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}}'''बिप्लब कुमार देब''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Biplab Kumar Deb'', जन्म: [[25 नवंबर]], [[1971]]) [[भारतीय जनता पार्टी]] के राजनीतिज्ञ और [[त्रिपुरा के मुख्यमंत्री]] हैं। वह [[7 जनवरी]], [[2016]] से [[त्रिपुरा]] में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। बिप्लब कुमार देब [[2018]] में हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के सूत्रधार हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में 25 साल से शासन कर रही वाम मोर्चा सरकार को हराया। उन्होंने [[9 मार्च]], [[2018]] को त्रिपुरा के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। पार्टी ने उन्हें [[2015]] में राज्य में महासंपर्क अभियान के प्रदेश संयोजक के तौर पर भी त्रिपुरा भेजा था।
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}}'''बिप्लब कुमार देब''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Biplab Kumar Deb'', जन्म: [[25 नवंबर]], [[1971]]) [[भारतीय जनता पार्टी]] के राजनीतिज्ञ और [[त्रिपुरा के मुख्यमंत्री]] रहे हैं। वह [[7 जनवरी]], [[2016]] से [[त्रिपुरा]] में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। बिप्लब कुमार देब [[2018]] में हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के सूत्रधार रहे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में 25 साल से शासन कर रही वाम मोर्चा सरकार को हराया। उन्होंने [[9 मार्च]], [[2018]] को त्रिपुरा के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। पार्टी ने उन्हें [[2015]] में राज्य में महासंपर्क अभियान के प्रदेश संयोजक के तौर पर भी त्रिपुरा भेजा था।
 
==जीवन परिचय==
 
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बिप्लब कुमार देब का जन्म [[25 नवम्बर]] [[1971]] को [[त्रिपुरा]] के उदयपुर जिले के ककराबन नामक जगह पर हुआ। फिलहाल यह स्थान गोमती ज़िले में पड़ता है। यहीं स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने [[त्रिपुरा विश्वविद्यालय]] से स्नातक किया और फिर आगे की पढ़ाई के लिए [[दिल्ली]] चले गए। दिल्ली में रहने के दौरान ही ये [[राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ]] से जुड़ गए और उसके प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। इन्होंने काफी समय तक पेेशेवर जिम इंस्ट्रेक्टर के रूप में भी कार्य किया। बिप्लब कुमार देब की पत्नी नीति देब दिल्ली में [[भारतीय स्टेट बैंक]] में शाखा उपप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। दोनों के एक [[पुत्र]] और एक [[पुत्री]] है। [[2018]] के [[विधानसभा|विधानसभा चुनाव]] नजदीक आने पर बिप्लब कुमार देब की पत्नी ने भी अपनी बैंक की नौकरी से 3 महीने की छुट्टी ले ली थी और ज़्यादा से ज़्यादा मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश की थी।<ref name="knowlm"/>
 
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==राजनैतिक परिचय==
 
==राजनैतिक परिचय==
 
[[दिल्ली]] प्रवास के दौरान बिप्लब कुमार देब ने आरएसएस के लिए काम किया। यहीं उनकी मुलाकात सुनील देवधर से हुई, जो भाजपा की ओर से त्रिपुरा के प्रभारी थे। उल्लेखनीय है कि सुनील देवधर ने ही [[2014]] के लोकसभा चुनाव में [[नरेंद्र मोदी]] के लिए [[वाराणसी]] में चुनाव अभियान की कमान संभाली थी। बिप्लब देब के बारे में सुनील देवधर का कहना था कि- "मैं ऐसे नए और युवा चेहरे की तलाश में था, जो [[भाजपा]] को त्रिपुरा में लीड कर सके और यहां के लोगों की भावनाओं को पार्टी से जोड़ सके। जब बिप्लब मुझे दिल्ली में मिले तो उन्होंने त्रिपुरा के लोगों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की। मुझे लगा कि यह वही व्यक्ति है, जिसकी मुझे तलाश थी। मैंने उन्हें त्रिपुरा आकर यहाँ के लोगों के लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया। [[2016]] में, लगभग 15 वर्षों के बाद वे फिर से त्रिपुरा लौटे। त्रिपुरा लौटकर उन्होंने अपनी पार्टी के लिए आधार जमाना शुरू किया। उनकी मेहनत का फल भी जल्द दिखा और [[7 जनवरी]], 2016 को सुधींद्र दासगुप्ता की जगह प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई। इसके बाद से उन्होंने तेज़ीके साथ जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया था। वे चुपचाप अपने अभियान में लगे रहे और जनता के बीच प्रदेश की समस्याओं को उठाते हुए अपनी पैठ गहरी करते रहे।
 
