"18" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - "छः" to "छह")
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''इस लेख में संख्या 18 (अठारह) संख्या के महत्त्व को बताया गया है।'''
+
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
 +
|चित्र=18.png
 +
|चित्र का नाम=संख्या 18 (अठारह)
 +
|विवरण=इस लेख में संख्या 18 (अठारह) संख्या के महत्त्व को बताया गया है
 +
|शीर्षक 1=[[हिंदी]]
 +
|पाठ 1=अठारह
 +
|शीर्षक 2=[[अंग्रेज़ी]]
 +
|पाठ 2=Eighteen
 +
|शीर्षक 3=[[रोमन लिपि|रोमन]]
 +
|पाठ 3=XVIII
 +
|शीर्षक 4=महत्त्व
 +
|पाठ 4=[[महाभारत]] युद्ध- 18 दिन
 +
[[पुराण|पुराणों]] की संख्या- 18<br />
 +
[[गीता]] में अध्याय- 18<br />
 +
गीता में श्लोक- 18 हज़ार<br />
 +
इनके अतिरिक्त सिद्धियाँ, तत्त्व, विद्याएँ की भी संख्या 18 है।
 +
|शीर्षक 5=
 +
|पाठ 5=
 +
|संबंधित लेख=[[अंक 7]], [[786]]
 +
|अन्य जानकारी=
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''इस लेख में संख्या 18 (अठारह) संख्या के महत्त्व को बताया गया है'''
 
==महाभारत में 18 का महत्त्व==  
 
==महाभारत में 18 का महत्त्व==  
{{tocright}}
 
 
* [[महाभारत]] का युद्ध कुल 18 दिनों तक हुआ था।
 
* [[महाभारत]] का युद्ध कुल 18 दिनों तक हुआ था।
 
*  [[कौरव|कौरवों]] (11 [[अक्षौहिणी]]) और [[पांडव|पांडवों]] (7 [[अक्षौहिणी]]) की सेना भी कुल 18 अक्षौहिणी थी।
 
*  [[कौरव|कौरवों]] (11 [[अक्षौहिणी]]) और [[पांडव|पांडवों]] (7 [[अक्षौहिणी]]) की सेना भी कुल 18 अक्षौहिणी थी।
 
*  महाभारत में कुल 18 पर्व हैं ([[आदि पर्व महाभारत|आदि पर्व]], [[सभा पर्व महाभारत|सभा पर्व]], [[वन पर्व महाभारत|वन पर्व]], [[विराटपर्व महाभारत|विराटपर्व ]], [[उद्योग पर्व महाभारत|उद्योग पर्व]], [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म पर्व]], [[द्रोण पर्व महाभारत|द्रोण पर्व]], [[आश्वमेधिक पर्व महाभारत|अश्वमेधिक पर्व]], [[महाप्रास्थानिक पर्व महाभारत|महाप्रस्थानिक पर्व]], [[सौप्तिक पर्व महाभारत|सौप्तिक पर्व]], [[स्त्री पर्व महाभारत|स्त्री पर्व]], [[शांति पर्व महाभारत|शांति पर्व]], [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]], [[मौसल पर्व महाभारत|मौसल पर्व]], [[कर्ण पर्व महाभारत|कर्ण पर्व]], [[शल्य पर्व महाभारत|शल्य पर्व]], [[स्वर्गारोहण पर्व महाभारत|स्वर्गारोहण पर्व]] तथा [[आश्रमवासिक पर्व महाभारत|आश्रमवासिक पर्व]])।
 
