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||[[चित्र:Malik-ambar.jpg|right|border|80px|मलिक अम्बर]]'मलिक अम्बर' एक हब्शी ग़ुलाम था। वह तरक़्क़ी करके वज़ीर के पद तक पहुँचा था। उसने पहली बार 1601 ई. में उस समय नाम कमाया, जब उसने [[मुग़ल]] सेना को हरा दिया था। [[मलिक अम्बर]] एक 'अबीसीनियायी' था और उसका जन्म इथियोपिया में हुआ था। उसके प्रारम्भिक जीवन की विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसा अनुमान है कि उसके निर्धन [[माता]]-[[पिता]] ने उसे [[बग़दाद]] के ग़ुलाम-बाज़ार में बेच दिया था। बाद में उसे किसी व्यापारी ने ख़रीद लिया और उसे दक्कन ([[दक्षिण भारत]]) ले आया, जहाँ की समृद्धि उस काल में बहुत लोगों को आकर्षित करती थी। 1626 ई. में मलिक अम्बर की मृत्यु हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मलिक अम्बर]]
  
 
{किस यूरोपीय ने सर्वप्रथम [[भारत]] में अपना व्यापार फैलाया?
 
{किस यूरोपीय ने सर्वप्रथम [[भारत]] में अपना व्यापार फैलाया?
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-[[डच]]
 
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+[[पुर्तग़ाली]]
 
+[[पुर्तग़ाली]]
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||'पुर्तग़ाली' [[पुर्तग़ाल]] देश के निवासियों को कहा जाता है। [[वास्कोडिगामा]] एक पुर्तग़ाली नाविक था। वास्कोडिगामा के द्वारा की गई [[भारत]] यात्राओं ने पश्चिमी [[यूरोप]] से 'केप ऑफ़ गुड होप' होकर पूर्व के लिए समुद्री मार्ग खोल दिए थे। जिस स्थान का नाम पुर्तग़ालियों ने [[गोवा]] रखा था, वह आज का छोटा-सा [[समुद्र]] तटीय शहर 'गोअ-वेल्हा' है। [[कालान्तर]] में उस क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा, जिस पर पुर्तग़ालियों ने क़ब्ज़ा किया था। [[17 मई]], 1498 ई. को वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित बन्दरगाह [[कालीकट]] पहुँचकर भारत के नये समुद्र मार्ग की खोज की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुर्तग़ाली]]
  
 
{[[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] का [[द्वैध शासन (बंगाल)|द्वैध शासन]] कब तक चला?
 
{[[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] का [[द्वैध शासन (बंगाल)|द्वैध शासन]] कब तक चला?
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+1765 से 1772 तक
 
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||'द्वैध शासन' [[बंगाल]] में 1765 ई. की [[इलाहाबाद की सन्धि|इलाहाबाद सन्धि]] के अंतर्गत लगाया गया था। यह शासन बंगाल के अतिरिक्त [[बिहार]] और [[उड़ीसा]] में भी लागू किया गया था। सन्धि के फलस्वरूप एक ओर [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] और दूसरी ओर [[अवध]] के नवाब [[शुजाउद्दौला]], बंगाल के नवाब [[मीर कासिम]] और [[दिल्ली]] के सम्राट [[शाहआलम द्वितीय]] के बीच युद्ध का अन्त हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्वैध शासन (बंगाल)]]
  
 
{ब्रिटिशकालीन भारत में निम्न में से कौन-सी भू-राजस्व व्यवस्था को नहीं अपनाया गया था?
 
{ब्रिटिशकालीन भारत में निम्न में से कौन-सी भू-राजस्व व्यवस्था को नहीं अपनाया गया था?
 
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-[[स्थायी बंदोबस्त]]
 
-[[स्थायी बंदोबस्त]]
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+[[दहसाला व्यवस्था]]
 
-[[रैय्यतवाड़ी व्यवस्था]]
 
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-[[महालवाड़ी व्यवस्था]]
 
-[[महालवाड़ी व्यवस्था]]
+[[दहसाला व्यवस्था]]
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||'दहसाला व्यवस्था' [[अकबर]] के वित्तमंत्री के रूप में [[राजा टोडरमल]] ने राजस्व एकत्र करने की नयी व्यावस्था शुरू की, जो कि 'ज़ब्ती व्यवस्था' या '[[दहसाला व्यवस्था]]' के नाम से जानी गयी। इस व्यवस्था में दस वर्ष में हुई [[फ़सल]] की पैदावार तथा उत्पादन लागत का सावधानीपूर्वक सर्वेक्षण किया जाता था। यह व्यवस्था अकबर के द्वारा लागू की गई थी। इसमेंं पिछले दस साल में उत्पादित विभिन्न फ़सलों तथा उनके औसत मूल्य की गणना करके औसत पैदावार का एक तिहाई भाग राज्य को दे दिया जाता था। इतिहासकारो का विश्वास है कि यह मूल्यांकन की विधि सबसे महत्वपूर्ण थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दहसाला व्यवस्था]]
  
{[[ब्रह्म समाज]] का विरोधी संगठन कौन-सा था, जिसका उद्देश्य [[सती प्रथा]] सहित अन्य सुधारों का विरोध करना था?
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{[[ब्रह्मसमाज]] का विरोधी संगठन कौन-सा था, जिसका उद्देश्य [[सती प्रथा]] सहित अन्य सुधारों का विरोध करना था?
 
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+धर्म सभा
 
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-[[आर्य समाज]]
 
-[[आर्य समाज]]
 
-[[प्रार्थना समाज]]
 
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||[[चित्र:Raja-Rammohana-Roy-2.jpg|right|border|80px|राजा राममोहन राय]]'ब्रह्मसमाज' [[हिन्दू धर्म]] से सम्बन्धित प्रथम धर्म-सुधार आन्दोलन था। इसके संस्थापक [[राजा राममोहन राय]] थे, जिन्होंन [[20 अगस्त]], 1828 ई. में इसकी स्थापना [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकाता) में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य तत्कालीन [[हिन्दू]] समाज में व्याप्त बुराईयों, जैसे- [[सती प्रथा]], बहुविवाह, वेश्यागमन, जातिवाद, अस्पृश्यता आदि को समाप्त करना। राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का [[पिता]] माना जाता है। राजा राममोहन राय पहले भारतीय थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त मध्ययुगीन बुराईयों को दूर करने के लिए आन्दोलन चलाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्रह्मसमाज]]
 
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06:03, 26 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 मराठों के ‘बर्गीगिरि’ गुण का सबसे पहले उपयोग किसने किया?

मलिक अम्बर
शाहजहाँ
जहाँगीर
औरंगज़ेब

2 किस यूरोपीय ने सर्वप्रथम भारत में अपना व्यापार फैलाया?

ब्रिटिश
फ़ेंच
डच
पुर्तग़ाली

3 बंगाल का द्वैध शासन कब तक चला?

1757 से 1767 तक
1764 से 1793 तक
1765 से 1772 तक
1760 से 1793 तक

4 ब्रिटिशकालीन भारत में निम्न में से कौन-सी भू-राजस्व व्यवस्था को नहीं अपनाया गया था?

स्थायी बंदोबस्त
दहसाला व्यवस्था
रैय्यतवाड़ी व्यवस्था
महालवाड़ी व्यवस्था

5 ब्रह्मसमाज का विरोधी संगठन कौन-सा था, जिसका उद्देश्य सती प्रथा सहित अन्य सुधारों का विरोध करना था?

धर्म सभा
तत्त्वबोधिनी सभा
आर्य समाज
प्रार्थना समाज

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