[[दिल्ली]] प्रवास के दौरान बिप्लब कुमार देब ने आरएसएस के लिए काम किया। यहीं उनकी मुलाकात सुनील देवधर से हुई, जो भाजपा की ओर से त्रिपुरा के प्रभारी थे। उल्लेखनीय है कि सुनील देवधर ने ही [[2014]] के लोकसभा चुनाव में [[नरेंद्र मोदी]] के लिए [[वाराणसी]] में चुनाव अभियान की कमान संभाली थी। बिप्लब देब के बारे में सुनील देवधर का कहना था कि- "मैं ऐसे नए और युवा चेहरे की तलाश में था, जो [[भाजपा]] को त्रिपुरा में लीड कर सके और यहां के लोगों की भावनाओं को पार्टी से जोड़ सके। जब बिप्लब मुझे दिल्ली में मिले तो उन्होंने त्रिपुरा के लोगों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की। मुझे लगा कि यह वही व्यक्ति है, जिसकी मुझे तलाश थी। मैंने उन्हें त्रिपुरा आकर यहाँ के लोगों के लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया। [[2016]] में, लगभग 15 वर्षों के बाद वे फिर से त्रिपुरा लौटे। त्रिपुरा लौटकर उन्होंने अपनी पार्टी के लिए आधार जमाना शुरू किया। उनकी मेहनत का फल भी जल्द दिखा और [[7 जनवरी]], 2016 को सुधींद्र दासगुप्ता की जगह प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई। इसके बाद से उन्होंने तेज़ीके साथ जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया था। वे चुपचाप अपने अभियान में लगे रहे और जनता के बीच प्रदेश की समस्याओं को उठाते हुए अपनी पैठ गहरी करते रहे।
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बिप्लब कुमार देब ने इन चुनावों में राज्य में रोजगार के अवसरों की कमी को मुददा बनाया। युवाओं से वादा किया कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो उनकी सरकार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर केंद्रित होगी। राज्य के कर्मचारियों को भी उन्होंने 7वां वेतनमान देने का वादा किया। बिप्लब कुमार देब के इन्हीं सब प्रयासों का सुफल था कि कहां [[2013]] के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 1 भी सीट नहीं मिल सकी थी और कहां पांच साल बाद [[2018]] में उनकी पार्टी आधे से ज्यादा सीटों 59 में से 35 पर जीतकर अपना परचम लहराने में कामयाब रही। इस चुनाव में बिप्लब कुमार देब ने प्रश्चिम त्रिपुरा की प्रतिष्ठित वनमालीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उनके खिलाफ माकपा के युवा मोर्चा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अमल चक्रवर्ती और मौजूदा कांग्रेसी विधायक गोपाल रॉय चुनाव मैदान में थे।<ref name="knowlm">{{cite web |url=http://www.knowledgeum.com/biplab-kumar-deb-biography-in-hindi/|title=बिप्लब कुमार देब की जीवनी|accessmonthday=10 मार्च|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.Knowledgeum.Com|language=हिंदी }}</ref>
 
