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'''बाजरा''' [[भारत]] की प्रमुख फ़सलों में से एक है, जिसका उपयोग भारतीय लोग बहुत लम्बे समय से करते आ रहे हैं। बाजरे की फ़सल मोटे अनाजों में सबसे अधिक उगायी जाती है। इसकी खेती [[अफ़्रीका]] और भारतीय महाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से ही की जाती रही है। बाजरे के सम्बन्ध में यह माना जाता है कि यह मूल रूप से अफ़्रीका की फ़सल है, जिसका बाद में भारतीय महाद्वीप में प्रवेश हुआ। भारत में बाजरा लगभग ईसा पूर्व दो हज़ार वर्ष से उगाया जाना निश्चित किया गया है। बाजरे का यह विशेष गुण है कि यह सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी आसानी से उग जाता है और उच्च [[तापमान]] को भी सह लेता है। इसीलिए बाजरा उन क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है, जहाँ [[मक्का]] या [[गेंहूँ]] की फ़सल नहीं उगायी जा सकती या फिर ये फ़सलें वहाँ कम फल पाती हैं। वर्तमान समय में मोटे अन्न उत्पादन का लगभग आधा भाग बाजरा ही होता है।
 
'''बाजरा''' [[भारत]] की प्रमुख फ़सलों में से एक है, जिसका उपयोग भारतीय लोग बहुत लम्बे समय से करते आ रहे हैं। बाजरे की फ़सल मोटे अनाजों में सबसे अधिक उगायी जाती है। इसकी खेती [[अफ़्रीका]] और भारतीय महाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से ही की जाती रही है। बाजरे के सम्बन्ध में यह माना जाता है कि यह मूल रूप से अफ़्रीका की फ़सल है, जिसका बाद में भारतीय महाद्वीप में प्रवेश हुआ। भारत में बाजरा लगभग ईसा पूर्व दो हज़ार वर्ष से उगाया जाना निश्चित किया गया है। बाजरे का यह विशेष गुण है कि यह सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी आसानी से उग जाता है और उच्च [[तापमान]] को भी सह लेता है। इसीलिए बाजरा उन क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है, जहाँ [[मक्का]] या [[गेंहूँ]] की फ़सल नहीं उगायी जा सकती या फिर ये फ़सलें वहाँ कम फल पाती हैं। वर्तमान समय में मोटे अन्न उत्पादन का लगभग आधा भाग बाजरा ही होता है।
==भूगोलिक दशाएँ==
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बाजरा के लिए [[ज्वार]] से अधिक शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। यह 30 से 50 सेण्टीमीटर तक [[वर्षा]] वाली बलुई भूमि में अधिक उत्पन्न होता है। यह 50 से 70 सेण्टीमीटर वर्षा वाले भागो में भी बोया जाता है। अतः बिना सिंचाई व कम उपजाऊ भूमि में बिना खाद डाले ही बाजरा पैदा किया जाता है। यदि वर्षा वहाँ हल्की फुहार के रूप में होती रहे तो भी निकृष्ट भूमि में भी इसका उत्पादन हो सकता है। इसलिए बाजरा की [[कृषि]] भारत में 80° [[देशान्तर]] के पश्चिम में स्थित अनुपजाऊ भूमि में अधिक होती है। यह समान्यतः दलहनों के साथ मिलाकर बोया जाता है। यह [[मई]] से [[अगस्त]] तक बोया जाता है और [[सितम्बर]] से [[जनवरी]] तक काट लिया जाता है। इसके लिए औसत तापमान 15° से 32° सेंटीग्रेट तक उपयुक्त रहता है। बाजरा व ज्वार को हरी चरी व सूखी, किन्तु पौष्टिक घास के लिये भी पैदा पैदा किया जाता है।
 
बाजरा के लिए [[ज्वार]] से अधिक शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। यह 30 से 50 सेण्टीमीटर तक [[वर्षा]] वाली बलुई भूमि में अधिक उत्पन्न होता है। यह 50 से 70 सेण्टीमीटर वर्षा वाले भागो में भी बोया जाता है। अतः बिना सिंचाई व कम उपजाऊ भूमि में बिना खाद डाले ही बाजरा पैदा किया जाता है। यदि वर्षा वहाँ हल्की फुहार के रूप में होती रहे तो भी निकृष्ट भूमि में भी इसका उत्पादन हो सकता है। इसलिए बाजरा की [[कृषि]] भारत में 80° [[देशान्तर]] के पश्चिम में स्थित अनुपजाऊ भूमि में अधिक होती है। यह समान्यतः दलहनों के साथ मिलाकर बोया जाता है। यह [[मई]] से [[अगस्त]] तक बोया जाता है और [[सितम्बर]] से [[जनवरी]] तक काट लिया जाता है। इसके लिए औसत तापमान 15° से 32° सेंटीग्रेट तक उपयुक्त रहता है। बाजरा व ज्वार को हरी चरी व सूखी, किन्तु पौष्टिक घास के लिये भी पैदा पैदा किया जाता है।
 
