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'''तमसावन''' [[जालंधर]] ([[पंजाब]]) से लगभग 24 मील {{मील|मील=24}} की दूरी पर पश्चिम की ओर स्थित था। [[गुप्त काल]] में यहाँ एक [[बौद्ध]] बिहार था, जो उस समय काफ़ी प्राचीन हो चुका था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=391|url=}}</ref>
 
'''तमसावन''' [[जालंधर]] ([[पंजाब]]) से लगभग 24 मील {{मील|मील=24}} की दूरी पर पश्चिम की ओर स्थित था। [[गुप्त काल]] में यहाँ एक [[बौद्ध]] बिहार था, जो उस समय काफ़ी प्राचीन हो चुका था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=391|url=}}</ref>
  
*एक किंवदंती के अनुसार कात्यायनीपुत्र ने [[तथागत]] के निर्वाण के पश्चात यहीं अपने शास्त्र की रचना की थी।
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*एक किंवदंती के अनुसार कात्यायनीपुत्र ने [[तथागत]] के निर्वाण के पश्चात् यहीं अपने शास्त्र की रचना की थी।
 
*तमसावन सर्वास्तिवादी भिक्षुओं का विशेष केंद्र था।
 
*तमसावन सर्वास्तिवादी भिक्षुओं का विशेष केंद्र था।
 
*[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] का बनवाया हुआ एक [[स्तूप]] भी यहाँ स्थित था।
 
*[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] का बनवाया हुआ एक [[स्तूप]] भी यहाँ स्थित था।

07:45, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

तमसावन जालंधर (पंजाब) से लगभग 24 मील (लगभग 38.4 कि.मी.) की दूरी पर पश्चिम की ओर स्थित था। गुप्त काल में यहाँ एक बौद्ध बिहार था, जो उस समय काफ़ी प्राचीन हो चुका था।[1]

  • एक किंवदंती के अनुसार कात्यायनीपुत्र ने तथागत के निर्वाण के पश्चात् यहीं अपने शास्त्र की रचना की थी।
  • तमसावन सर्वास्तिवादी भिक्षुओं का विशेष केंद्र था।
  • मौर्य सम्राट अशोक का बनवाया हुआ एक स्तूप भी यहाँ स्थित था।
  • 7वीं शती में चीनी यात्री युवानच्वांग ने यहाँ की यात्रा की थी। उसने तमसावन के बिहार में 3000 सर्वास्तिवादी भिक्षुओं का निवास बताया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 391 |

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