बिप्लब कुमार देब ने इन चुनावों में राज्य में रोजगार के अवसरों की कमी को मुददा बनाया। युवाओं से वादा किया कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो उनकी सरकार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर केंद्रित होगी। राज्य के कर्मचारियों को भी उन्होंने 7वां वेतनमान देने का वादा किया। बिप्लब कुमार देब के इन्हीं सब प्रयासों का सुफल था कि कहां [[2013]] के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 1 भी सीट नहीं मिल सकी थी और कहां पांच साल बाद [[2018]] में उनकी पार्टी आधे से ज्यादा सीटों 59 में से 35 पर जीतकर अपना परचम लहराने में कामयाब रही। इस चुनाव में बिप्लब कुमार देब ने प्रश्चिम त्रिपुरा की प्रतिष्ठित वनमालीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उनके खिलाफ माकपा के युवा मोर्चा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अमल चक्रवर्ती और मौजूदा कांग्रेसी विधायक गोपाल रॉय चुनाव मैदान में थे।<ref name="knowlm">{{cite web |url=http://www.knowledgeum.com/biplab-kumar-deb-biography-in-hindi/|title=बिप्लब कुमार देब की जीवनी|accessmonthday=10 मार्च|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.Knowledgeum.Com|language=हिंदी }}</ref>
 
====त्रिपुरा के मुख्यमंत्री====
 
====त्रिपुरा के मुख्यमंत्री====
[[9 मार्च]], [[2018]] को बिप्लब कुमार देब ने [[त्रिपुरा के मुख्यमंत्री|त्रिपुरा के दसवें मुख्यमंत्री]] के रूप में शपथ ली।
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[[9 मार्च]], [[2018]] को बिप्लब कुमार देब ने [[त्रिपुरा के मुख्यमंत्री|त्रिपुरा के दसवें मुख्यमंत्री]] के रूप में शपथ ली थी। वह इस पद पर [[14 मई]], [[2022]] तक रहे।
  
 
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बिप्लब कुमार देब
बिप्लब कुमार देब
पूरा नाम बिप्लब कुमार देब
जन्म 25 नवम्बर, 1971
जन्म भूमि उदयपुर ज़िला, त्रिपुरा
अभिभावक पिता- हिरुधान देब
पति/पत्नी नीति देब
संतान एक पुत्र और एक पुत्री
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद पूर्व मुख्यमंत्री, त्रिपुरा
कार्य काल मुख्यमंत्री-9 मार्च, 2018 से 15 मई, 2022 तक
शिक्षा स्नातक
विद्यालय त्रिपुरा विश्वविद्यालय
अन्य जानकारी दिल्ली में रहने के दौरान ही ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए और उसके प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। इन्होंने काफी समय तक पेेशेवर जिम इंस्ट्रेक्टर के रूप में भी कार्य किया।
अद्यतन‎

बिप्लब कुमार देब (अंग्रेज़ी: Biplab Kumar Deb, जन्म: 25 नवंबर, 1971) भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञ और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह 7 जनवरी, 2016 से त्रिपुरा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। बिप्लब कुमार देब 2018 में हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के सूत्रधार रहे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में 25 साल से शासन कर रही वाम मोर्चा सरकार को हराया। उन्होंने 9 मार्च, 2018 को त्रिपुरा के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। पार्टी ने उन्हें 2015 में राज्य में महासंपर्क अभियान के प्रदेश संयोजक के तौर पर भी त्रिपुरा भेजा था।

जीवन परिचय

बिप्लब कुमार देब का जन्म 25 नवम्बर 1971 को त्रिपुरा के उदयपुर जिले के ककराबन नामक जगह पर हुआ। फिलहाल यह स्थान गोमती ज़िले में पड़ता है। यहीं स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने त्रिपुरा विश्वविद्यालय से स्नातक किया और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए। दिल्ली में रहने के दौरान ही ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए और उसके प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। इन्होंने काफी समय तक पेेशेवर जिम इंस्ट्रेक्टर के रूप में भी कार्य किया। बिप्लब कुमार देब की पत्नी नीति देब दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक में शाखा उपप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। दोनों के एक पुत्र और एक पुत्री है। 2018 के विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर बिप्लब कुमार देब की पत्नी ने भी अपनी बैंक की नौकरी से 3 महीने की छुट्टी ले ली थी और ज़्यादा से ज़्यादा मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश की थी।[1]

राजनैतिक परिचय

दिल्ली प्रवास के दौरान बिप्लब कुमार देब ने आरएसएस के लिए काम किया। यहीं उनकी मुलाकात सुनील देवधर से हुई, जो भाजपा की ओर से त्रिपुरा के प्रभारी थे। उल्लेखनीय है कि सुनील देवधर ने ही 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी में चुनाव अभियान की कमान संभाली थी। बिप्लब देब के बारे में सुनील देवधर का कहना था कि- "मैं ऐसे नए और युवा चेहरे की तलाश में था, जो भाजपा को त्रिपुरा में लीड कर सके और यहां के लोगों की भावनाओं को पार्टी से जोड़ सके। जब बिप्लब मुझे दिल्ली में मिले तो उन्होंने त्रिपुरा के लोगों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त की। मुझे लगा कि यह वही व्यक्ति है, जिसकी मुझे तलाश थी। मैंने उन्हें त्रिपुरा आकर यहाँ के लोगों के लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया। 2016 में, लगभग 15 वर्षों के बाद वे फिर से त्रिपुरा लौटे। त्रिपुरा लौटकर उन्होंने अपनी पार्टी के लिए आधार जमाना शुरू किया। उनकी मेहनत का फल भी जल्द दिखा और 7 जनवरी, 2016 को सुधींद्र दासगुप्ता की जगह प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई। इसके बाद से उन्होंने तेज़ीके साथ जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया था। वे चुपचाप अपने अभियान में लगे रहे और जनता के बीच प्रदेश की समस्याओं को उठाते हुए अपनी पैठ गहरी करते रहे।

जमीन से जुड़े नेता

बिप्लब कुमार देब नरेंद्र मोदी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। चुनावी रैलियों में भी विप्लव ने जनता के बीच नरेंद्र मोदी की कर्मठता और दृढता को खूब भुनाया। देश भर से भाजपा के लोकप्रिय चेहरों और मंत्रियों को राज्य में लाकर प्रचार कराया और जनता का रुख अपने और अपनी पार्टी के पक्ष में मोड़ने में कामयाब रहे। बिप्लब कुमार देब को जमीन से जुड़े रहकर काम करने वाला नेता माना जाता है। जमीन से जुड़े रहने के बावजूद बिप्लब कुमार देब स्पष्टवादी और साफ सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं। उनके खिलाफ किसी तरह का आप​राधिक मुकदमा दर्ज नहीं है। उनकी साफ सुथरी छवि और जमीनी स्तर पर जुड़ाव के कारण यहां की जनता ने उनके वादों पर विश्वास किया और 25 साल से चले आ रहे माकपा के शासन को एक झटके मेें उखाड़ फेंका।

योगदान

बिप्लब कुमार देब ने इन चुनावों में राज्य में रोजगार के अवसरों की कमी को मुददा बनाया। युवाओं से वादा किया कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो उनकी सरकार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने पर केंद्रित होगी। राज्य के कर्मचारियों को भी उन्होंने 7वां वेतनमान देने का वादा किया। बिप्लब कुमार देब के इन्हीं सब प्रयासों का सुफल था कि कहां 2013 के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 1 भी सीट नहीं मिल सकी थी और कहां पांच साल बाद 2018 में उनकी पार्टी आधे से ज्यादा सीटों 59 में से 35 पर जीतकर अपना परचम लहराने में कामयाब रही। इस चुनाव में बिप्लब कुमार देब ने प्रश्चिम त्रिपुरा की प्रतिष्ठित वनमालीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उनके खिलाफ माकपा के युवा मोर्चा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अमल चक्रवर्ती और मौजूदा कांग्रेसी विधायक गोपाल रॉय चुनाव मैदान में थे।[1]

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री

9 मार्च, 2018 को बिप्लब कुमार देब ने त्रिपुरा के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वह इस पद पर 14 मई, 2022 तक रहे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 बिप्लब कुमार देब की जीवनी (हिंदी) www.Knowledgeum.Com। अभिगमन तिथि: 10 मार्च, 2018।

संबंधित लेख

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