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#'''गुजरात''' - [[कच्छ ज़िला|कच्छ]], [[अमरेली ज़िला|अमरेली]], [[सुरेन्द्रनगर ज़िला|सुरेन्द्रनगर]], [[भावनगर ज़िला|भावनगर]], [[खेड़ा ज़िला|खेड़ा]], [[राजकोट ज़िला|राजकोट]], महसाना, और सावरकांठा, जामनगर तथा [[जूनागढ़ ज़िला|जूनागढ़]] [[गुजरात]] के प्रमुख ज़िले हैं, जहाँ बाजरे कि खेती की जाती है।
 
#'''उत्तर प्रदेश''' - [[आगरा]], [[हाथरस]], [[फ़िरोज़ाबाद|फ़िरोज़ाबाद]], [[बदायूँ ज़िला|बदायूं]], [[अलीगढ़ ज़िला|अलीगढ़]], [[मथुरा]], [[इटावा]], [[मुरादाबाद ज़िला|मुरादाबाद]], [[इलाहाबाद ज़िला|इलाहाबाद]], [[एटा]], [[मैनपुरी]], [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]], [[शाहजहांपुर ज़िला|शाहजहांपुर]], [[फ़र्रूख़ाबाद ज़िला|फ़र्रूख़ाबाद]], और [[कानपुर]] [[उत्तर प्रदेश]] के वे प्रमुख ज़िले हैं, जहाँ बाजरा अधिक मात्रा में पैदा होता है।
 
#'''उत्तर प्रदेश''' - [[आगरा]], [[हाथरस]], [[फ़िरोज़ाबाद|फ़िरोज़ाबाद]], [[बदायूँ ज़िला|बदायूं]], [[अलीगढ़ ज़िला|अलीगढ़]], [[मथुरा]], [[इटावा]], [[मुरादाबाद ज़िला|मुरादाबाद]], [[इलाहाबाद ज़िला|इलाहाबाद]], [[एटा]], [[मैनपुरी]], [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]], [[शाहजहांपुर ज़िला|शाहजहांपुर]], [[फ़र्रूख़ाबाद ज़िला|फ़र्रूख़ाबाद]], और [[कानपुर]] [[उत्तर प्रदेश]] के वे प्रमुख ज़िले हैं, जहाँ बाजरा अधिक मात्रा में पैदा होता है।
*'''हरियाणा''' - [[हरियाणा]] के [[हिसार ज़िला|हिसार]], [[गुड़गांव ज़िला|गुड़गांव]], [[रोहतक ज़िला|रोहतक]] और महेन्द्रगढ़ प्रमुख बाजरा उत्पादक ज़िले हैं।
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#'''हरियाणा''' - [[हरियाणा]] के [[हिसार ज़िला|हिसार]], [[गुड़गांव ज़िला|गुड़गांव]], [[रोहतक ज़िला|रोहतक]] और महेन्द्रगढ़ प्रमुख बाजरा उत्पादक ज़िले हैं।
 
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#'''कर्नाटक''' - [[बीजापुर ज़िला|बीजापुर]], गुलबर्गी, बेलगावी, रायचूर, बेल्लरी और [[चित्रदुर्ग ज़िला|चित्रदुर्ग]] में बाजरा उगाया जाता है।
 
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12:47, 13 फ़रवरी 2012 का अवतरण

बाजरा भारत की प्रमुख फ़सलों में से एक है, जिसका उपयोग भारतीय लोग बहुत लम्बे समय से करते आ रहे हैं। बाजरे की फ़सल मोटे अनाजों में सबसे अधिक उगायी जाती है। इसकी खेती अफ़्रीका और भारतीय महाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से ही की जाती रही है। बाजरे के सम्बन्ध में यह माना जाता है कि यह मूल रूप से अफ़्रीका की फ़सल है, जिसका बाद में भारतीय महाद्वीप में प्रवेश हुआ। भारत में बाजरा लगभग ईसा पूर्व दो हज़ार वर्ष से उगाया जाना निश्चित किया गया है। बाजरे का यह विशेष गुण है कि यह सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी आसानी से उग जाता है और उच्च तापमान को भी सह लेता है। इसीलिए बाजरा उन क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है, जहाँ मक्का या गेंहूँ की फ़सल नहीं उगायी जा सकती या फिर ये फ़सलें वहाँ कम फल पाती हैं। वर्तमान समय में मोटे अन्न उत्पादन का लगभग आधा भाग बाजरा ही होता है।