*  महाभारत में कुल 18 पर्व हैं ([[आदि पर्व महाभारत|आदि पर्व]], [[सभा पर्व महाभारत|सभा पर्व]], [[वन पर्व महाभारत|वन पर्व]], [[विराटपर्व महाभारत|विराटपर्व ]], [[उद्योग पर्व महाभारत|उद्योग पर्व]], [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म पर्व]], [[द्रोण पर्व महाभारत|द्रोण पर्व]], [[आश्वमेधिक पर्व महाभारत|अश्वमेधिक पर्व]], [[महाप्रास्थानिक पर्व महाभारत|महाप्रस्थानिक पर्व]], [[सौप्तिक पर्व महाभारत|सौप्तिक पर्व]], [[स्त्री पर्व महाभारत|स्त्री पर्व]], [[शांति पर्व महाभारत|शांति पर्व]], [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]], [[मौसल पर्व महाभारत|मौसल पर्व]], [[कर्ण पर्व महाभारत|कर्ण पर्व]], [[शल्य पर्व महाभारत|शल्य पर्व]], [[स्वर्गारोहण पर्व महाभारत|स्वर्गारोहण पर्व]] तथा [[आश्रमवासिक पर्व महाभारत|आश्रमवासिक पर्व]])।
* महाभारत युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 हैं ([[धृतराष्ट्र]], [[दुर्योधन]], [[दु:शासन]], [[कर्ण]], [[शकुनी]], [[भीष्म]], [[द्रोण]], [[कृपाचार्य]], [[अश्वत्थामा]], [[कृतवर्मा]], [[श्रीकृष्ण]], [[युधिष्ठिर]], [[भीम]], [[अर्जुन]], [[नकुल]], [[सहदेव]], [[द्रौपदी]] एवं [[विदुर]])
+
* महाभारत युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 हैं ([[धृतराष्ट्र]], [[दुर्योधन]], [[दु:शासन]], [[कर्ण]], [[शकुनी]], [[भीष्म]], [[द्रोण]], [[कृपाचार्य]], [[अश्वत्थामा]], [[कृतवर्मा]], [[श्रीकृष्ण]], [[युधिष्ठिर]], [[भीम]], [[अर्जुन]], [[नकुल]], [[सहदेव]], [[द्रौपदी]] एवं [[विदुर]])[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|thumb|left|[[महाभारत]] युद्ध में [[कृष्ण]] और [[अर्जुन]]]]
 
* महाभारत के युद्ध के पश्चात् कौरवों की तरफ से तीन और पांडवों की तरफ से 15 यानि कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे।
 
* महाभारत के युद्ध के पश्चात् कौरवों की तरफ से तीन और पांडवों की तरफ से 15 यानि कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे।
 
* महाभारत को [[पुराण|पुराणों]] के जितना सम्मान दिया जाता है और पुराणों की संख्या भी 18 है।
 
* महाभारत को [[पुराण|पुराणों]] के जितना सम्मान दिया जाता है और पुराणों की संख्या भी 18 है।
पंक्ति 11: पंक्ति 33:
 
* [[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]] के अध्यायों की संख्या अठारह है।
 
* [[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]] के अध्यायों की संख्या अठारह है।
 
* श्रीमद् भागवत में कुल श्लोकों की संख्या अठारह हज़ार है।
 
* श्रीमद् भागवत में कुल श्लोकों की संख्या अठारह हज़ार है।
==अट्ठारह सिद्धियाँ ==
+
==अठारह सिद्धियाँ ==
 
अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, सिद्धि, ईशित्व या वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, सृष्टि, पराकायप्रवेश, वाकसिद्धि, कल्पवृक्षत्व, संहारकरणसामर्थ्य, भावना, अमरता, सर्वन्याय - ये अट्ठारह सिद्धियाँ मानी जाती हैं।
 
अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, सिद्धि, ईशित्व या वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, सृष्टि, पराकायप्रवेश, वाकसिद्धि, कल्पवृक्षत्व, संहारकरणसामर्थ्य, भावना, अमरता, सर्वन्याय - ये अट्ठारह सिद्धियाँ मानी जाती हैं।
 
==अठारह तत्त्व==
 
==अठारह तत्त्व==
 +
[[चित्र:Puran-1.png|thumb|[[पुराण]]]]
 
सांख्य दर्शन में पुरुष, प्रकृति, मन, पाँच महाभूत (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश), पाँच ज्ञानेद्री (कान, त्वचा, चक्षु, नासिका और जिह्वा) और पाँच कर्मेंद्री (वाक, पाणि, पाद, पायु और उपस्थ ) ये अठारह तत्त्व वर्णित हैं।
 
सांख्य दर्शन में पुरुष, प्रकृति, मन, पाँच महाभूत (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश), पाँच ज्ञानेद्री (कान, त्वचा, चक्षु, नासिका और जिह्वा) और पाँच कर्मेंद्री (वाक, पाणि, पाद, पायु और उपस्थ ) ये अठारह तत्त्व वर्णित हैं।
 
