"एन. गोपालस्वामी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
+
{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
 
|चित्र=N. Gopalaswami.jpg
 
|चित्र=N. Gopalaswami.jpg
|चित्र का नाम=N. Gopalaswami
+
|चित्र का नाम=एन. गोपालस्वामी
|विवरण=15वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे।
+
|पूरा नाम=एन. गोपालस्वामी
|शीर्षक 1=कार्यकाल
+
|अन्य नाम=
|पाठ 1=30 जून 2006 से 20 अप्रैल 2009
+
|जन्म=[[21 अप्रॅल]], [[1944]]
|शीर्षक 2=अधिकार क्षेत्र
+
|जन्म भूमि=
|पाठ 2=[[भारत]]
+
|मृत्यु=
|शीर्षक 3=मुख्यालय
+
|मृत्यु स्थान=
|पाठ 3=[[नई दिल्ली]]
+
|मृत्यु कारण=
|शीर्षक 4=
+
|अभिभावक=
|पाठ 4=
+
|पति/पत्नी=
|शीर्षक 5=
+
|संतान=
|पाठ 5=
+
|स्मारक=  
|शीर्षक 6=
+
|क़ब्र=  
|पाठ 6=
+
|नागरिकता=भारतीय
|शीर्षक 7=
+
|प्रसिद्धि=15वें [[मुख्य निर्वाचन आयुक्त]], [[भारत]]
|पाठ 7=
+
|पार्टी=
|शीर्षक 8=
+
|पद=
|पाठ 8=
+
|कार्य काल=[[29 जून]], [[2006]] से [[20 अप्रैल]], [[2009]] तक
|शीर्षक 9=
+
|शिक्षा=
|पाठ 9=
+
|भाषा=
|शीर्षक 10=विशेष
+
|विद्यालय=
|पाठ 10=एन. गोपालस्वामी को उस '''अधिकार-प्राप्त विशेषज्ञ समिति''' की अध्यक्षता सौंपी गई है जिसका गठन देश की 20 उच्च शिक्षण संस्थाओं का चयन करने के लिए फरवरी 2018 के दौरान [[मानव संसाधन विकास मंत्रालय]] ने किया है।
+
|जेल यात्रा=
 +
|पुरस्कार-उपाधि=
 +
|विशेष योगदान=
 
|संबंधित लेख=
 
|संबंधित लेख=
|अन्य जानकारी=वह केंद्रीय गृह सचिव थे और उससे पहले संस्कृति विभाग में सचिव और '''राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग''' में महासचिव थे।
+
|शीर्षक 1=पूर्वाधिकारी
 +
|पाठ 1=[[बी. बी. टंडन]]
 +
|शीर्षक 2=उत्तराधिकारी
 +
|पाठ 2=[[नवीन चावला]]
 +
|अन्य जानकारी=एन. गोपालस्वामी को व्यापक तौर पर आदर्श प्रशासनिक अधिकारी माना जाता था जो नियमों के पाबंद थे।
 
|बाहरी कड़ियाँ=
 
|बाहरी कड़ियाँ=
 
|अद्यतन=
 
|अद्यतन=
}}
+
}}'''एन. गोपालस्वामी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''N. Gopalaswami'', जन्म- [[21 अप्रॅल]], [[1944]]) [[भारत]] के 15वें [[मुख्य निर्वाचन आयुक्त|मुख्य चुनाव आयुक्त]] थे। एन. गोपालस्वामी मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए उस समय चर्चा में आ गए थे, जब उन्होंने अपने अधीन चुनाव आयुक्त [[नवीन चावला]] को आयोग हटाने की सिफारिश कर दी थी। उनका आरोप था नवीन एक पार्टी विशेष को लेकर निष्पक्ष नहीं थे। हालांकि केंद्र सरकार ने गोपालस्वामी की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए नवीन चावला को [[भारत|देश]] का 16वां मुख्य चुनाव आयुक्त बना दिया था। [[वर्ष]] [[2014]] में उन्हें कला क्षेत्र के शासी मंडल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष [[2015]] में उन्हें [[पद्म भूषण]] मिला। वह पांच सालों के लिए राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के कुलाधिपति भी नियुक्त हुए।
 