भौगोलिक दशाएँ

बाजरा के लिए ज्वार से अधिक शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। यह 30 से 50 सेण्टीमीटर तक वर्षा वाली बलुई भूमि में अधिक उत्पन्न होता है। यह 50 से 70 सेण्टीमीटर वर्षा वाले भागो में भी बोया जाता है। अतः बिना सिंचाई व कम उपजाऊ भूमि में बिना खाद डाले ही बाजरा पैदा किया जाता है। यदि वर्षा वहाँ हल्की फुहार के रूप में होती रहे तो भी निकृष्ट भूमि में भी इसका उत्पादन हो सकता है। इसलिए बाजरा की कृषि भारत में 80° देशान्तर के पश्चिम में स्थित अनुपजाऊ भूमि में अधिक होती है। यह समान्यतः दलहनों के साथ मिलाकर बोया जाता है। यह मई से अगस्त तक बोया जाता है और सितम्बर से जनवरी तक काट लिया जाता है। इसके लिए औसत तापमान 15° से 32° सेंटीग्रेट तक उपयुक्त रहता है। बाजरा व ज्वार को हरी चरी व सूखी, किन्तु पौष्टिक घास के लिये भी पैदा पैदा किया जाता है।

उत्पादक क्षेत्र

भारत में बाजरे के मुख्य उत्पादक राज्य आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, और राजस्थान के अर्द्धशुष्क व शुष्क भाग हैं। इनमें बाजरा के अन्तर्गत 96 प्रतिशत क्षेत्र पाया जाता है। बाजरा के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं-

  1. राजस्थान - बाड़मेर, नागौर, जालौर, जोधपुर, पाली, सीकर, झुंझुनू, बीकानेर, भरतपुर, अलवर, जैसलमेर, और सवाई माधोपुर ज़िले में बाजरा उगाया जाता है। बाजरा का सर्वप्रथम उत्पादक राज्य राजस्थान है।
  2. महाराष्ट्र - महाराष्ट्र में बाजरा नासिक, धूलिया, सतारा, पुणे, सांगली, औरंगाबाद, शोलापुर, जलगांव और अहमदनगर ज़िले में उगाया जाता है।
  3. गुजरात - कच्छ, अमरेली, सुरेन्द्रनगर, भावनगर, खेड़ा, राजकोट, महसाना, और सावरकांठा, जामनगर तथा जूनागढ़ गुजरात के प्रमुख ज़िले हैं, जहाँ बाजरे कि खेती की जाती है।
  4. उत्तर प्रदेश - आगरा, हाथरस, फ़िरोज़ाबाद, बदायूं, अलीगढ़, मथुरा, इटावा, मुरादाबाद, इलाहाबाद, एटा, मैनपुरी, प्रतापगढ़, शाहजहांपुर, फ़र्रूख़ाबाद, और कानपुर उत्तर प्रदेश के वे प्रमुख ज़िले हैं, जहाँ बाजरा अधिक मात्रा में पैदा होता है।
  5. हरियाणा - हरियाणा के हिसार, गुड़गांव, रोहतक और महेन्द्रगढ़ प्रमुख बाजरा उत्पादक ज़िले हैं।
  6. कर्नाटक - बीजापुर, गुलबर्गी, बेलगावी, रायचूर, बेल्लरी और चित्रदुर्ग में बाजरा उगाया जाता है।
  7. आन्ध्र प्रदेश - नलगोंदा, प्रकाशम, अनन्तपुर, चित्तूर, महबूबनगर, गंतूर, कुर्नूल और विशाखापत्तनम ज़िलों में बाजरा बहुत उगाया जाता है।

खपत

भारत में बाजरे का उत्पादन वर्ष 1960-1961 में 33 लाख टन था, जो 2008-2009 में बढ़कर 88 लाख टन हो गया। वर्ष 2008-2009 में देश में बाजरे का प्रति हेक्टेअर उत्पादन 1011 कि.ग्रा. था। बाजरे का उपयोग खाद्यान्न व पशु आहार के रूप में होता है। सारा ही उत्पादन देश में ही खप जाता है। अतः इसका स्थानीय व्यापार ही होता है।


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