==अठारह विद्याएँ==  
 
==अठारह विद्याएँ==  
छः [[वेदांग]], चार [[वेद]], [[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]], [[न्यायशास्त्र]], [[पुराण]], [[धर्मशास्त्र]], [[अर्थशास्त्र]], [[आयुर्वेद]], धनुर्वेद और गंधर्व वेद ये अठारह प्रकार की विद्याएँ मानी जाती हैं।
+
छह [[वेदांग]], चार [[वेद]], [[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]], [[न्यायशास्त्र]], [[पुराण]], [[धर्मशास्त्र]], [[अर्थशास्त्र]], [[आयुर्वेद]], धनुर्वेद और गंधर्व वेद ये अठारह प्रकार की विद्याएँ मानी जाती हैं।
 
==काल के अठारह भेद==
 
==काल के अठारह भेद==
 
एक [[संवत्|संवत्सर]], पाँच [[ऋतुएँ]] और बारह [[महीने]] - ये सब मिलकर काल के अठारह भेदों को बताते हैं।
 
एक [[संवत्|संवत्सर]], पाँच [[ऋतुएँ]] और बारह [[महीने]] - ये सब मिलकर काल के अठारह भेदों को बताते हैं।
पंक्ति 32: पंक्ति 55:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
[[Category:ज्योतिष विज्ञान]]
 
[[Category:ज्योतिष विज्ञान]]
 +
[[Category:महत्त्वपूर्ण अंक और संख्याएँ]]
 +
[[Category:संस्कृति कोश]]
  
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

10:07, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

18
संख्या 18 (अठारह)
विवरण इस लेख में संख्या 18 (अठारह) संख्या के महत्त्व को बताया गया है
हिंदी अठारह
अंग्रेज़ी Eighteen
रोमन XVIII
महत्त्व महाभारत युद्ध- 18 दिन

पुराणों की संख्या- 18
गीता में अध्याय- 18
गीता में श्लोक- 18 हज़ार
इनके अतिरिक्त सिद्धियाँ, तत्त्व, विद्याएँ की भी संख्या 18 है।

संबंधित लेख अंक 7, 786

इस लेख में संख्या 18 (अठारह) संख्या के महत्त्व को बताया गया है

महाभारत में 18 का महत्त्व

गीता में 18 का महत्त्व

  • श्रीमद्भागवत गीता के अध्यायों की संख्या अठारह है।
  • श्रीमद् भागवत में कुल श्लोकों की संख्या अठारह हज़ार है।

अठारह सिद्धियाँ

अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, सिद्धि, ईशित्व या वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, सृष्टि, पराकायप्रवेश, वाकसिद्धि, कल्पवृक्षत्व, संहारकरणसामर्थ्य, भावना, अमरता, सर्वन्याय - ये अट्ठारह सिद्धियाँ मानी जाती हैं।

अठारह तत्त्व

सांख्य दर्शन में पुरुष, प्रकृति, मन, पाँच महाभूत (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश), पाँच ज्ञानेद्री (कान, त्वचा, चक्षु, नासिका और जिह्वा) और पाँच कर्मेंद्री (वाक, पाणि, पाद, पायु और उपस्थ ) ये अठारह तत्त्व वर्णित हैं।

अठारह विद्याएँ

छह वेदांग, चार वेद, मीमांसान्यायशास्त्र, पुराण, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्रआयुर्वेद, धनुर्वेद और गंधर्व वेद ये अठारह प्रकार की विद्याएँ मानी जाती हैं।

काल के अठारह भेद

एक संवत्सर, पाँच ऋतुएँ और बारह महीने - ये सब मिलकर काल के अठारह भेदों को बताते हैं।

देवी के अठारह स्वरूप

राधाकात्यायनीकालीताराकूष्मांडालक्ष्मीसरस्वतीगायत्री, छिन्नमस्ता, षोडशी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, पार्वती, सिद्धिदात्री, भगवती, जगदम्बा के ये अठारह स्वरूप माने जाते हैं।

अठारह भुजा

विष्णुशिवब्रह्माइन्द्र आदि देवताओं के अंश से प्रकट हुई भगवती दुर्गा अठारह भुजाओं से सुशोभित हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख