधाबाई
जानकी बाई
अवंती बाई
पुतली बाई

29 कोई नाम, युद्ध या अन्य तरीका जो किसी कंपनी को उसे प्रयोग करने का न्यायिक एकाधिकार प्रदान करता है, उसे कहते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-34

ट्रेडमार्क
रजिस्ट्रेशन
ब्रांड
कंपनी

30 'थियोडोर जेरिकॉल्ट' किस कला आंदोलन के अंतर्गत आते है, (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-5

नवशास्त्रीयवाद
रोमांसवाद
यथार्थवाद
प्रभाववाद

31 परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से हमें 'घन' के कितने पक्ष दिखाई पड़ते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-4

6
5
3
4

32 समीक्षावादी कलाकार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-4

रणवीर सिंह विष्ट
एन.के. खन्ना
रामचंद्र शुक्ल
मदनलाल नागर

33 सौंदर्य क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-4

कलाकृति
अभिव्यक्ति
जीवन का आनन्द
रस-निष्पत्ति

34 आचार्य भरतमुनि के अनुसार रसों की संख्या है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-4

दस
आठ
नौ
ग्यारह

35 ऑफ्सेट कलर प्रिंटिंग के चार कलर होते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-5

लाल, हरा, नीला, काला
स्यान, मैजेंटा, येली, ब्लैक
हरा, लाल, पीला, नीला
नीला, लाल, पीला, काला

36 जल-रंग चित्रण में पोत का प्रभाव किस कागज पर अच्छा उभरता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-4

चिकना
मध्यम
मोटा
पतंगी

37 षडंग किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-4

चित्रकला
मूर्तिकला
वस्त्र
स्थापत्य

38 अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-4

अब्राहम लिंकन
जॉर्ज वाशिंगटन
बिल क्लिंटन
जॉर्ज डब्ल्यू बुश

39 'हनिवा टैराकोटा' किस देश से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-187,प्रश्न-35

चीन
जापान
कोरिया
थाईलैंड

40 नवशास्त्रीयतावादी कलाकारों ने एक राजनैतिक काल के लिए योगदान किया था। वह कौन-सा काल था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-6

अमेरिकन क्रांति
भारत छोड़ों आंदोलन
फ्रेंच क्रांति
द्वितीय विश्व युद्ध

41 कौन-से दो कलाकारों ने ज्यामितीय चलन, चमकदार रंगों एवं तकनीक का समावेश अपने चित्रों में किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-125,प्रश्न-5

पिकासो एवं ब्राक
माने एवं एडगर डेगा
वान आईक बंधु

42 प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल जाने जाते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-138,प्रश्न-5

पारपरिक चित्रकार के रूप में
समीक्षावादी चित्रकार के रूप में
समीक्षक के रूप में
फोटोग्राफर के रूप में

43 पाश्पात्य सौन्दर्यशास्त्र में 'सहजानुभूति' (Intuition) का सिद्धांत प्रतिपादित किया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-151,प्रश्न-5

हीगल ने
क्रोचे ने
बामगार्टन ने
टॉमस एक्विनास ने

44 सर्वप्रथम किसने 'नाट्यशास्त्र' में आठ रसों को बतलाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-154,प्रश्न-5

आचार्य उद्भट्ट
आचार्य बाणभट्ट
आचार्य भरतमुनि
आचार्य नारायण मुनि

45 चंबा की रेखाएं किस रंग से बनाई गई हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-1

लाल, पीला, हरा
लाल, काला
काला, सफेद
इनमें से सभी

46 किस-किस रंग के मिलन से ग्रे रंग बनता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-158,प्रश्न-6

काला और हरा
काला और नीला
काला और पीला
काला और सफेद

47 वॉश तकनीक की रेखाएं भारतीय कलाओं से प्रेरित हैं, लेकिन तकनीक- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-166,प्रश्न-5

इटालियन है
मंगोलियन है
ईरानियन है
चीनी-जापानी है

48 भारतीय षडंग (छ: अंग) के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-177,प्रश्न-5

रामचंद्र शुक्ल
यशोधर पंडित
कालिदास
भरत

49 रैम किसका संक्षिप्त रूप है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-181,प्रश्न-5

रैपिड एक्सेस मेमोरी
रैन्डम एक्सेस मेमोरी
रोलिंग एक्सेस मेमोरी
रैपिड रक्यूरेट मेमोरी

50 विज्ञापन करेक्टर 'गट्टू' का निर्माण किया था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-36

आर.के. नारायण
अजित निनान
के.एस. कुलवर्ती
आर.के. लक्ष्मण