 
एन गोपालस्वामी ([[अंग्रेज़ी]]: ''N. Gopalaswami'') 15वें [[मुख्य निर्वाचन आयुक्त|मुख्य चुनाव आयुक्त]] थे। एन गोपालस्वामी मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए उस समय चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने अपने अधीन चुनाव आयुक्त [[नवीन चावला]] को आयोग हटाने की सिफारिश कर दी थी। उनका आरोप था नवीन एक पार्टी विशेष को लेकर निष्पक्ष नहीं थे। हालांकि केंद्र सरकार ने गोपालस्वामी की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए नवीन चावला को [[भारत|देश]] का '''16वां मुख्य चुनाव आयुक्त''' बना दिया था। [[वर्ष]] [[2014]] में उन्हें कला क्षेत्र के शासी मंडल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष [[2015]] में उन्हें [[पद्म भूषण]] मिला। वह पांच सालों के लिए राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के कुलाधिपति भी नियुक्त हुए।
 
==कार्यकाल==
 
एन गोपालस्वामी का कार्यकाल '''30 जून 2006 से 20 अप्रैल 2009''' तक रहा।
 
 
==व्यक्तित्व==
 
==व्यक्तित्व==
एन गोपालस्वामी को व्यापक तौर पर आदर्श प्रशासनिक अधिकारी माना जाता था जो नियमों के पाबंद थे। [[1966]] बैच के [[गुजरात|गुजरात काडर]] के [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]<ref>आई.ए.एस.</ref> के अधिकारी रहे हैं। वह कई शीर्ष स्तर के पदों पर रहे हैं जिनमें '''गुजरात कम्युनिकेशन ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड''' के प्रबंध निदेशक, गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में सदस्य<ref>प्रशासन और खरीद</ref>, तकनीकी शिक्षा में सरकार के सचिव<ref>विज्ञान एवं तकनीक </ref>और राजस्व विभाग के सचिव जैसे पद शामिल हैं। [[दिल्ली]] में वह [[1992]] और [[2004]] के बीच रहे जब वह केंद्रीय गृह सचिव थे और उससे पहले संस्कृति विभाग में सचिव और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में महासचिव थे। उनके समकालीन लोग उन्हें व्यवस्था को चुनौती देने वाले व्यक्ति के बजाय अत्यधिक धार्मिक बताते हैं। हालांकि उनमें कुछ असामान्यता भी दिखी।<ref>{{cite web |url=https://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=149908|title=किन नियमों पर प्रतिबद्ध हैं गोपालस्वामी|accessmonthday=22 मई |accessyear=2019 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=बिज़नेस स्टैंडर्ड |language=हिंदी }} </ref>
+
एन. गोपालस्वामी को व्यापक तौर पर आदर्श प्रशासनिक अधिकारी माना जाता था जो नियमों के पाबंद थे। [[1966]] बैच के [[गुजरात|गुजरात काडर]] के [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]<ref>आई.ए.एस.</ref> के अधिकारी रहे हैं। वह कई शीर्ष स्तर के पदों पर रहे हैं जिनमें '''गुजरात कम्युनिकेशन ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड''' के प्रबंध निदेशक, गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में सदस्य<ref>प्रशासन और खरीद</ref>, तकनीकी शिक्षा में सरकार के सचिव<ref>विज्ञान एवं तकनीक </ref>और राजस्व विभाग के सचिव जैसे पद शामिल हैं। [[दिल्ली]] में वह [[1992]] और [[2004]] के बीच रहे जब वह केंद्रीय गृह सचिव थे और उससे पहले संस्कृति विभाग में सचिव और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में महासचिव थे। उनके समकालीन लोग उन्हें व्यवस्था को चुनौती देने वाले व्यक्ति के बजाय अत्यधिक धार्मिक बताते हैं। हालांकि उनमें कुछ असामान्यता भी दिखी।<ref>{{cite web |url=https://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=149908|title=किन नियमों पर प्रतिबद्ध हैं गोपालस्वामी|accessmonthday=22 मई |accessyear=2019 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=बिज़नेस स्टैंडर्ड |language=हिंदी }} </ref>
  
 
देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी को उस अधिकार-प्राप्त विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता सौंपी गई है जिसका गठन देश की 20 उच्च शिक्षण संस्थाओं का चयन करने के लिए [[फरवरी]] [[2018]] के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने किया है। उक्त घोषणा मंत्रालय ने [[20 फरवरी]] 2018 को की।<ref>{{cite web |url=https://www.nirdeshak.com/read-blog/1091_23-24_फरवरी_2018_करेण्ट_अफेयर्स.html|title=23-24 फरवरी 2018 करेण्ट अफेयर्स|accessmonthday=22 मई |accessyear=2019 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=आज तक |language=हिंदी }} </ref>
 
देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी को उस अधिकार-प्राप्त विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता सौंपी गई है जिसका गठन देश की 20 उच्च शिक्षण संस्थाओं का चयन करने के लिए [[फरवरी]] [[2018]] के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने किया है। उक्त घोषणा मंत्रालय ने [[20 फरवरी]] 2018 को की।<ref>{{cite web |url=https://www.nirdeshak.com/read-blog/1091_23-24_फरवरी_2018_करेण्ट_अफेयर्स.html|title=23-24 फरवरी 2018 करेण्ट अफेयर्स|accessmonthday=22 मई |accessyear=2019 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=आज तक |language=हिंदी }} </ref>
 
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
 
 
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{मुख्य चुनाव आयुक्त}}
+
{{मुख्य चुनाव आयुक्त}}{{पद्म भूषण}}
[[Category:राजनीति कोश]]
+
[[Category:मुख्य चुनाव आयुक्त]][[Category:प्रशासनिक अधिकारी]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:राजनीति कोश]]
[[Category:चुनाव आयोग]]
 
[[Category:मुख्य चुनाव आयुक्त]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
__NOTOC__
 

22:08, 22 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

एन. गोपालस्वामी
एन. गोपालस्वामी
पूरा नाम एन. गोपालस्वामी
जन्म 21 अप्रॅल, 1944
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि 15वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत
कार्य काल 29 जून, 2006 से 20 अप्रैल, 2009 तक
पूर्वाधिकारी बी. बी. टंडन
उत्तराधिकारी नवीन चावला
अन्य जानकारी एन. गोपालस्वामी को व्यापक तौर पर आदर्श प्रशासनिक अधिकारी माना जाता था जो नियमों के पाबंद थे।

एन. गोपालस्वामी (अंग्रेज़ी: N. Gopalaswami, जन्म- 21 अप्रॅल, 1944) भारत के 15वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे। एन. गोपालस्वामी मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए उस समय चर्चा में आ गए थे, जब उन्होंने अपने अधीन चुनाव आयुक्त नवीन चावला को आयोग हटाने की सिफारिश कर दी थी। उनका आरोप था नवीन एक पार्टी विशेष को लेकर निष्पक्ष नहीं थे। हालांकि केंद्र सरकार ने गोपालस्वामी की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए नवीन चावला को देश का 16वां मुख्य चुनाव आयुक्त बना दिया था। वर्ष 2014 में उन्हें कला क्षेत्र के शासी मंडल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष 2015 में उन्हें पद्म भूषण मिला। वह पांच सालों के लिए राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के कुलाधिपति भी नियुक्त हुए।

व्यक्तित्व

एन. गोपालस्वामी को व्यापक तौर पर आदर्श प्रशासनिक अधिकारी माना जाता था जो नियमों के पाबंद थे। 1966 बैच के गुजरात काडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा[1] के अधिकारी रहे हैं। वह कई शीर्ष स्तर के पदों पर रहे हैं जिनमें गुजरात कम्युनिकेशन ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में सदस्य[2], तकनीकी शिक्षा में सरकार के सचिव[3]और राजस्व विभाग के सचिव जैसे पद शामिल हैं। दिल्ली में वह 1992 और 2004 के बीच रहे जब वह केंद्रीय गृह सचिव थे और उससे पहले संस्कृति विभाग में सचिव और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में महासचिव थे। उनके समकालीन लोग उन्हें व्यवस्था को चुनौती देने वाले व्यक्ति के बजाय अत्यधिक धार्मिक बताते हैं। हालांकि उनमें कुछ असामान्यता भी दिखी।[4]

देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी को उस अधिकार-प्राप्त विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता सौंपी गई है जिसका गठन देश की 20 उच्च शिक्षण संस्थाओं का चयन करने के लिए फरवरी 2018 के दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने किया है। उक्त घोषणा मंत्रालय ने 20 फरवरी 2018 को की।[5]

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आई.ए.एस.
  2. प्रशासन और खरीद
  3. विज्ञान एवं तकनीक
  4. किन नियमों पर प्रतिबद्ध हैं गोपालस्वामी (हिंदी) बिज़नेस स्टैंडर्ड। अभिगमन तिथि: 22 मई, 2019।
  5. 23-24 फरवरी 2018 करेण्ट अफेयर्स (हिंदी) आज तक। अभिगमन तिथि: 22 मई, 2019।

संबंधित लेख