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[[सल्तनत काल]] में सल्तनत के सभी प्रभावशाली पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की सामान्य संज्ञा '''अमीर''' थी। अमीरों का प्रभाव सुल्तान पर होता था। सुल्तान को शासन करने के लिए अमीरों को अपने अनूकूल किये रहना आवश्यक होता था। अमीरों का प्रभाव उस समय बढ़ जाता था, जब सुल्तान अयोग्य, निर्बल या अल्पव्यस्क हो। वैसे [[बलबन]] और [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के समय में अमीर प्रभावहीन हो गये थे।  
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[[सल्तनत काल]] में सल्तनत के सभी प्रभावशाली पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की सामान्य संज्ञा '''अमीर''' थी। अमीरों का प्रभाव सुल्तान पर होता था। सुल्तान को शासन करने के लिए अमीरों को अपने अनूकूल किये रहना आवश्यक होता था। अमीरों का प्रभाव उस समय बढ़ जाता था, जब सुल्तान अयोग्य, निर्बल या अल्पवयस्क हो। वैसे [[बलबन]] और [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के समय में अमीर प्रभावहीन हो गये थे।  
  
 
प्रायः नये राजवंश के सत्ता में आने पर पुराने अमीरों को या तो मार दिया जाता था या फिर उन्हें छोटे पद दे दिये जाते थे। [[मुहम्मद तुग़लक़]] के काल में हुए विद्रोह में अमीरों का सर्वाधिक योगदान था। इसलिए उसने पुराने अमीरों को कमज़ोर करने की दृष्टि से मिश्रित जनजातीय अधिकार पर पदाधिकारियों की एक नई व्यवस्था स्थापित की। अमीरों का प्रशासन में महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। [[लोदी वंश]] के शासन काल मे अमीरों का महत्त्व अपने चरमोत्कर्ष पर था।
 
प्रायः नये राजवंश के सत्ता में आने पर पुराने अमीरों को या तो मार दिया जाता था या फिर उन्हें छोटे पद दे दिये जाते थे। [[मुहम्मद तुग़लक़]] के काल में हुए विद्रोह में अमीरों का सर्वाधिक योगदान था। इसलिए उसने पुराने अमीरों को कमज़ोर करने की दृष्टि से मिश्रित जनजातीय अधिकार पर पदाधिकारियों की एक नई व्यवस्था स्थापित की। अमीरों का प्रशासन में महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। [[लोदी वंश]] के शासन काल मे अमीरों का महत्त्व अपने चरमोत्कर्ष पर था।

10:36, 2 जनवरी 2018 का अवतरण

सल्तनत काल में सल्तनत के सभी प्रभावशाली पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की सामान्य संज्ञा अमीर थी। अमीरों का प्रभाव सुल्तान पर होता था। सुल्तान को शासन करने के लिए अमीरों को अपने अनूकूल किये रहना आवश्यक होता था। अमीरों का प्रभाव उस समय बढ़ जाता था, जब सुल्तान अयोग्य, निर्बल या अल्पवयस्क हो। वैसे बलबन और अलाउद्दीन ख़िलजी के समय में अमीर प्रभावहीन हो गये थे।

प्रायः नये राजवंश के सत्ता में आने पर पुराने अमीरों को या तो मार दिया जाता था या फिर उन्हें छोटे पद दे दिये जाते थे। मुहम्मद तुग़लक़ के काल में हुए विद्रोह में अमीरों का सर्वाधिक योगदान था। इसलिए उसने पुराने अमीरों को कमज़ोर करने की दृष्टि से मिश्रित जनजातीय अधिकार पर पदाधिकारियों की एक नई व्यवस्था स्थापित की। अमीरों का प्रशासन में महत्त्वपूर्ण योगदान होता था। लोदी वंश के शासन काल मे अमीरों का महत्त्व अपने चरमोत्कर्ष पर था।


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